- May 16, 2015
केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में बजट कटौती नहीं की जानी चाहिए -मुख्यमंत्री
जयपुर – मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के बजट में कटौती नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर राज्यों के विकास और वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही इससे चालू योजनाओं को पूरा करने की प्रतिबद्घ देनदारियों पर होने वाले व्यय का भार भी राज्यों को सहन करना पड़ेगा।
श्रीमती राजे शुक्रवार को अपरान्ह नई दिल्ली में नीति आयोग में उपसमूह की विशेष बैठक में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्व की केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं को छोड़ कर अन्य केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की संख्या कम करने और राज्यों की परिस्थितियों के अनुसार योजानाओं का निर्माण एंव उन्हें लागू रखने पर सभी राज्यों के मध्य सहमति बन रही है।
उन्होंने केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को 32 प्रतिशत से दस प्रतिशत बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत किया। साथ ही सुझाव दिया कि वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्यों को मिलने वाली राशि में पहले की तुलना में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। अन्यथा राज्यों को लाभ के बजाए नुकसान उठाना पड़ेगा।
उपसमूह की बैठक में नीति आयोग की सचिव श्रीमती सिन्धुश्री खुल्लर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही राजस्थान के मुख्य सचिव श्री सी.एस. राजन और आयोजना सचिव श्री अखिल अरोड़ा भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने की केन्द्रीय वित्त मंत्री से भेंट
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे और केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं पर सुझावों के लिए नीति आयोग में गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह के संयोजक एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान ने उपसमूह की बैठक के बाद शुक्रवार सांय नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली से उनके नार्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में भेंट की और उन्हें केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के संबंध में उपसमूह की भावनाओं से अवगत करवाया।
उल्लेखनीय है कि इस उपसमूह को केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की तर्कसंगतता पर अपनी अनुशंषाएं दस जून से पहले केन्द्र को प्रेषित करनी हैं। उपसमूह की अगली बैठक भोपाल में होनी प्रस्तावित है।