- January 16, 2018
*काव्योत्सव*— अब हम बोलें जय हे ? — दुष्यंत चतुर्वेदी
देखना सुलगा तो अश्कों के समंदर लाएगा
दिल में लोगों के भरा जो ये धुआं खामोश है
बहादुरगढ़ (कृष्ण गोपाल विद्यार्थी )————- कलमवीर विचार मंच के तत्वाधान में विवेकानंद नगर स्थित स्नेही भवन में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
दिन का था कभी डर तो कभी रात का डर था,
इस बात का था डर, कभी उस बात का डर था।
जो भीग गया वो भला किस बात से डरता,
जो घर में खड़ा था, उसे बरसात का डर था।
– ज्ञान प्रकाश विवेक
बनते जाते हैं दुखदायक,
स्वार्थपरायण से अधिनायक।
हे मां ! हमको ये बतला दे,
किसकी अब हम बोलें जय हे ?
– दुष्यंत चतुर्वेदी
ये ज़मीं खामोश है, वो आसमां खामोश है,
आज जीवन की यहां हर दास्तां खामोश है।
देखना, सुलगा तो अश्कों के समंदर लाएगा,
दिल में लोगों के भरा जो ये धुआं खामोश है।
– सतपाल स्नेही
सौ बरस बाद की भाषा में लिखा कागज़ हूं,
आज क्या समझोगे यूं देखने वालो मुझको।
खो गया भी तो खबर बनके पलट आऊंगा,
कल के अखबार में मुमकिन है कि पा लो मुझको।
– पूरन कुमार ‘होश’
दिवंगत कवि पूरन कुमार ‘होश’ की स्मृति व लखनऊ मूल के चर्चित कवि दुष्यंत चतुर्वेदी के सम्मान में आयोजित इस काव्योत्सव की अध्यक्षता राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार ज्ञान प्रकाश विवेक ने की व संचालन कवि दरबार के संयोजक कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने किया।
लगभग तीन घंटे चले इस कार्यक्रम में जहां नारायण दत्त त्रिशूल,सतपाल स्नेही, कृष्ण सौमित्र,शिवओम शिव, राजकुमार गाईड, करुणेश वर्मा जिज्ञासु, विजय शर्मा,अंकित गौतम, अशोक साहिल,अनिल भारतीय,कौशल समीर,नरसिंह सैनी,सुरेन्द्र विरमानी आदि ने विभिन्न विषयों पर आधारित रचनाएं सुनाईं।
गोष्ठी में उपस्थित नवोदित कवयित्री पूनम पांचाल के अलावा सार्थक और सचित ने भी अपनी बालसुलभ प्रस्तुति से सभी को प्रभावित किया।
कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित दुष्यंत चतुर्वेदी को जहां मंच की ओर से शाल भेंटकर सम्मानित किया गया वहीं गीतकार विद्यार्थी ने क्षेत्र के प्रसिद्ध उर्दू शायर स्वर्गीय पूरन कुमार होश से जुड़े कुछ संस्मरण व उन्हीं की एक ग़ज़ल सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया।
विवेक जी के अध्यक्षीय संबोधन व काव्योत्सव के संयोजक स्नेही के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का विधिवत समापन हुआ।