• November 19, 2015

बच्चों की आवाज का दूसरा नाम है – चाइल्ड राइट क्लब :- – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक

बच्चों की आवाज का दूसरा नाम है – चाइल्ड राइट क्लब :- – डॉ. दीपक आचार्य  उप निदेशक

उदयपुर – (सू०ज०का०)    बच्चे देश का भविष्य हैं और उन्हें सुनहरा कल प्रदान कर उनकी जिन्दगी को सँवारना समाज और देश के लिए सर्वाेपरि आवश्यकता है। इस दिशा में राज्य सरकार ने बाल अधिकारों के संरक्षण और बच्चों के विकास को लेकर बहुआयामी सार्थक प्रयास किए हैं जिनका असर भी सामने आ रहा है।

प्रदेश में अभिनव पहलBal Samvaad  (1) (1)

इन गतिविधियों को मूर्त रूप देने की दृष्टि से अन्य सभी प्रयासों के साथ ही राज्य सरकार की बजट घोषणा संख्या 111 वर्ष 2013-14 से बाल अधिकारों के संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए सम्पूर्ण भारत में पहली बार राजस्थान राज्य में 17 मई 2013 को स्वतंत्र विभाग के रूप में बाल अधिकारिता विभाग का गठन किया गया है।

राज्य में बाल अधिकारों एवं बच्चों के संरक्षण से सम्बन्धित अधिकारों, नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से सुनिश्चित करने और  देखभाल, संरक्षण की आवश्यकता एवं विधि से संघर्षरत की श्रेणी में आने वाले बच्चों को संरक्षण प्रदान करते हुए उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं।

बहुद्देश्यीय प्रयास

इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बाल अधिकारिता विभाग द्वारा वर्तमान में बच्चों से संबंधित कल्याणकारी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इनमें किशोर न्याय अधिनियम, 2000, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 आदि कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन पर निगाह रखने के साथ ही बच्चों से संबंधित योजनाओं व कार्यक्रमों यथा – समेकित बाल संरक्षण योजना, मुख्यमंत्री हुनर विकास योजना, फोस्टर केयर कार्यक्रम,दत्तक ग्रहण, राजकीय एवं गैर राजकीय बाल गृह संचालन, असिस्ट योजना, पहल योजना, प्रोत्साहन योजना आदि का संचालन किया जा रहा है।

बच्चों के सामाजिक सरोकारों पर जोर

बच्चों में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करने, बाल सहभागिता को बढ़ावा देने, उन्हें सामाजिक मूल्यों से अवगत कराने तथा विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सम्मिलित कर उन्हें सशक्त बनाते हुए समाज में बदलाव के लिए चेन्जमेकर (प्रेरक) के रूप में तैयार करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी ‘‘राजस्थान बाल सहभागिता दिशा-निर्देश, 2014 के प्रभावी क्रियान्वयन में बाल अधिकारिता विभाग समर्पित प्रयासों में जुटा हुआ है।

बच्चों का नेटवर्क होगा चाइल्ड राइट्स क्लब

बाल कल्याण की इसी श्रृंखला में राजस्थान में अभिनव पहल के अन्तर्गत प्रत्येक विद्यालय/छात्रावास/ बालगृृह में बच्चों की उम्र/कक्षा के अनुसार चाइल्ड राइट्स क्लब स्थापित किए जा रहे हैं। इन क्लब्स के माध्यम से बच्चों को विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा जायेगा तथा उन्हें उनके अधिकारों एवं सुरक्षित रहने के संबंध में भी विभिन्न जानकारी दी जाएगी। ये चाईल्ड राईट्स क्लब बच्चों की आवाज के रूप में कार्य करेंगे तथा इनके माध्यम से बालक-बालिकाओं परस्पर संवेदनशीलता एवं समुदाय में बालिकाओं की महत्ता विस्तार पर कार्य किया जाएगा।

सप्ताह के दो अंतिम कालांश निर्धारित

प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा भी बाल अधिकार एवं बाल संरक्षण को महत्वपूर्ण मानते हुए प्रदेश के सभी विद्यालयों को पाबन्द किया गया है कि सप्ताह के अंतिम दिवस के अंतिम 2 कालांश में बच्चों को बाल संरक्षण एवं बाल अधिकार के मुद्दों पर जानकारी दें। शिक्षा विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में शिविरा में भी जानकारी भी प्रकाशित की गई है।

जयपुर में 21 तारीख को राज्यस्तरीय बाल संवाद कार्यक्रम

बाल अधिकारिता विभाग द्वारा राजस्थान बाल सहभागिता कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 21 नवंबर, शनिवार को रवीन्द्र मंच, जयपुर में राज्यस्तरीय बाल संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में बाल अधिकारिता विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारीगण एवं लगभग 500 चिह्नित बच्चे भाग लेंगे। कार्यशाला में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री अरुण चतुर्वेदी मुख्य अतिथि तथा शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। राज्य स्तरीय “बाल संवाद” कार्यशाला के माध्यम से बाल अधिकार एवं बाल संरक्षण के सम्बन्ध में सीधे बच्चों से जुड़कर उन्हें उनके अधिकारों एवं बाल संरक्षण के विषय में जानकारी दी जायेगी।

पाँच लाख बच्चों को जोड़ने का लक्ष्य

 बाल अधिकारिता विभाग की निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव हंसा सिंह देव के अनुसार वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में प्रति जिला 55चाइल्ड राइट क्लब का गठन  का लक्ष्य जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया गया है। वर्ष 2015-16 में विभाग द्वारा विद्यालयों/बाल गृहों/छात्रावासों के लगभग 5 लाख बच्चों से जुड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बाल अधिकारिता विभाग द्वारा अब तक जिला मुख्यालय स्तर पर 1 हजार 296विद्यालयों को चाइल्ड राइट क्लब गठन की दृष्टि से  चिह्नित किया जा चुका है जिनमें से अब तक 516 विद्यालयों में चाइल्ड राइट क्लब का गठन किया जा चुका है तथा शेष में गठन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

क्लब गठन का दौर जारी

निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव हंसा सिंह देव बताती हैं कि बाल अधिकारिता विभाग के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार अब तक कुल 516क्लब का गठन हो चुका है। इनमें जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा 162 तथा गैर सरकारी संगठनों के द्वारा 354 क्लब गठित किए गए हैं। विभाग द्वारा प्रथम चरण में कुल 2 हजार 500 विद्यालयों में 62 हजार 500 कोर ग्रुप के बच्चों को विभाग द्वारा निर्मित पुस्तिका के माध्यम से पीटीआई/प्रधानाचार्य बच्चों को बाल अधिकार व बाल संरक्षण पर जानकारी/जागरूकता प्रदान करेंगे।

बाल संवाद पर अनूठी पुस्तिका जगाएगी चेतना

बाल अधिकारिता विभाग द्वारा प्रत्येक विद्यालय के कोर ग्रुप के 25 बच्चों के लिए 90 पृष्ठ की पुस्तिका “बाल संवाद” तैयार की गई है,जिसमें चाईल्ड राईट क्लब, बाल अधिकार, बाल श्रम, चाईल्ड लाईन, बाल विवाह, बाल शोषण, बच्चों की गुमशुदगी, बाल तस्करी, बाल भिक्षावृत्ति,पालनहार योजना, बाल अधिकारों आदि का संक्षिप्त विवरण समाहित है। यह पुस्तिका प्रत्येक स्कूल के 25 बच्चों तथा विद्यालय के शारीरिक शिक्षक  को उपलब्ध करवाई जाएगी।

बाल अभिव्यक्ति निखार का सशक्त प्रयास

संबंधित विद्यालय के पी.टी.आई. द्वारा चाईल्ड राईट क्लब से  सम्बन्धित बच्चों को इन सभी विषयों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस पुस्तिका में बहुत ही मनोरंजक तरीके से इन विषयों पर छोटे-छोटे प्रश्न पूछे गए हैं। बच्चों की अभिरुचि एवं अभिव्यक्ति से संबंधित इन लिखित जवाबों  से भरे प्रपत्र क्लब के प्रभारी (पीटीआई) द्वारा एकत्रित किया जाकर बाल अधिकारिता विभाग को भिजवाये जाएंगे।

बाल अधिकारिता विभाग द्वारा चाइल्ड राइट क्लब के बच्चों के लिए प्रथम चरण में 62,500 पुस्तकों का मुद्रण करवाया गया हैंं। जयपुर में 21नवंबर को होने वाली कार्यशाला में बच्चों एवं प्रभारी (पी.टी.आई.) के लिए करीब 48 हजार  बाल संवाद पुस्तिकाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।

विभाग द्वारा प्रत्येक विद्यालय में चाइल्ड राइट क्लब के साथ की जाने वाली गतिविधियों का एक्शन प्लान भी बनाया गया है। आशा की जानी चाहिए कि राजस्थान में बाल अधिकारों के संरक्षण तथा बच्चों के सुनहरे भविष्य की दृष्टि से बाल अधिकारिता विभाग के प्रयास ऎतिहासिक उपलब्धियों भरे एवं नए आयाम स्थापित करने वाले सिद्ध होंगे।

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