• April 19, 2018

‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ को अपनाने की आवश्यकता -परिवहन मंत्री

‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ को अपनाने की आवश्यकता -परिवहन मंत्री

जयपुर—– परिवहन एवं सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री यूनुस खान ने कहा है कि अगर सभी राज्य परिवहन क्षेत्र में क्रियान्वयन योग्य मुद्दों पर ‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ के आधार पर आम सहमति से आगे बढें तो देशभर में न सिर्फ आम आदमी को इस क्षेत्र में बड़ी राहत प्रदान की जा सकती है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं पर भी प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।
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एक प्रयास केन्द्रीय ‘मोटर व्हीकल एक्ट-1988’ में जीओएम की अनुशंसाओं पर आधारित ‘मोटर वाहन विधेयक-2017 (संशोधन)’ के जरिए सुधार लाने से सम्बन्धित है। लोकसभा द्वारा पारित इस विधेयक के राज्यसभा से पारित होने पर यह परिवहन क्षेत्र में प्रभावी सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम होगा जिसका फायदा हर राज्य मिलेगा।

श्री खान गुरूवार को असम के गुवाहाटी शहर स्थित होटल रेडिसन ब्लू में मंत्री समूह की छठी बैठक की अध्यक्षता करते हुए सम्बोधित कर रहे थे। श्री खान ने कहा कि विभिन्न राज्यों में परमिट, लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क, वाहन के करों में अन्तर जैसे विभिन्न मुद्दों पर विचार कर निर्णय किया जाना आवश्यक है। विभिन्न राज्योें के मध्य निजी वाहनों में कर में अन्तर के कारण वाहन चालकों में कम टेक्स वाले राज्य में वाहन खरीद और पंजीकरण का चलन रहता है। इसलिए करों के अन्तर को न्यूनतम किया जाना चाहिए।

इसी प्रकार पर्यटक बसों के निर्बाध परिवहन को सुनिश्चित किए जाने के लिए विभिन्न राज्यों में इन वाहनों के लिए समग्र वार्षिक शुल्क की प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है जैसा कि नेशनल परमिट ट्रकों के मामले में 2010 से ही किया जा रहा है। साथ ही वाहनों के मामले में ‘एक देश-एक कर’ प्रणाली को अपनाए जाने पर भी विचार किया जा सकता है।

करीब एक दर्जन राज्यों के परिवहन मंत्रियों और विभिन्न राज्यों से आए परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी। श्री खान ने बताया कि जीओएम की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि अगर किसी व्यक्ति का निजी वाहन उसके स्थानांतरण के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है तो उस पर किसी तरह का कर नहीं लगाया जाना चाहिए।

इसी प्रकार उपस्थित राज्यों के परिवहन मंत्री इस निष्कर्ष पर पहुुंचे कि दुर्घटनाओं के आंकडों का विश्लेषण किए जाने के लिए गंभीर प्रयास जरूरी हैं। साथ ही राज्य में वर्ष पर्यन्त प्रभावी सड़क सुरक्षा अभियान चलाकर परिवहन नियमो का उल्लंघन करने वालेे वाहन चालकोंं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। बैठक में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति एवं कोड के निर्माण एवं परीक्षण के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया।

श्री खान ने बताया कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि आधारभूत संरचना के निर्माण के जरिए वाहन चालन लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुदृढ किया जाए ताकि अभ्यर्थियों को गुणवत्तापूर्ण परीक्षण प्रदान किया जा सके। इसमें तकनीकी सहायता से मानवीय हस्तक्षेप को कम किए जाने पर जोर दिया गया।

म्ांत्री समूह में इस बात पर भी सहमति बनी कि वाहन की फिटनेस की प्रक्रिया में सुधार की महती आवश्यकता है। इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर अथवा पीपीपी पद्धति से तकनीक आधारित निरीक्षण सेंटरों की स्थापना किए जाने पर जोर दिया गया। इसमें गुजरात सरकार के प्रयास ‘सुवास’ जैसे उदाहरणों का अनुकरण किया जा सकता है।

लाइसेंस नवीनीकरण में होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए विभिन्न राज्यों में चार्जेज, शुल्क, नवीनीकण दरों में अन्तर को दूर करने पर काम किया जाना चाहिए। साथ ही सार्वजनिक परिवहन एवं वाहन शेयरिंग के साथ ही इलेक्टि्रक वाहनों का उपयोग कर पर्यावरण मित्र परिवहन को बढावा देने समेत विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया एवं सभी मामलाें में सहमति बनाने का प्रयास किया गया।

बैठक का शुभारम्भ असम के मुख्यमंत्री श्री सरबन्दा सोनोवाल ने किया। बैठक में विभिन्न राज्याेंं के परिवहन मंत्री जिनमें असम के परिवहन मंत्री श्री चन्द्र मोहन पटवारी, उत्तर प्रदेश के श्री स्वतंत्रदेव सिंह, बिहार के श्री सन्तोष कुमार निराला, हिमाचल प्रदेश के श्री गोविन्द सिंह ठाकुर, केरल के श्री ए.के.शशिन्द्रन, छत्तीसगढ के श्री राजेश मुणोत, गोवा के श्री आर.एम.धवलिकर, हरियाणा के श्री कृष्णलाल पंवार, मेघालय के श्री एस.धर एवं झारखण्ड के परिवहन मंत्री श्री सी.पी.सिंह ने हिस्सा लिया।

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