• December 22, 2016

स्वच्छ लोकतंत्र और दक्ष शासकों का परिचायक- शैलेश कुमार

स्वच्छ लोकतंत्र और दक्ष शासकों का परिचायक- शैलेश कुमार

कालाधन :राजा के निर्लोभ और राष्ट्रभक्त होने से अफसरों और विभागों की चौकसी भी राष्ट्रभक्त हो जाता है यह वर्तमान की मोदी सरकार का प्रत्यक्ष प्रमाण है और यही कारण है की गुप्त स्थानों से रुपया निकल रहा है न की मुद्रा रक्षक से। यह नीतियां मुद्रा रक्षक के लिए स्वर्णमय है। सरकार की दायित्व बढ़ रही है।

समाज एक प्रयोगशाला है और इस प्रयोगशाला में न्यायपालिकाओं की न्याय और कार्यपालिकाओं द्वारा निर्मित कानूनो का भौतिक रूप से परिक्षण होता है तथा परिणाम के आधार पर सरकार परिवर्तन करती रहती है।

प्रतिक्रया आने से यह पता चलता है की – अमूक क़ानून जनता के हित में कितना खड़ा है और नहीं !अगर जनसंख्या के अनुसार बहुमत क़ानून के पक्ष में है तो सरकार उसे कानूनबद्ध कर देती है अर्थात उसे लागू करती है। अगर बहुमत उस क़ानून के पक्ष में नहीं है तो सरकार उसे निरस्त कर देती है। लोकतंत्र की यही अवधारणा है।

मोदी बीजेपी से पहले की सरकार ने कोई ऐसी पहल नहीं की जिसे जनता अपने हक में फैसला दे. अर्थात इस सरकार ने जनता को किनारा करते हुए क़ानून लागू किया जिसे जनता सिरे से ख़ारिज करती आ रही है।

जैसे देश के लिए घातक शब्द -धर्मनिरपेक्ष। संविधान की प्रस्तावना में इस शब्द को जोड़ने से पहले -जनता से स्पष्ट राय लेनी चाहिए थी। चूकि यह हिन्दू आधारित देश है इसलिए आम बहुसंख्यकों की राय लेकर संविधान में सम्मिलित करना चाहिए था।

चूंकि सरकार छली, प्रपंचीयों का एक गिरोह होता है जो अपने हित के लिए जनता के हितों को भष्मभूत करती रहती है, जैसे बंगाल में ममता बनर्जी और देश में स्व० इंदिरा गांधी।

आज नोटबंदी पर सरकार ने जनता के हितों के पक्ष में कठोर क़ानून को समय – समय पर वापस लेती रही है जो स्वच्छ लोकतंत्र और दक्ष शासकों का परिचायक है अन्यथा आज भारत जैसे देश भी वेनेज़्वाला (नोट बंदी) की तरह धधक रहा होता।

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