• February 24, 2017

सरसों का जैविक उत्पादन

सरसों का जैविक उत्पादन

जयपुर, 24 फरवरी। कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि राज्य में स्थानीय किस्मों को संरक्षित करते हुए सरसों के जैविक उत्पादन की शुरूआत करेंगे। उन्होंने बताया कि इस तरह जहां उपभोक्ताओं को सरसों का जैविक तेल मिल सकेगा वहीं प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।

श्री सैनी गुरूवार को राज्य कृृषि प्रबंध संस्थान, राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर के तकनीकी सहयोग और इन्टरनेशनल कन्सलटेटिव गु्रप ऑफ रिसर्च ऑन रेपसीड, कनाडा की ओर से सरसों पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत में बड़े स्तर पर खाद्यान्न तेल आयात किया जाता है, इस आयात को कम करने के लिए सरसों के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि राजस्थान सरसों का देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, लेकिन प्रति हेक्टयर 20 क्विंटल उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना होगा।

कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि सरसों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सरसों की नई उत्पादन तकनीक और किस्में विकसित की जाएं। लेकिन उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए जेनेटिक मॉडीफाइड तकनीक को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि जेनेटेकि इंजीनियरिंग एप्रूवल कमिटी ने ट्रान्सजेनिक सरसों के फिल्ड ट्रायल एवं व्यावसायिक प्रयोगों की स्वीकृति दी है, लेकिन हम अभी यह जोखिम नहीं लेंगे। उन्होंने बताया कि भारतीय सरसों की उत्पादकता 33 क्विंटल प्रति हेक्टयर है, जबकि जीएम सरसों की उत्पादकता अभी 20 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक ही हासिल की जा सकी है। ऎसी स्थिति में राज्य में जीएम सरसों के प्रवेश को अनुमति दिया जाना उचित नहीं है। श्री सैनी ने कहा कि राजस्थान को सरसों प्रदेश बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

उम्मीद है कि राज्य जल्द सरसों प्रदेश घोषित हो जाएगा, जिसके बाद प्रदेश में सरसों की खेती और सरसों से सम्बंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरसों का तेल मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है, इसलिए इसके फायदों के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। डॉ. सैनी ने सरसों में इरूसिक अम्ल और ग्लूको सिनोलेट की मात्रा अधिक है, इसलिए इसे कम करने के लिए अनुंसधान की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इस अन्तरराष्ट्रीय सेमीनार में सरसों के अधिक उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता एवं नीति निर्धारण हेतु भविष्य का रोड़ मैप तैयार होगा। देश में पहली बार राजस्थान में उत्पादित होगा जैतून शहद कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि राजस्थान में देश में पहली बार जैतून से शहद उत्पादित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि जिन सरकारी फार्मों पर जैतून का उत्पादन हो रहा है, वहां बीकीपिंग बॉक्स रखवाए जा रहे हैं, उम्मीद है कि इस सीजन में जैतून शहद का उत्पाद शुरू हो जाएगा। श्री सैनी ने इस सम्बंध में आवश्यक कार्ययोजना बनाने के लिए अधिकारियों को भी निर्देशित किया।

इस कार्यशाला में जयपुर शहर सांसद श्री रामचरण बोहरा, प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी श्रीमती नीलकमल दरबारी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल), डॉ. जे.एस.संधु, भारत सरकार के तिलहन क्षेत्र के परामर्शक डॉ. जेपी सिंह सहित बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

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