मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं– दीपक बावरिया, कांग्रेस

मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं– दीपक बावरिया, कांग्रेस

‘‘पोखरी खोदान नहीं – मंगर पहिलेन उतराय लागें’’
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सीधी (विजय सिंह)———– बघेलखंड में एक कहावत है ‘‘ पोखरी खोदान नहीं – मंगर पहिलेन उतराय लागें ’। आशय यह कि तालाब खुदने से पहले ही मगरमच्छों ने डेरा जमा लिया। रीवा में प्रदेश प्रभारी एवं कांग्रेस महामंत्री दीपक बावरिया का पत्रकार वार्ता में यह कहना कि मध्य प्रदेश में यदि कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो मुख्य मंत्री पद के कमलनाथ या ज्योतिरादित्य सिंधिया चेहरे हांेगे। ऐसे में 30 विधान सभा क्षेत्रों वाले विंध्य या बघेलखंड में बावरिया का यह बयान देना उन कांग्रेसियों को नागवार लगना लाजिमी था, जो विंध्य में मुख्य मंत्री के चेहरे की तलाश कर रहे हैं और पिछले विधान सभा चुनावों में उनका प्रदर्शन भी अन्य की तुलना में 19 नहीं था।

हालांकि सीधी आकर उनके बिगड़े बोल बदल गये। यहां उन्होंने सुविचारित भाषा का उपयोग किया – कांग्रेस विधायक दल मुख्य मंत्री का चुनाव करेगा। रीवा में उनके साथ हुई धक्का मुक्की में भाजपा का हांथ है। बावरिया जी आप कितनी भी सफाई दें, लेकिन यह साफ हो गया है कि विंध्य में भारतीय जनता पार्टी जैसा चाहती थी, आपने उसके अनुरूप ही आचरण किया है। क्या आप ग्वालियर-चंबल में सिंधिया जी को नकार सकते हैं ? कमलनाथ जी को महाकौशल का माना जाता है। मालवा में आप किसे प्रपोज कर देंगे ? बावरिया जी आप संगठन को मजबूती नहीं बल्कि किसी तरह एकजुट हुई कांग्रेस को फ्रि से विखंडित और हतोत्साहित करने का काम ही करते नजर आ रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को चुरहट में ही घेरने के लिये भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता किसी से भी दुरभि संधि करने के लिये तैयार है। भोपाल में घरेलू हिंसा के नाम पर हुआ ड्रामा और अब आपकी रीवा में बयानवाजी से तो यही प्रतीत होता है कि बावरिया जी, कहीं आप जाने-अनजाने भाजपा की रणनीति का हिस्सा तो नहीं बन गये हैं ?

विंध्य में कांग्रेस की एक स्थिति यह भी थी कि 2008 के विधान सभा चुनाव में रीवा- शहडोल संभाग यानि कि बघेलखंड की 30 सीटों में से कांग्रेस ने मात्र 2 सीटें, सीधी जिले से अजय सिंह व शहडोल जिले से बिसाहूलाल सिंह को ही जनता ने स्वीकारा था। रीवा, सतना सिंगरौली, उमरिया में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। 2013 के आमचुनाव में भीश्री बावरिया जैसे बिगड़े बोल के नेताओं ने प्रदेश में 2008 से भी बदतर स्थिति में कांग्रेस को ला दिया था। लेकिन तब भी विंध्य में कांग्रेस ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया, 16 में भाजपा व 2 सीटों में बसपा ने जीत दर्ज की थी। वहीं ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 में से 12 कांग्रेस, 20 भाजपा, 2 बसपा तथा महाकौशल की 38 में से 12 कांग्रेस, 24 भाजपा व 1 निर्दलीय प्रत्याशी को सफलता मिली थी। इन आंकड़ों से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस कहां मजबूत है ?

श्री दीपक बावरिया जी से पहले कांग्रेस के तथाकथित क्षत्रप सत्यव्रत चतुर्वेदी, जो एक बड़े नेताओं में शुमार माने जाते हैं, उनके बुंदेलखंड की 26 विधान सभा सीटों में कांग्रेस को मात्र 6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। कभी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता रहे श्री चतुर्वेदी ने पिछले दिनों मुखारबिन्द खोले तो उन्होंने भी सुझाव दे डाला कि कांग्रेस को अपने मुख्यमंत्री का चेहरा ज्योतरादित्य सिंधिया को घोषित कर देना चाहिये।

कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में मुख्य मंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं करने का निर्णय लिया है। किन्तु भाजपा ने ऐसी रणनीति बना रखी है कि वह कांग्रेस को मजबूर कर दे कि वह अपने क्षत्रपों में ही उलझ कर रह जावे। कमोवश उनकी रणनीति में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता ही केन्द्रीय नेतृत्व के निर्णय के विपरीत बयानबाजी कर, भाजपा के बिछाये जाल में उलझते जा रहे हैं। आसन्न विधान सभा चुनाव में जनता किसे जनादेश देती है ? यह भविष्य के गर्त में है। किन्तु उसके पहले ही कांग्रेसी नेता, कहावत को चरितार्थ करते हुये तालाब खुदने से पहले ही मगरमच्छ की तरह दिखने लगे हैं।

संपर्क —
स्वतंत्र पत्रकार
19, अर्जुन नगर, सीधी

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