गौ-वंश संरक्षण-आचार्य श्री विद्यासागर पुरस्कार

गौ-वंश संरक्षण-आचार्य श्री विद्यासागर पुरस्कार

भोपाल ——— मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि की गौ-वंश संरक्षण में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्था या व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। यह पुरस्कार आचार्यश्री विद्यासागर जी के नाम से स्थापित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री आज यहाँ लाल परेड मैदान पर विश्व अहिंसा दिवस और सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान आचार्य विद्यासागर जी महाराज और मुनि संघ के साथ अहिंसा रैली में शामिल हुए। उन्होंने आचार्यश्री की अगवानी की।

मुख्यमंत्री ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी और स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री का पुण्य-स्मरण किया। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी किसी एक धर्म के नहीं बल्कि मानवता के संत हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं पर विजय पा लेता है वही महावीर कहलाता है। कमजोर और कायर लोग न तो क्षमा माँग सकते हैं और न ही क्षमा कर सकते हैं।

केवल वीर व्यक्ति ही क्षमा माँग सकता है और क्षमा कर सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन जीना सीखना है तो महाराज जी से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल गुरू ही सही मार्गदर्शन कर पथभ्रष्ट होने से बचा सकता है। श्री चौहान ने कहा कि इस ब्रह्मांड में जन्में सभी जीवों और मनुष्यों को शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है।

श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार और समाज दोनों मिलकर गौ-शालाओं का संचालन कर गौ-संरक्षण का काम करेंगे। श्री चौहान ने बताया कि आचार्य विद्यासागर जी की “मूक माटी” को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। उन्होंने जाने-अनजाने में हुई अपनी गलतियों के लिए क्षमा माँगी।

आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने श्रद्धालुओं का आव्हान किया कि वे सच्चे श्रमिक और पुरुषार्थी बनें। उन्होंने कहा कि सच्चे श्रमिक के त्याग, तपस्या और समर्पण को किसान के जीवन से सीखा जा सकता है। वह श्रम करता है और परम सत्य के प्रति अपने श्रम को समर्पित कर देता है।

आचार्यश्री ने कहा कि अहिंसा एक निषेधात्मक शब्द है। यह हिंसा का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि अहंकार सभी विकारों की जड़ है। उन्होंने कहा कि अहिंसा का भाव प्रत्येक पल बना रहना चाहिये। यही वीर का गुण है। उन्होंने अपनी कृति ‘मूक माटी” के प्रसंगों का संदर्भ देते हुए कहा कि क्षमा से विकार दूर हो जाते हैं।

क्षमावाणी किसी एक दिन का अवसर नहीं है। यह जीवन में प्रतिपल घटित होने वाला पर्व है। उन्होंने कहा कि हम सब पथयात्री हैं। उन्होंने कहा कि शासक द्वारा दूसरों पर शासन करने के बजाए सामूहिक रूप से अनुशासित होना ज्यादा अच्छा है। उन्होंने कहा कि तपस्या, त्याग और पुरुषार्थ जीवन के साथ होना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि शिक्षा अपने आप में कोई वस्तु नहीं है। यह कर्मों के बारे में और इससे संबंधित होती है। पाश्चात्य प्रभाव की शिक्षा भारत का भला नहीं करेगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं श्रीमती साधना सिंह ने आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किये। इस अवसर पर आचार्य श्री के प्रवचनों पर आधारित विशेषांक का विमोचन किया गया।

वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया, पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा, पूर्व मंत्री श्री बाबूलाल जैन, सांसद श्री आलोक संजर, विधायक श्री ओमप्रकाश सखलेचा, भोपाल महापौर श्री आलोक शर्मा, संभाग आयुक्त श्री अजातशत्रु, भोपाल कलेक्टर श्री निशांत वरवड़े, श्रीमती सुधा मलैया और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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