- June 6, 2015
कम मानूसन की स्थिति से निपटने के लिए समीक्षा बैठक – कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह
कृषि एवं सहकारिता विभाग सचिव, पशुपालन विभाग सचिव, आईसीएआर के सचिव, बिजली सचिव, संसाधन विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, उर्वरक मंत्रालय के अधिकारी, एनडीएमए के सचिव तथा भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों सहित आला अफसरों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
पिछले साल भी भारतीय मौसम विभाग ने जून में 85 प्रतिशत वर्षा होने का संकेत दिया था। उस समय भी सरकार ने ऐसी तैयारी कर ली थी जिसके कारण बुवाई केवल 2 प्रतिशत और उत्पादन केवल 3 प्रतिशत प्रभावित हुआ था। इस बार भी पूरी तैयारी कर ली गई है और चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
जलाशयों का जल स्तर बेहतर है, जबकि उत्तरपूर्व क्षेत्र में पिछले वर्ष की 38 प्रतिशत भंडारण क्षमता की तुलना में इस साल भंडारण क्षमता 42 प्रतिशत है। बिजली मंत्रालय ने समुचित आपूर्ति के लिए आपात योजना बनाई है। उर्वरक मंत्रालय ने राज्यों को मई, 2015 तक 90 लाख टन उर्वरक जारी कर दिया है, जबकि उनकी मांग 60 लाख टन की थी।
सभी मंत्रालय सूखे से निपटने के लिए तैयार हैं और इसके लिए उन्होंने नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। पशुपालन विभाग ने 8 राज्यों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं और बीज निगम के अधिकारियों ने बताया है कि कम वर्षा की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है। इसी तरह पशुपालन विभाग ने भी चारे के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है।
कृषि मंत्रालय ने 2015 के खरीफ मौसम के दौरान मानसून, फसल उत्पादन और बीजों आदि के बारे में लगातार समीक्षा और निगरानी की व्यवस्था की है। इसके अलावा केबिनेट सचिव ने जल संसाधन, बिजली, भू-संसाधन, ग्रामीण विकास, पशुपालन आदि मंत्रालयों द्वारा आपात योजना का जायजा लेने के लिए बैठक की। उन्होंने सभी राज्यों को आगाह किया है कि वे सामान्य से कम वर्षा होने की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें।
वर्ष 2015 के सूखे की स्थिति से निपटने के लिए संकट प्रबंधन योजना की समीक्षा की गई। इसका ब्यौरा कृषि मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। मंत्रालयों/विभागों से परामर्श के बाद योजना को हाल में अद्यतन किया गया है। माननीय कृषि मंत्री ने 12 मई, 2015 को मुख्यमंत्रियों को लिखे गए अपने पत्र में आग्रह किया है कि वे राज्य स्तर पर सूखा प्रबंधन योजना फौरन तैयार करने के लिए अपने अधिकारियों को निर्देश दें।
भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार उत्तरपूर्व क्षेत्र में सामान्य (85 प्रतिशत) से कम वर्षा होने की संभावना है, लेकिन संतोष की बात यह है कि यह बड़े पैमाने पर सिंचित क्षेत्र है और यहां कम वर्षा का न्यूनतम प्रभाव होता है।