केवल पाँच प्रतिशत प्रीमियम में सब्जी की फसल पर भी बीमा

केवल पाँच प्रतिशत प्रीमियम में सब्जी की फसल पर भी बीमा

दंतेवाड़ा जिले (छत्तीसगढ) ——— सब्जी की खेती के मामले में पिछले दो साल में प्रदेश में नई पहचान बनाई है। जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के पश्चात एवं मोचो बाड़ी आदि की सुविधा मिलने से सब्जी की खेती कर रहे किसान खासा लाभ कमा रहे थे लेकिन खराब मौसम की आशंका उन्हें हर वक्त सताती रहती थी।

इस बार यह चिंता भी किसानों की दूर हो रही है। पहली बार पाँच उद्यानिकी फसलों टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी एवं प्याज की खेती पर किसानों को बीमा की सुविधा मिलेगी। राज्य शासन ने बीमा कराने की तिथि ३१ दिसंबर निर्धारित की गई है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी श्री डिकलेश कुमार ने बताया कि बीमित राशि का पाँच प्रतिशत भुगतान किसान द्वारा देय होगा और शेष राशि राज्य सरकार द्वारा देय की जाएगी।

उदाहरण के लिए यदि किसान एक हेक्टर रकबे में टमाटर का उत्पादन करता है तो उसे ३८५० रुपए का प्रीमियम जमा करना होगा। शेष प्रीमियम राशि शासन द्वारा वहन की जाएगी। विपरीत मौसम के कारण नुकसान होने पर प्रति हेक्टर ७७ हजार रुपए की राशि बीमित होगी।

टमाटर फसल के लिए जोखिम अवधि २० अक्टूबर से २० मार्च तक होगी। रबी बैंगन की फसल के लिए बीमित राशि प्रति हेक्टर ७२००० रुपए होगी जिसके लिए किसान को केवल ३६०० रुपए प्रीमियम देना होगा।

इसके लिए जोखिम अवधि २० अक्टूबर से २० अप्रैल होगी। फूलगोभी की फसल पर भी बीमित राशि ६० हजार रुपए होगी जिसमें ३ हजार रुपए किसान को प्रीमियम राशि के रूप में देने होंगे। इसके लिए जोखिम अवधि २० अक्टूबर से २० फरवरी तक होगी। पत्तागोभी की फसल की प्रति हेक्टर बीमित राशि ५३ हजार रुपए होगी, इसमें २६५० रुपए किसान को देने होंगे। इसकी जोखिम अवधि २० अक्टूबर से १० फरवरी होगी।

प्याज की फसल का बीमा २५ नवंबर से २० अप्रैल तक की अवधि के लिए ६९ हजार रुपए का होगा, इसमें ३४५० रुपए किसान को प्रीमियम राशि के रूप में देना होगा। उपरोक्त फसलों में क्षतिपूर्ति का आकलन भारतीय मौसम विज्ञान द्वारा स्थापित स्वचलित मौसम केंद्रों से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर मान्य किया जाएगा और इनके आधार पर सब्जी उत्पादकों को बीमा प्राप्त होग सकेगा।

जैविक सब्जी की खेती पकड़ेगी जोर- बेहद कम मूल्य में बीमा लाभ मिलने की वजह से किसान अब सब्जी उत्पादन की ओर तेजी से रूख करेंगे। दंतेवाड़ा की पहचान पूरे प्रदेश में जैविक जिले के रूप में उभर रही है और किसान सब्जी की फसल की ओर रूख कर रहे हैं।

मोचो बाड़ी जैसी योजनाओं से सब्जी की फसल फेंस के चलते जानवरों से तो बच रही थी लेकिन खराब मौसम का अब तक कोई विकल्प नहीं था। अब बीमा की सुविधा प्रारंभ होने के पश्चात सब्जी उत्पादकों की यह चिंता भी दूर हो गई है।

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