असम :- ‘स्नेहालय’ ” अनाथालय” :- 5000 अनाथ बच्चें :- बी0बी0सी0 हिन्दी

असम :- ‘स्नेहालय’ ” अनाथालय” :-  5000 अनाथ बच्चें :- बी0बी0सी0 हिन्दी

16 बरस का जॉन 11 वीं का छात्र है.

जॉन गुवाहाटी के ‘स्नेहालय’ नामक एक अनाथालय में रहता है.

वो 12 वीं के बाद होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहता हैं, लेकिन फ़िलहाल नागरिकता के मसले ने उसे एक बार फिर अनाथ कर दिया है.1

चाहिए दस्तावेज़

अपनी नागरिकता साबित करने के लिए उसके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है.

जॉन कहता है,” पहले पिता की मौत हो गई और मां 4 साल की उम्र में ही छोड़कर चली गई, ऐसे में नागरिकता से जुड़े प्रमाण-पत्र कहां से लेकर आऊं?”

यह कहानी केवल जॉन की नहीं है बल्कि असम के करीब 5000 अनाथ बच्चों की है जिनके सामने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) अपडेट की प्रक्रिया ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी हैं.

नागरिक पंजी

असम में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एनआरसी अपडेट करने का काम हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में असम में एनआरसी अपडेट प्रक्रिया का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

यहां की सरकार असम को अवैध बांग्लादेशी नागरिकों से मुक्त कराने के लिए एनआरसी अपडेट करवा रही है.

नई एनआरसी में उन्हीं लोगों के नाम शामिल किए जाएगें जो 24 मार्च 1971 के पहले की भारतीय नागरिकता से जुड़ा कोई सरकारी दस्तावेज़ जमा करा सकेगें.

24 मार्च 1971 को आधार वर्ष बनाया गया है क्योंकि 25 मार्च 1971 को बांग्लादेश बना था.

दिक्कत

लेकिन इस व्यवस्था ने राज्य के उन संस्थानों के सामने एक नई मुसीबत पैदा कर दी है, जो अनाथ-बेसहारा बच्चों की देखभाल करते हैं.

सफ़ीकुल महज़ 11 साल का है. असम में 2012 के दंगो में सफीकुल के माता-पिता की हत्या कर दी गई थी और तब से वह ‘स्नेहालय’ में रह रहा हैं.

स्नेहालय’ की हाफ़ कोऑर्डिनेटर रेजिना सेरेंग कहती हैं, ” हिंसा प्रभावित बच्चों को कांउसिलिंग के बाद बड़ी मुश्किल से सामान्य स्थिति में लाकर स्कूली पढ़ाई के लिए तैयार किया जाता हैं. इनके भविष्य की सोचते हुए पढ़ाई और पेशेवर प्रशिक्षण के बाद समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाता है.”

वे आगे कहती हैं, “अगर इन बच्चों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं होंगे तो इनके भविष्य का क्या होगा? बतौर कानूनी अभिभावक ये अनाथालय ही इन बच्चों का नाम मतदाता सूची या फिर एनआरसी में डलवाएगें. बर्शते सरकार को सहयोग करना होगा.”

इस बीच मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के मुताबिक एनआरसी में नाम शामिल करने को लेकर हो रही परेशानी के लिए सरकार ने एक कैबिनेट सब कमेटी बनाई है.

ये कमेटी पूरे मामले का अध्ययन कर अपनी सिफ़ारिशें केंद्र सरकार को भेजेगी.

अंतिम फ़ैसला भारत के महापंजीयक को करना हैं.

 

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