पीलीभीत सिख युवाओं के जनसंहार के लिए दोषी है तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह – रिहाई मंच

पीलीभीत सिख युवाओं के जनसंहार के लिए दोषी है तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह – रिहाई मंच
लखनऊ  –(तारीख शफिक) —–  खालिस्तानी आतंकवादी कहकर 1991 में पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मारे गए पीलीभीत के सिख युवकों के परिजनों से रिहाई मंच व एपीसीआर के एक दल ने मुलाकात की।
रिहाई मंच ने कहा कि बाबरी मस्जिद के गुनहगार तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नीति भाजपा सरकार जिसने बेगुनाह सिखों के जनसंहार को जायज ही नहीं ठहराया था बल्कि तत्कालीन एसपी आरडी त्रिपाठी व उनके अन्य सहयोगी हत्यारे पुलिस वालों को पुरस्कृत भी किया था को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।1
मंच ने कहा कि जिस तरह से हाशिमपुरा में मुस्लिम युवाओं को चुन-चुनकर कत्ल के लिए ले जाया गया हो या फिर 1991 में पीलीभीत में सिख युवाओं को चुन-चुनकर मारा गया यह वो मनुवादी जेहनियत है जो नस्लीय आधार पर अल्पसंख्यकों का जनसंहार करती हैं। मंच ने एनआईए अधिकारी तंजील अहमद की हत्या को यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का परिणाम बताया।
1991 में हाई स्कूल के छात्र रहे लखविंदर सिंह जिनकी फर्जी मुठभेड़ में पुलिस ने हत्या कर दी थी, के भाई बलकार सिंह से पीलीभीत के अमरिया कस्बे में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, शरद जायसवाल, शकील कुरैशी और एपीसीआर के मुशफिक रजा खान ने मुलाकात की।
नेताओं ने बताया कि बलकार सिंह अपने भाई व अन्य बेगुनाहों के कातिल 47 पुलिस वालों की सजा को अधूरा न्याय मानते हैं और उनकी मांग हैं कि इस घटना के लिए दोषी तत्कालीन एसपी आरडी त्रिपाठी व अन्य आला अधिकारियों को भी सजा दी जाए। बलकार सिंह ने कहा कि बेगुनाह सिख युवकों को आतंकवादी कहकर फर्जी मुठभेड़ में मारने की साजिश रचने वाले एसपी आरडी त्रिपाठी ने मेरठ में भी इसी तरह हिंदू-मुस्लिम तनाव करवाकर बेगुनाहों को मरवाया था।
मंच ने कहा यह अधूरा फैसला है और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ऐसी नाइंसाफियां जिनमें उनके मासूम बच्चों को गोलियों से भून दिया जाता हो लोकतंत्र को कमजोर करता है। इस इंसाफ की लड़ाई के मुकम्मल होने तक रिहाई मंच पीडि़त परिवारों के साथ खड़ा रहेगा।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अदालत ने फैसले में कहा है कि यह ‘कोल्ड ब्लड मर्डर’ इसलिए हुआ कि पुलिस को विश्वास था कि मौजूदा सरकार द्वारा उसको इस कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाएगा और उन्हें पदोन्नति मिलेगी जो यह साफ करता है कि तत्कालीन भाजपा सरकार सिखों के इस जनसंहार के लिए बराबर की दोषी है।
पीलीभीत के बेगुनाह सिख युवकों को आतंकवादी कहकर फर्जी मुठभेड़ में मारने वाले पुलिस वालों के खिलाफ फैसला आने के बाद जिस तरह से उन्होंने न्यायालय में नारे लगाए उसने साबित किया है कि कानून के राज को स्थापित करने वालों की कानून में कोई आस्था नहीं है। वहीं इस घटना के दोषी तत्कालीन पीलीभीत एसपी आरडी त्रिपाठी जिन्हें बचाया गया, उन्होंने जिस तरह से सिख युवकों की बेगुनाही साबित होने के बाद भी उन्हें आतंकवादी कहा ठीक इसी तरह खालिद मुजाहिद जिन्हें आरडी निमेष कमीशन ने निर्दोष कहा है की हत्या के बाद तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह ने उन्हें आतंकी कहा, वह अल्पसंख्यकों के प्रति हमारी पुलिस की सांप्रदायिक जेहनियत को उजागर करता है।
1991 से पहले भी आरडी त्रिपाठी पर मेरठ में 1982 व 1987 की सांप्रदायिक हिंसा में तत्कालीन सरकारों के सहयोग से हिंसा रचने का आरोप पहले भी लग चुका है। जिसमें त्रिपाठी ने पाकिस्तान परस्ती के झूठे आरोपों के नाम पर मुस्लिम युवाओं की हत्या करवाई थी।
मंच ने आरोप लगाया कि पिछले 35 सालों में यूपी में बनी तमाम सरकारें चाहें वह कांग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा की रही हों उन सभी ने आरडी त्रिपाठी को बचाने का काम किया। जिसका सबूत है कि कभी भी इन घटनाओं के लिए आरडी त्रिपाठी पर कार्रवाई तो दूर कभी कोई पूछताछ तक नहीं हुई, बल्कि सभी सरकारों में उनको प्रमोशन मिलता रहा।
रिहाई मंच नेता गुंजन सिंह ने सवाल किया कि बिना एसपी या किसी अन्य जिला या उसके ऊपर के आला अधिकारी की संलिप्तता के बिना यह संभव ही नहीं है कि तीन-तीन थानों की पुलिस एक जगह से सिक्ख युवकों को ले जाकर फर्जी मुठभेड़ में मारने की साजिश कर सके। इस बात के पूरे सबूत भी बेगुनाह सिख युवकों के वकील ने दिए थे कि आरडी त्रिपाठी ने पुलिस लाइन में मीटिंग की थी। इससे खुफिया विभाग की भूमिका भी संदिग्ध हो जाती है।
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)
09415254919

Related post

VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज  : सुप्रीम कोर्ट

VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ…
किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

फूलदेव पटेल–(मुजफ्फरपुर)—-“हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है. खेतों में सिंचाई…
लोकसभा निर्वाचन-2024 छह लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में मतदान 26 अप्रैल

लोकसभा निर्वाचन-2024 छह लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में मतदान 26 अप्रैल

लोकसभा निर्वाचन-2024 के दूसरे चरण में प्रदेश के छह लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में शुक्रवार, 26 अप्रैल…

Leave a Reply