• March 30, 2015

बाल अपराधों की रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास जरूरी – न्यायाधिपति ठाकुर

बाल अपराधों की रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास जरूरी  – न्यायाधिपति ठाकुर

जयपुर -उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा है कि बाल अपराधों की रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं। विधिक व्यवस्था के प्रयासों के साथ सफल परिणामों के लिए इसमें सरकारी, शैक्षणिक, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं मीडिया का सहयोग भी आवश्यक है।

न्यायाधिपति ठाकुर रविवार को जोधपुर में गेटवे होटल बनाड़ के सभागार में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बाल अधिकारों के संरक्षण में विधिक सेवाओं की भूमिका विषयक दो दिवसीय सेमीनार के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

जस्टिस ठाकुर ने कहा कि इस प्रकार के सेमीनार तभी सफल हो सकते हैं जब इसके मुख्य उद्ेश्य को प्राप्त करने के लिए व्यवाहारिक एक्शन प्लान बनाकर उस पर कार्य किया जाए ताकि हमें सार्थक परिणाम मिल सकें। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान मूल रूप से गरीब, पिछड़े व ग्रामीण लोगों की सहायतार्थ रचित है। अपराधों की समस्या को जानने के लिए उनके कारणों का पता होना नितान्त आवश्यक है।

राजस्थान में बाल विवाह की समस्या के मूल कारण परंपरागत कुरीति, गरीबी, बेटियों को पराया धन मानने जैसे विचार तथा शिक्षा का अभाव आदि हैं। अब इस समस्या से निजात पाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में पहला जागरूकता व दूसरा प्रवर्तन है। जागरूकता लाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, मीडिया आदि की सहायता आवश्यक है तथा इसका प्रवर्तन करने के लिए विधिक सेवाओं, बाल विवाह निषेध अधिकारियों की सहायता राजस्थान राज्य के बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए गठित आयोग की भूमिका आवश्यक हैं।

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुनील अम्बवानी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि अब वह समय आ गया जब न्यायालय आमजन तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमारा उद्ेश्य इन बच्चों को बचाने के बाद शुरू होता है जब हमें इनके पुनर्वास अथवा माता पिता से पुन: मिलाने का होता है। कई केसेज में ये बच्चे राज्य से बाहर के होते हैं।

स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता से हम इन बच्चों को मानसिक रूप से सहयोग प्रदान करते हैंं, जिससे वह जीवन में आगे बढ सकें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सेमीनार के द्वारा प्राप्त दिशा निर्देशों की सहायता से हम बाल अधिकारों के संरक्षण के विषय में आगे बढ़ सकेंगे।

राजस्थान राज्य बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए गठित आयोग की चेयरपर्सन गुरजोत कौर ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा सभी विभागों को बाल विवाह रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। बाल विवाह मुक्त पंचायतों को राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इससे पूर्व हुए सेमीनार के तृतीय सत्र में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति विनीत कोठारी की अध्यक्षता में प्रतिभागियों को सम्बोधित किया गया साथ ही न्यायाधिपति संदीप मेहता ने भी अपने विचार प्रकट किए।

प्रारम्भ में राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधिपति अजय रस्तोगी, रजिस्ट्रार जनरल राजस्थान उच्च न्यायालय विजय कुमार व्यास व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सतीश कुमार शर्मा द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण, महाधिवक्ता, अतिरिक्त महाधिवक्तागण, वरिष्ठ न्यायिक एवं न्यायिक अधिकारिगण, बार काउंसिल के अध्यक्ष एवं सदस्य तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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