एक भारत-श्रेष्ठ भारत–इंफाल (मणिपुर) में संगाई महोत्सव और कोहिमा (नागालैंड) में हार्नबिल फेस्टिवल

एक भारत-श्रेष्ठ भारत–इंफाल (मणिपुर) में संगाई महोत्सव और कोहिमा (नागालैंड) में हार्नबिल फेस्टिवल

भोपाल :(दुर्गेश रायकवार)———— एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अभिनव योजना के अंतर्गत इंफाल (मणिपुर) में संगाई महोत्सव और कोहिमा (नागालैंड) में हार्नबिल फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। मध्यप्रदेश के लोक कलाकार दोनों आयोजन में लोक नृत्य करामा और सैला की आकर्षक प्रस्तुति देंगे। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की योजना वास्तव में भारतीय संस्कृति में विभिन्नता में एकता के प्रदर्शन का उत्सव है।

लोक ककलाकारों के समूह प्रमुख श्री पतीराम मार्को (डिण्डोरी) के नेतृत्व में 16 कलाकारों का दल 28 और 29 नवम्बर को संगाई महोत्सव में प्रस्तुति देगा। इसी क्रम में 2 दिसम्बर को मध्यप्रदेश के लोक कलाकार समूह द्वारा हार्नबिल फेस्टिवल में लोक-नृत्य का प्रदर्शन करेंगे। उल्लेखनीय है कि करमा और सैला गोंड जनजाति के लोकप्रिय नृत्य हैं।

करमा नृत्य

करमा नृत्य कर्म की प्रेरणा देने वाला है। ग्रामवासी श्रम को ही कर्म मानते हैं। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्मपूजा का उत्सव मनाया जाता है। उत्सव में करमा नृत्य होता है। विंध्य और सतपुड़ा क्षेत्र में बसने वाले आदिवासी कर्मपूजा नहीं करते, केवल अपने मन के उल्लास, उमंग और प्रेरणा पाने के लिए करमा नृत्य करते हैं। बारिश को छोड़ सभी ऋतुओं में गोंड आदिवासी करमा नृत्य करते हैं।

यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधि के बीच विकसित होता है। इस कारण करमा गीतों में बहुत विविधता है। मध्यप्रदेश में करमा नृत्य गीत का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सुदूर छत्तीसगढ़ से लगाकर मण्डला के गोंड और बैगा आदिवासियों तक इसका विस्तार देखनो को मिलता है।

सैला नृत्य

सैला नृत्य शरद ऋतु की चांदनी रातों में किया जाता है। हाथों में लगभग सवा हाथ के डण्डे के कारण इसका नाम सैला पड़ा। आदिदेव को प्रसन्न करने के लिए सैला नृत्य का प्रचलन है। कहते है सरगुजा की रानी से अप्रसन्न होकर आदिदेव बधेसुर अमरकंटक चले गये थे, वहां के बाँसों को काटकर इस नृत्य का चलन हुआ। करमा सैला गोंड जनजाति का लोकप्रिय नृत्य है।

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