• April 1, 2016

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सुझाव

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सुझाव

जयपुर —————————— राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुश्री स्तुति कक्कड़ ने कहा कि बच्चों के लिए सुरक्षित, संरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है।DSC_0029

उन्होंने शिक्षाविदो,शिक्षकों, शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रतिनिधियों को नई शिक्षा नीति पर आयोजित किए गए इस परामर्श को सफल बनाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि सीपीसीआर अधिनियम 2005 के अंतर्गत बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में एन.सी.पी.सी.आर. को विद्यमान नीतियों की समीक्षा करने और प्रासंगिक सिफारिशें करने के लिए अधिदेश (मेन्डेट) दिया गया है।

इस भूमिका का निर्वहन करने के लिए देश के चार अंचलों में एक द्विवसीय क्षेत्रीय परामर्श आयोजित किया जा रहा है। इन परामर्शाे का उद्देश्यों ऎसे शिक्षाविदों और व्यवसायियों को एक मंच पर लाना है, जो विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहें है ताकि नई शिक्षा नीति पर विचार विमर्श किया जा सके और उसे सुदृढ़ बनाने के लिए समुचित सिफारिशें प्राप्त की जा सके। सुश्री कक्कड़ ने यह बात गुरूवार को यहां राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान में नई शिक्षा नीति पर आयोजित एक-दिवसीय परामर्श कार्यक्रम में कही ।

आयोग के सदस्य श्री यशवंत जैन ने बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा  प्रदान किये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए बालिकाओं की शिक्षा पर बल दिया। आयोग के सदस्य श्री प्रियंक कानूनगो ने कहा कि इन परामर्शाें को नई शिक्षा नीति को बेहतर बनाने में शामिल किया जाएगा।

उन्होंनेे कहा कि ‘‘नीतियां पीढ़ियों के लिए बनती है तथा हम  सब आने वाली पीढ़ियों के लिए नई शिक्षा नीति तैयार करने में अपने सुझाव प्रस्तुत करें।  इस अवसर पर बाल श्रम से मुक्त कराये गए दो बच्चों सुमित एवं इम्तियाज का अभिनंदन भी किया गया।

परामर्श कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने माने शिक्षाविद् श्री अतुल कोठारी ने नैतिक शिक्षा को शिक्षा का मुख्य आधार बताते हुए कहा कि शिक्षा को जीवकोपार्जन न मानकर सुसंस्कारित व्यक्तित्व के निर्माण का साधन माना जाए। श्री कोठारी ने कहा कि नीति में सर्वप्रथम शिक्षा के उद्देश्य की स्पष्टता होनी चाहिए।

उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचार के अनुसार छात्रों का चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का विकास शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए साथ ही शिक्षा मूल्य परक होनी चाहिए, शिक्षा मातृ भाषा में होनी चाहिए, शिक्षा स्वायत्त होनी चाहिए, शिक्षा में व्यवहार और सिद्वान्त का समन्वय होना चाहिए, खेल एवं शारीरिक शिक्षा को शिक्षा प्रणाली में प्राथमिकता देनी चाहिए, शासकीय विद्यालयों का गुणवत्ता विकास नई शिक्षा नीति में प्राथमिकता का कार्य होना चाहिए।

उन्होनें सरकार के साथ-साथ समाज सेे भी शिक्षा के परिवर्तन में अपनी भूमिका का निवर्हन करने के लिए सक्रिय होने का आह्वान किया। इन परामर्शो में आयोग द्वारा कुल 13 विषयों एवं प्रसंगों पर चर्चा की गई। ओ.टी. एस में आयोजित इस परामर्श में कुल 5 विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सत्रों में विचार विमर्श किया गया।

इन 5 विषयों में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा की पहुंच का विस्तार करना, व्यवसायिक शिक्षा को सुदृढ करना, विद्यालय परीक्षा प्रणाली में सुधार ,विद्यालयों और प्रौढ शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली का विकास करना एवं स्कूलों में बाल स्वास्थ्य एवं बाल सुरक्षा पर ध्यान केन्दि्रत शमिल हैं।

देश के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ0 जितेन्द्र नागपाल ने विद्यालयों में बच्चों के मनःस्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं एवं इससे शिक्षा पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया तथा इसके प्रभावी समाधान की भी जानकारी दी। उन्होंने विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा पर दिशा निर्देशों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर भी जानकारी प्रदान की। परामर्श की मुख्य विशेषता जयपुर की पृष्ठभूमियों के विभिन्न विद्यालयों से आए बच्चों को समर्पित विशेष सत्र था।

बच्चों ने अपने मुद्दों और चिंताओं को साझा किया तथा प्रासंगिक प्रश्न उठाए और वर्तमान शिक्षा प्रणाली के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए। बच्चों द्वारा उठाए गए विषयों में  विद्यालयों में प्रयुक्त होने वाली यूनिफार्म में एकरूपता लाने संबंधी विचार मुख्य था। इस परामर्श में बच्चों की शिक्षा संबंधी कई महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए जिन्हे आयोग 20 अप्रेल, 2016 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजेगा।

इस संदर्भ में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा परामर्शों की एक श्रृंखला आयोजित की गई है। अब तक आयोग द्वारा गोवा में पश्चिमी क्षेत्र के लिए एवं तिरूपति में दक्षिणी क्षेत्र तथा रांची झारखण्ड में पूर्वी क्षेत्र के लिए तीन परामर्शों का आयोजन किया जा चुका है। इस परामर्श में उत्तर भारत के आठ राज्याें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, चंडीगढ एवं राजस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इसका उद्देश्य भारत सरकार द्वारा बनाई जा रही नई शिक्षा नीति में परामर्श के माध्यम से प्राप्त सुझावों को सम्मिलित कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को भेजना है। —

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