• March 1, 2016

पानी की चाहत और संरक्षण का परचम :- – कल्पना डिण्डोर

पानी की चाहत और संरक्षण का परचम :- – कल्पना डिण्डोर

बांसवाड़ा (जि०सू०ज०) —–राजस्थान के ठीक दक्षिणी हिस्से में पहाड़ियों वाले जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले में इन दिनों मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की गूंज है।
ग्रामीण अंचलों में गांव का पानी गांव में रोके रखने और गांवाई जल भण्डारों को फिर से आबाद करने के साथ ही नवीन जल स्रोतों एवं जल संरचनाओं के सृजन का काम जोरों पर चल रहा है।CM
इन कार्यों में गांवों के लोग पूरे मन से जुटे हुए हैं। इन लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत सरकार जो कुछ कर रही है वह गांव के लोगों के लिए, गांव की भलाई के लिए कर रही है और इसका फायदा हर ग्रामीण को होगा, हर मवेशी को पीने का पानी मिलेगा, पक्षियों तक की प्यास बुझेगी।
गांव का पानी गांव में लम्बे समय तक भरा रहेगा। इससे गांव में पानी की समस्या का हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।  पर्याप्त जल भराव की स्थिति में सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध होगा जिससे खेती-बाड़ी के विकास को भी संबल मिलेगा।
आर्थिक विकास के द्वार तक दस्तक
इससे ग्रामीणों की आर्थिक समृद्धि का ग्राफ ऊँचा होगा और ग्रामीण विकास के कई नए-नए द्वार भी खुलेंगे। कुल मिलाकर जनजाति अंचलों के गांवों में इन दिनों हर तरफ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का संदेश इतना पसरा हुआ है कि हर ग्रामीण की जुबाँ पर यह अभियान छाया हुआ है।
जनजाति बहुत बांसवाड़ा जिले में इस अभियान के प्रति आम ग्रामीणों की समझ विकसित करने और उन्हें जल संरक्षण के कामों में प्रेरित करने के लिए कला जत्थों का अहम् योगदान रहा है।
लोक लहरियों ने बनाया प्रेरक माहौल
कला जत्थों से जुड़े लोक कलाकारों ने गांव-ढाणियों, दूरदराज के पर्वतीय क्षेत्रों, पालों-फलोें और मजरों तक में जाकर स्थानीय वागड़ी बोली में पानी के संकट की वजह से लोक जीवन पर आने वाली समस्याओं का चित्रण अपने गीत-नृत्यों और संवादों से किया और लोगों के यह समझाया कि यह अभियान उनके लिए ही है और इसका पूरा-पूरा उपयोग उन्हीं के लिए होगा।
ग्रामीणों को अभियान में निर्धारित कामों तथा बरसाती पानी के पूरे चक्र के बारे में इतने गहरे तक बताया गया कि हर ग्रामीण के दिमाग में पक्की तरह यह जंच गया कि अब गांव का पानी गांव में रुके, ऎसी स्थिति लाए बगैर गांव का भला नहीं हो सकता।
कला जत्था के कार्यक्रमों में भी बड़ी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने जल संरक्षण गतिविधियों में तन-मन और धन से भागीदारी का संकल्प लिया। आंचलिक भाषा शैली में परंपरागत वागड़ी गीत, नृत्यों और पारस्परिक संवादों ने गाँव-गाँव अभियान का माहौल बनाया और उसी वजह से आज बांसवाड़ा जिले भर में यह अभियान ग्रामीणों का अपना अभियान बन चला है।
मीलों तक पहुंचा पानी बचाओ का पैगाम
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के बारे में जनजाति अंचलों में दूर-दूर तक व्यापक प्रचार-प्रसार की दृष्टि से हिन्दुस्तान भर में आदिवासियों के महाकुंभ के रूप में मशहूर बेणेश्वर महामेला लोकचेतना का महामेला भी साबित हुआ। इसमें लोक कलाकारों ने अभियान के बारे में अपनी लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिये खासी धूम मचायी और हजारों मेलार्थियों के माध्यम से वागड़ अंचल ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक जल संरक्षण का पैगाम पहुंचाया।
आंचलिक शैली खूब भा रही जन-जन को
इन कलाकारों ने  वागड़ी बोली में भजनों, गीत-नृत्यों ,नुक्कड़ नाटकों आदि तमाम विधाओं पर अपने रंगारंग कार्यक्रम  पेश किए और मेलार्थियों को इस अभियान के बारे में अवगत कराया। इन कलाकारों ने पानी बचाने के लिए मिल-जुलकर काम करने, अपने गांव का बरसाती पानी गांव में ही रोके रखने, परंपरागत जलस्रोतों की साफ-सफाई व उन्हें हमेशा आबाद रखने, पानी के उपयोग में संयम बरतने आदि के संदेश दिए । मेलार्थियों के साथ वागड़ी में सीधे संवाद करते हुए उनके गांव में पानी की स्थिति व समस्या की जानकारी लेकर इसके समाधान की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।
इन लोक कलाकारों ने दौड़ते जल को चलाना सिखाने,  चलते जल को रेंगना सिखाने, रेंगते जल को रुकना सिखाने व रुके जल का भूमि में समाहित करने के बारे में गीत, नाटक व संवाद के माध्यम से जानकारी दी और बेणेश्वर मेले में अपनी प्रस्तुतियों के जरिये आकर्षण जगाया।
आदिवासी कलाकारों ने दिखाया कमाल
वागड़ लोक विकास संस्थान के मशहूर कलाकार एवं संस्थापक शिवनाथ रावल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को लेकर इन कलाकारों ने व्यापक जन जागरण के उद्देश्य से सांस्कृतिक कार्यक्रम दिए।  इस दौरान आदिवासी लोक कलाकारों बन्सीलाल, प्रेमनाथ, प्रकाश, भैरुलाल,शम्भूलाल, गटूलाल, भामजी व मकन मकवाना के कार्यक्रमों ने मेले में धूम मचाये रखी।
मेले-पर्वों में अभियान की गूंज
आदिवासी क्षेत्रों में हर माह कहीं न कहीं मेले-पर्व और उत्सवों का माहौल बना रहता है। इन सभी में लोक कलाकारों द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के बारे में व्यापक लोक जागरण का दौर बना हुआ है। इससे पूरे क्षेत्र में यह अभियान लोक जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है।
जनजाति क्षेत्रों में उत्साह का माहौल
जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों  में जबरदस्त उत्साह का माहौल है और हाथ में लिये गये काम तय शुदा समय में पूरे करने के लिए सभी लोग पूरा दमखम लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन कार्यो की लगातार  मानिटरिंग का सुदृढ़ तंत्र विकसित किया गया है और इससे रोजाना की प्रगति पर निगाह रखी जा रही है।
खुद जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित रोजाना जिले का दौरा कर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान गतिविधियों  का जायजा लेने के साथ ही जल्द से जल्द काम पूरा करने को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश  भी दे रहे हैं। इनकी इस पहल की बदौलत पूरी की पूरी सरकारी मशीनरी भी मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन  के कार्यो को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए समर्पित ढंग से जुटी हुई है।
खुशहाली का अभियान है यह
जिला कलक्टर  राजपुरोहित की गढ़ी तहसील अन्तर्गत ग्राम पंचायत पनासी छोटी में हुई यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने वहां बन रहे एनिकट को लेकर प्रसन्नता का इजहार किया और कहा कि गांव में यह अच्छा काम हो गया है। इससे बरसात का पानी रुकेगा जिससे जल समस्या से राहत मिलेगी और मवेशियों  को भी पानी  भी उपलब्ध हो सकेगा। गांवों में सभी जगह अभियान के कार्यों को लेकर व्यापक उत्साह का माहौल है। आम ग्रामीणों की नज़र में यह अभियान ग्राम्य जीवन में खुशहाली का अभियान है।

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