आदिवासी अंचल गिजवार प्री- मैट्रिक : भरपेट भोजन तक नहीं : ‘‘ नशे में बच्चों को पीटता अधीक्षक ’’

आदिवासी अंचल गिजवार प्री- मैट्रिक : भरपेट भोजन तक नहीं : ‘‘ नशे में बच्चों को पीटता अधीक्षक ’’

प्रधानमंत्री की सोच के विपरीत बदहाल हालात हैं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में: खुले में शौच के लिये जाते हैं छात्रावास के बच्चे

 सीधी (विजय सिंह) – शिक्षक दिवस के पूर्व देश के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों के साथ रुबरू बातचीत,  सकारात्मक सोच थी। कल सुबह प्रधानमंत्री की सीधी बातचीत का सीधा प्रसारण देख रहा था। लेकिन उसी दिन सुबह प्रकाशित एक समाचार कि ‘‘ नशे में बच्चों को पीटता था अधीक्षक ’’ से उपजे सवालों से मेरे जेहन में अलग तरह के विचार आ रहे थे। कहां टीवी में प्रधानमंत्री से धड़ाधड़ सवाल करते बच्चे और कहां हमारे सीधी जिले के आदिवासी अंचल गिजवार के प्री- मैट्रिक आदिवासी छात्रावास में रहने वाले नौनिहाल ? जिन्हे अन्य सुविधा तो छोड़ दीजिये भरपेट भोजन तक नहीं दिया जाता। इसकी शिकायत करने पर अधीक्षक शराब के नशे में पीटता है और पुलिस भी कारगर कार्यवाही करने के बजाय समझौता कराकर इतिश्री मान लेती है।

Gijavar hostel

            मेरे एक अध्यापक मित्र ने सोशल साईट पर इस कार्यक्रम की पड़ैनिया विद्यालय की एक फोटो पोस्ट की है। जिसमें टाट पट्टी में बैठे बच्चे रेडियो पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सुनते दिख रहे हैं।  परन्तु दूसरी तरफ महानगरों के बड़े सरकारी व पब्लिक स्कूल के बच्चे बेहतरीन ड्रेस व शानदार कुर्सियों में बैठकर सीधे सरकार के एजेडें के मुताबिक सवालों के जवाब लिये प्रायोजित, इस लाईव शो में डिजिटल इंडिया में बिजली की समस्या, समग्र स्वच्छता में कचरे के निस्तारण हेतु मोबाईल एप की बात कर रहे थे। टाट पट्टी में बैठ कर पड़ैनिया विद्यालय के बच्चों को इस वार्तालाप का लाभ मिला या नहीं ? कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन तब भी मेरे मन में संशय था कि गिजवार जैसे विद्यालयों के बच्चे भी क्या भविष्य के भारत के बारे में यह सोच पायेंगे ?

            गिजवार विद्यालय की स्थापना 19 सितम्बर 1961 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा उपमंत्री स्व. बसंतराव उईके के कर कमलों द्वारा की गई थी। सीधी जिले की मझौली तहसील का गिजवार प्रमुख कस्बा है। माना जाता है कि यहां व इसके आसपास के आदिवासी समुदाय में राजनैतिक व शैक्षणिक जागृति है। यहां के स्व. रणदमन सिंह सीधी-शहडोल संसदीय क्षेत्र से लोक सभा में सांसद रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा, राजस्व, वन, पुलिस, शिक्षा विभाग में जनजाति समुदाय के लोग नौकरी कर रहे हैं। लेकिन उनके बच्चे अब गिजवार हायर सेकण्डरी स्कूल में नहीं पढ़ते। गिजवार विद्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे ही आते हैं।पडैनिया स्कूल

            गिजवार के अनुसूचित छात्रावासों में अव्यवस्था की सूचना मिलने पर सीधी कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होनें महिला सशक्तिकरण विभाग अंतर्गत् गठित बाल कल्याण समिति को इसकी जांच का निर्देश दिया। समिति अध्यक्ष श्रीमती मीरा गौतम, विकास खंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्रीमती माधुरी सिंह, श्रीमती रतन सिंह एवं सामाजिक कार्यकर्ता व विशेष किशोर पुलिस इकाई के सदस्य प्राणेश तिवारी ने    2 सितम्बर को छात्रावास का निरीक्षण किया।

            बाकौल श्रीमती मीरा गौतम – 75 सीटर छात्रावास में 26 बच्चे निरीक्षण में उपस्थित पाये गये।  छात्रावास अधीक्षक यज्ञभान सिंह गोंड़ प्रतिदिन शराब पीने का आदी है। यह बात अधीक्षक ने लिखित में स्वीकार की है। शराब के नशे में वह बच्चों के साथ मारपीट भी करता है। मारपीट से तंग बच्चे छात्रावास से भागकर  पुलिस चैकी पथरौला पहुंचे थे। पुलिस ने भी औपचारिकता का निर्वहन किया। अधीक्षक को बुलाकर समझाईश देकर रवाना कर दिया। इसका खामियाजा उस बच्चे को भुगतना पड़ रहा है,जिसने पुलिस तक जाने में प्रताड़ित बच्चों की अगुआई की थी। अधीक्षक द्वारा उसे छात्रावास से निकाल दिया गया है। पुलिस द्वारा प्रावधानों के तहत् अधीक्षक के विरुद्ध कार्यवाही न किया जाना भी एक सवाल है ?

            शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है अतः व्याप्त गंदगी के कारण बच्चे खुले में शौच के लिये जाते हैं। सफाई कर्मी को विगत कई महीनों से भुगतान नहीं किया गया,  लिहाजा वह सेवा नहीं दे रहा है। बच्चों को भरपेट नास्ता, खाना नहीं दिया जाता है। सुबह मात्र दाल-चावल व रात को चार रोटी एवं कहने के लिये रसेदार सब्जी दी जाती है। रसोई में काफी गंदगी, स्टोर रूम में मरे हुये चूहे पाये गये। पूरा छात्रावास गंदगी की चपेट में था, आवासीय होने के लायक नहीं पाया गया।

            गिजवार, मलेरिया प्रभावित ग्रामों की सूची में संवेदनशील की श्रेणी में आता है। छात्रावास के भंडार में मच्छरदानियां हैं, चद्दर हैं, लेकिन बच्चों को नहीं दी गई हैं। बच्चे जब बीमार होते हैं तो अधीक्षक उन्हें पैरासिटामाल की गोली देता है। जब वह ठीक नहीं होते तो घर भेज देता है। शासन द्वारा निर्धारित साबुन तेल की मात्रा में अधीक्षक द्वारा कटौती की जाती है। कुल मिलाकर छात्रावास में ऐसा कुछ सही नहीं मिला जैसी कि सरकार की मंशा और बजट दिया जा रहा है।

            सीधी कलेक्टर विशेष गढ़पाले का समग्र स्वच्छता के प्रति विशेष रुचि है। हर रोज अभियान की सफलता के लिये किये जा रहे प्रयासों की व प्रोत्साहित किये जाने की खबरें पढ़ने को मिलती है। लेकिन दूसरी ओर गिजवार जैसे छात्रावास ‘‘ समग्र स्वच्छता अभियान ’’ की मूल अवधारणा पर ही पलीता लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से देश के समस्त विद्यालयों में शौचालय निर्माण का आव्हान किया था। कितनी संख्या में शौचालय बनाये गये हैं ? आंकड़ों से क्षणिक संतुष्टि तो मिल जायेगी, किन्तु कितने शौचालयों का उपयोग हो रहा है ? यह सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है। कम से कम विद्यालयों में सेनिटेशन हेतु पानी के श्रोत की व्यवस्था जरूरी है।

            एक तरफ कल प्रधानमंत्री से डिजिटल इंडिया व समग्र स्वच्छता पर बच्चों के सवाल व उनके स्कूलों के नाम ? सुनकर अच्छा लग रह था तो दूसरी ओर गिजवार विद्यालय के छात्रावासी बच्चों की हालत से मन में द्वंद था कि सच्चाई बहुत कड़वी है।

विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
19, अर्जुन नगर सीधी

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