• March 20, 2015

जल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण: सौ की आबादी पर लगाए जाएंगे हैंडपंप और सार्वजनिक नल

जल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण: सौ की आबादी पर लगाए जाएंगे हैंडपंप और सार्वजनिक नल

जयपुर – जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता तक शुद्घ पेयजल पहुंचाने के लिए कटिबद्घ है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल आपूर्ति के सुदृढ़ीकरण के कार्य करेगी।

उन्होंने कहा कि पहले चरण में दो हजार जनता जल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण होगा। साथ ही उन्होंने हैंडपंप और सार्वजनिक नल लगाए जाने के मापदंड बदलने की घोषणा करते हुए कहा कि अब 250 के स्थान पर 100 की आबादी वाले हर गांव-ढाणी में हैंडपंप और सार्वजनिक नल (पीएसपी) लगाए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस वर्ष 564 गांवों और 307 ढाणियों को सतही जल से जोड़कर शुद्घ पेयजल उपलब्ध कराएगी।

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री सदन में मांग संख्या-27  पेयजल पर हुई बहस का जवाब दे रही थीं। बहस के बाद सदन ने विभाग की 62 अरब 1 करोड़ 74 लाख 26 हजार रुपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दीं। इससे पहले श्रीमती माहेश्वरी ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि मांगों के संबंध में 240 कटौती प्रस्ताव सदन में आए हैं, उनका अध्ययन कराकर जवाब भिजवाया जाएगा और आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान में भू-जल का दोहन 135 प्रतिशत है और भू-जल के अति दोहन से आज 243 में से 25 ब्लॉक ही सुरक्षित हैं, जबकि 20 संवेदनशील हैं तथा 196 ब्लॉक डार्क जोन में हैं। साथ ही राज्य में 23 हजार 257 ग्राम ढाणियों के भू-जल में अधिक फ्लोराइड व सेलिनिटी है।

देश मेें 84 प्रतिशत खारे पानी से प्रभावित, 54 प्रतिशत फ्लोराइड के पानी से प्रभावित एवं 55 प्रतिशत नाइट्रेट के पानी से प्रभावित गांव व ढाणियां हमारे राज्य में हैं। उन्होंने कहा कि इतनी विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए हमारी सरकार दृढ़ संकल्पित हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी तक सतही स्रोत पर आधारित 109 वृहद् पेयजल परियोजनाओं की स्वीकृति की गई है जिनमें से 38 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी है, जबकि 67 परियोजनाओं के विभिन्न चरणों में कार्य चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में पांच वृहद परियोजनायें बाड़मेर सी क्लस्टर, बाड़मेर डी क्लस्टर स्कीम, भेंसरोडग़ढ़, बीसलपुर जयपुर फिजिबिलिटी स्टडी एवं बनास के डाउन स्ट्रीम में ईसरदा बांध के निर्माण की भी स्वीकृति की गई, जिनकी राशि लगभग 1734.78 करोड़ रुपए है।

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने 5 वर्षो में नागौर लिफ्ट पेयजल परियोजना-द्वितीय चरण पर 2 हजार 938 करोड़ रुपए की स्वीकृति के विरुद्घ मात्र 16 करोड़ 62 लाख रुपए ही व्यय किए। उन्होंने कहा कि अब हमारी सरकार ने इसको बहुत गम्भीरता से लिया और इसके लिए समयबद्घ कार्य योजना बनाई है। शेष बचे हुए कार्य की निविदाएं प्राप्त कर ली गई है एवं हम अपे्रल-2018 तक इस योजना को पूर्ण करने के लिए कटिबद्घ हैं।

श्रीमती माहेश्वरी ने भीलवाड़ा जिले में पेयजल परियोजना के विषय में कहा कि इस योजना के पूरे कार्य की मुख्यमंत्री एवं उनके स्तर पर समीक्षा की गई है ताकि शीघ्र ही भीलवाड़ा जिले के सभी लोगों को पेयजल मिल सके। उन्होंने बताया कि भैंसरोडग़ढ़ के 38 गांव व 17 ढाणियों के लिए भी 50 करोड़ 73 लाख रुपए की योजना भी स्वीकृत की गई हैं। उन्होंने जोधपुर एवं जालौर में भी पेयजल परियोजनाओं को समयबद्घ रूप से पूर्ण कराने का आश्वासन दिया।

जयपुर शहर में पेयजल परियोजना के विषय में श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि बीसलपुर परियोजना का पानी वर्तमान सरकार के पूर्व कार्यकाल में जयपुर को मिला, लेकिन आज भी जयपुर शहर का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पाइप्ड व्यवस्था से जुड़ा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इसे गम्भीरता से लिया है और हमने बचे हुए पानी को बीसलपुर से जयपुर लाने हेतु डीपीआर बनाने के लिए 2 करोड़ 78 लाख रुपए की राशि इसी वर्ष स्वीकृत की है। इस कार्य की निविदाएं आमंत्रित कर ली गई है।

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के सुदृढ़ीकरण के अन्य कार्यों की भी विस्तार से जानकारी दी। पानी की गुणवत्ता के विषय में उन्होंने कहा कि शुद्घ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में 700 आरओ प्लांट्स लगा दिए हैं और इस वर्ष दो हजार और आरओ प्लांट्स लगाए जाएंगे। उन्होंने जानकारी दी कि अभिनव प्रयोग के तौर पर एक हजार सोलर नलकूप ऐसे क्षेत्रों में लगाए जाएंगे जहां बिजली की उपलब्धता नहीं है।

श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि पेयजल से संबंधित शिकायतों का त्वरित समाधान करने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा कॉल सेन्टर की सेवाएं राज्य के सभी नागरिकों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई हैं। कॉल सेन्टर पर फोन नं. 1800 1806 088 पर नि:शुल्क फोन करके नागरिक पेयजल से संबंधित समस्याएं दर्ज कराई जा रही हैं।

सरस्वती नदी के विषय में श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान में हनुमानगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर, बीकानेर और जोधपुर जिलों के लगभग 25 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 543 किलोमीटर पेलियो चैनल के प्रवाह के प्रमाण अध्ययनविदो ने खोजे है। उन्होंने कहा कि भू-जल विभाग ने सरस्वती नदी के पुनर्जीविकरण एवं भू-जल प्रबन्धन हेतु 68 करोड़ 67 लाख रुपये की डीपीआर बनाकर भारत सरकार को भेजा गया है। उन्होंने घोषणा की कि हमारी प्राचीन धरोहर के पुनर्जीविकरण के लिए अन्वेषण एवं अनुसंधान कर चिन्हित प्रवाह क्षेत्र में 100 नलकूप खोदे जाएंगे।

 जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री द्वारा राज्य विधानसभा में की गई प्रमुख घोषणाएं :

क)      हैंडपंप और सार्वजनिक नल (पीएसपी) लगाए जाने के मापदंडों में परिवर्तन किया जाएगा और अब 250 के स्थान पर 100 की आबादी वाले गांव-ढाणियों में हैंडपंप और सार्वजनिक नल (पीएसपी) लगाए जाएंगे।

क)    ग्रामीण पेयजल की जीवन रेखा जनता जल योजना के तहत सरकार प्रथम चरण में 2000 जनता जल योजनाओं के सुदृढ़ीकरण का कार्य करेगी।

क)  सरकार इस वर्ष 564 गांव 307 ढाणियों को सतही जल से जोड़कर शुद्घ पेयजल उपलब्ध कराएगी।

क )   सूखे पड़े नलकूपों के स्थान पर नये नलकूप प्राथमिकता से प्रतिस्थापित किये जाएंगे।

क)   बीकानेर सम्भाग में नहरी क्षेत्र से आपूर्ति किये जाने वाले पेयजल हेतु बनी डिग्गियों के शुद्घिकरण हेतु 90 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इस संभाग में लगभग 150 योजनाओं के तहत 300 डिग्गीयां एवं 300 फिल्टर प्लान्ट्स की मरम्मत का कार्य इस वर्ष कराया जावेगा।

क)   डिग्गी एवं टंकियो की सफाई के सन्दर्भ में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन सुनिश्चित किया जाएगा।

क)   आने वाले समय में सभी विभागीय भुगतान ऑनलाइन ही किए जाएंगे जिससे विभागीय कार्यों की शत-प्रतिशत पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

क       विभाग की स्वीकृत पेयजल योजनाओं एवं कार्यों को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किये जाने के उद्देश्य से निविदा पूर्व मापदंडों में इस तरह संशोधन किया गया है कि अनुभवी एवं वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ संवेदक ही समयबद्घता एवं गुणवत्ता अनुसार कार्य का सम्पादन कर सकें।

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