- June 30, 2015
बहमास :राष्ट्रकुल शिक्षा मंत्रियों का 19वां सम्मेलन : मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी
राष्ट्रकुल शिक्षा मंत्रियों का 19वां सम्मेलन 22 जून से 26 जून, 2015 तक बहमास के नस्साउ में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में समान विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विचार विमर्श किया गया और इसमें 38 राष्ट्रकुल देशों के शिक्षा मंत्रियों ने भाग लिया।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया जिसमें यूजीसी के चेयरमैन, एनआईओएस के चेयरमैन तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता के संयुक्त सचिव शामिल थे।
सम्मेलन का उद्घाटन बहमास के प्रधानमंत्री श्री पेरी ग्लैडस्टोन क्रिस्टी ने किया। पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता बहमास के शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री जेरोम के फिटजेराल्ड ने की।
केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने समान विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : प्रदर्शन, मार्ग, उत्पादकता पर मुद्दा दस्तावेज पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संबंधित देशों में शिक्षा के समावेशी और गुणात्मक विस्तार के लिए पद्धतियों को विवेकपूर्ण बनाने की दिशा में एक अधिक समन्वित और समग्र दृष्टिकोण के साथ काम करने के लिए राष्ट्रकुल देशों के लिए इससे अधिक उपयुक्त समय और कोई नहीं हो सकता।
उन्होंने आपसी चिंताओं के मुद्दों पर विचार-विमर्शों के लिए एक समान मंच की स्थापना करने के महत्व को रेखांकित किया जिससे कि विस्तार, समानता और उत्कृष्टता जैसे मुद्दों पर एक समेकित दृष्टिकोण के साथ ध्यान दिया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि समावेशी शिक्षा के एक प्रमुख कदम के रूप में कौशल विकास पहलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने की जरूरत होगी जिससे कि उभरती मानव संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
विचार-विमर्शों के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने महसूस किया कि शैक्षणिक अवसरों की पहुंच पर लगातार असमानता के विविध आयामों की छाप पड़ती रहती है जो हमारे समाज की विशेषता है : विश्व समुदाय की चुनौतियों और इसके संदर्भ में श्रीमती ईरानी ने राष्ट्रकुल देशों से इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार-विमर्श करने की अपील की।
गुणवत्ता के मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता की चिन्ता सतत विकास के लिए एक प्रमुख मानदंड के रूप में राष्ट्रकुल के प्रत्येक देश के विचार-विमर्शों की केन्द्र बिन्दु बनी रहेगी और इसलिए संसाधनों और सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों को साझा करने के लिए एक मंच सृजित करने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने पांच बड़े प्रस्ताव रखे जिन्हें भाग लेने वाले सभी देशों ने सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंने घोषणा की कि भारत सीमा पार शिक्षक शिक्षा के लिए मालवीय राष्ट्रकुल पद का गठन करेगा जो पाठ्यक्रम विकास, अध्यापन-शास्त्र, छात्र आकलन, सेवा पूर्व एवं सेवा के दौरान शिक्षकों का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करेगा।
उन्होंने अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रकुल कंसोर्टियम के गठन का भी प्रस्ताव रखा जो राष्ट्रकुल शिक्षा हब के सहयोग के साथ काम करेगा और उन अनुसंधान परियोजनाओं के लिए क्रॉस फंडिंग मुहैया कराएगा जिन्हें सदस्य देश उपयुक्त समझेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग द्वारा विकसित ई-कोर्सवेयर की मेजबानी के लिए अपना ई-लर्निंग प्लेटफार्म ‘स्वयं’ मुहैया कराएगा।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि भारत शीघ्र स्थापित होने वाली राष्ट्रीय ई-लाइब्रेरी पर राष्ट्रकुल देशों की डिजिटाइज सामग्री पोस्ट करेगा। सभी स्तरों पर शिक्षा में गुणात्मक बेहतरी लाने के लिए सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत बनाने के उनके विचारों की सदस्य देशों द्वारा काफी सराहना की गई। केन्द्रीय मंत्री की ये विशिष्ट घोषणाएं नस्साउ घोषणा पत्र का हिस्सा बन गई जिसे सदस्य देशों द्वारा एकमत से स्वीकार कर लिया गया।
भारत की सक्रिय भागीदारी की सदस्य देशों एवं राष्ट्रकुल के महासचिव तथा कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा काफी सराहना की गई। राष्ट्रकुल के महासचिव श्री कमलेश शर्मा ने भारत की इसके अन्वेषक विचारों एवं शिक्षकों की शिक्षा एवं अनुसंधान पर बढ़े हुए राष्ट्रकुल सहयोग के लिए व्यावहारिक वित्तीय सहायता के लिए आगे बढ़ने में इसकी उदारता के लिए काफी सराहना की।
उन्होंने कहा कि मालवीय राष्ट्रकुल पद और राष्ट्रकुल अनुसंधार कंसोर्टियम की स्थापना बेहद मूल्यवान है। मंत्रियों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया जो राष्ट्रकुल के प्रति भारत की गहरी और निरंतर प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है जिसका यह एक संस्थापक सदस्य है।