• May 18, 2017

पक्षी संरक्षण का संदेश–पक्षियों का विलुप्त होना गंभीर चिंता का विषय

पक्षी संरक्षण का संदेश–पक्षियों का विलुप्त होना गंभीर चिंता का विषय

बहादुरगढ़, 18 मई———- बच्चों को पर्यावरण व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बृहस्पतिवार को जिला प्रशासन की ओर से शहर के सैक्टर 6 स्थित सामुदायिक केंद्र में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। 1

कार्यशाला का शुभारंभ एसडीएम बहादुरगढ़ जगनिवास ने किया। कार्यशाला में पर्यावरणविद् राकेश खत्री विशिष्ठ अतिथि के तौर पर पहुंचे और उन्होंने विभिन्न स्कूल से आए बच्चों को पर्यावरण के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेवारी निभाने के लिए प्ररित किया।

एसडीएम जगनिवास ने बताया कि जिला झज्जर की झिलमिल झज्जर मुहिम में जहां शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों को पूर्णतया खुले में शौच मुक्त करने का कार्य किया गया है इसी कड़ी में बच्चों के माध्यम से पक्षियों के संरक्षण के प्रति भी उन्हें सजग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाव व अतिरिक्त उपायुक्त डा.नरहरि बांगड़ के मार्गदर्शन में इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन कर समाज में जागृति लाने के सफलतम कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

कार्यशाला के माध्यम से बच्चों को प्रख्यात पर्यावरणविद् राकेश खत्री द्वारा घौंसले बनाने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाना पक्षी प्रेम व पर्यावरण प्रहरी के रूप में बच्चों को जागरूक करने की सार्थक पहल है। उन्होंने श्री खत्री का स्वागत करते हुए पर्यावरण की दिशा में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाने का विश्वास दिलाया।

पर्यावरणविद् राकेश खत्री ने बच्चों के साथ विचार सांझे किए और कहा कि आज हमारे जंगल तथा आस-पड़ोस से पक्षियों का चहचहाना कम हो गया है। जिन पक्षियों के चहचहाने से सुबह होने का पता चलता था। आज वे पक्षी विलुप्त होने के कगार पर हैं।

उन्होंने गोरैया चिडिय़ा का जिक्र करते हुए कहा कि इन चिडिय़ों से हमारे आस-पास गंदगी से सफाई मिलती थी। खतरनाक कीट पतंगों को खाकर हमें अनेक बीमारियों से बचाने वाली चिडिय़ों को हमें बचाना होगा। पक्षियों के संरक्षण के प्रति सभी को संयुक्त रूप से आगे आना होगा तभी हमारा पर्यावरण साफ रहेगा। 2

उन्होंने कहा कि पक्षी हमारे पर्यावरण का एक अहम हिस्सा है। पर्यावरण को बचाने में पक्षी तीन तरह की भूमिका निभाते हैं। कुछ पक्षी प्रकृति की कुछ चीजों का फैलाव करते है, जैसे बीजों का फैलाव इससे पौधों का विस्तार होता है।

कुछ पक्षी ऐसे कीटों और पतंगों को खा जाते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। तीसरा पक्षी प्रदूषण के प्रभाव के अच्छे संकेतक होते हैं। पक्षियों का विलुप्त होना गंभीर चिंता का विषय है। ऐसेमें इस प्रकार की कार्यशालाएं निश्चित तौर पर सकारात्मक कदम हैं।

पर्यावरण प्रेमी मोनिका कपूर ने भी बच्चों से सीधा संवाद करते हुए घौंसलों को बनाने की विधि बताई और कहा कि बच्चों की पहल पक्षी प्रेमी के रूप में विकसित करने के लिए वे निरंतर कार्यशालाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में जिम्मेवारी निभा रही हैं।

इस मौके पर बीडीपीओ रामफल सिंह, बीईओ मदन लाल चोपड़ा, हरदयाल स्कूल की निदेशिका अनुराधा यादव सहित अन्य शिक्षकगण व विद्यार्थी मौजूद रहे।

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