मुंबई भगदड़ : यह हादसा है या लापरवाही—- सुरेश हिन्दुस्थानी

मुंबई भगदड़ : यह हादसा है या लापरवाही—- सुरेश हिन्दुस्थानी

मुंबई में बारिश एक बार फिर से कहर बनकर आई है। इस बार हालांकि घटना एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के कारण हुई है, लेकिन इस घटना का मूल कारण बारिश ही है।
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सुबह से ही मुंबई में भारी बारिश होने के कारण प्रतिदिन आवागमन करने वाले यात्री पानी से बचने के लिए रेलवे के फुट ओवर ब्रिज पर चढ़ गए। कहा यह जा रहा है कि रेलवे का यह पुल ज्यादा पुराना होने के कारण क्षमता से अधिक इन यात्रियों का वजन सहन नहीं कर सका और इस दौरान रेलवे का यह जर्जर पुल टूट गया। आनन फानन में मची भगदड़ में लगभग 25 लोग असमय ही मौत के मुंह में चले गए। इसे यात्रियों की लापरवाही कही जाए या फिर सुरक्षा के प्रति रेल विभाग की उदासीनता।

रेलवे स्टेशन पर हुई इस दुर्घटना के लिए रेल विभाग को सीधे ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसका प्रथम कारण यही है कि रेल विभाग मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए व्यय कर देता है। निश्चित रुप से इस पुल की भी मरम्मत कराई गई होगी। इसके बाद भी रेलवे पुल की जंग खाई रेलिंग इस बात का पर्याप्त प्रमाण दे रही थीं कि पुल पर मरम्मत के नाम पर केवल दिखावा ही किया गया।

रेल विभाग की उदासीनता इन अर्थों में कही जा सकती है कि मुंबई क्षेत्र में प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों के बारे में रेल विभाग को संख्या के बारे में पहले से ही जानकारी थी। इसके बाद रेल विभाग ने बारिश से बचाव के लिए यात्रियों की सुरक्षा के बारे में क्यों नहीं सोचा? अगर रेल विभाग पर्याप्त व्यवस्था करता तो संभवत: यात्रियों को पुल पर नहीं जाना पड़ता।

रेल विभाग की एक और बड़ी लापरवाही यह भी कही जा रही है कि जब रेलवे को इस पुल के पुराने होने की जानकारी थी, तब यात्रियों को उस पर जाने से क्यों नहीं रोका गया? इस घटना के बाद फिर से ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि वर्तमान में रेल विभाग की व्यवस्थाएं इस कदत चकनाचूर हो चुकी हैं कि व्यक्ति का भरोसा ही उठता जा रहा है। एक तरफ हमारी केन्द्र सरकार बुलैट ट्रैन चलाने की कार्यवाही करने जा रही है, वहीं दूसरी ओर रेल विभाग यात्रियों की सुरक्षा को लेकर मानसिकता बनाने से दूर क्यों होता जा रहा है।

वर्तमान में जिस प्रकार से रेल गाड़ियों पर यात्रियों का दबाव बढ़ता जा रहा है, उसे देखकर यही कहा जा कसता है कि यात्रियों की संख्या तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन रेलवे द्वारा सुरक्षा के उपाय उस गति से नहीं किए जा रहे हैं। अकेले मुंबई की ही बात की जाए तो मुंबई के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सुबह और शाम के समय पैर रखने तक की जगह नहीं होती। ट्रैनों की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी यात्रियों की संख्या कम नहीं हो रही।

रेल विभाग को यात्री सुरक्षा को देखते हुए पर्याप्त व्यवस्था करना चाहिए। मुंबई की इस घटना के बाद जिस प्रकार की अपेक्षा की जा रही थी, सरकारी स्तर पर वही हो रहा है। घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। मृतकों और घायलों को आर्थिक मदद भी दी गई है।

इस दर्दनाक घटना के बाद हालांकि रेल विभाग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने का प्रयास करते हुए दिखाई देगा, लेकिन सवाल उठता है कि जिन परिवारों के सदस्यों ने इस हादसे में अपनी जान गंवाई, उसकी भरपाई क्या पैसे से की जा सकती है ? अगर नहीं तो रेल विभाग यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था के प्रति गंभीरता क्यों नहीं दिख रहा।

मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे ब्रिज पर हुई यह घटना निश्चित रुप से रेल विभाग की सुरक्षा योजना पर गंभीर सवाल खड़ा करती हुई दिखाई दे रही है। केन्द्र सरकार और रेलवे प्रशासन को यात्री सुरक्षा के प्रति सचेत होना चाहिए, साथ ही पुराने हो चुके पुलों की भी पर्याप्त मरम्मत करने की दिशा में गंभीरता पूर्वक चिंतन करना चाहिए।

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