चयनित राजस्व गांव में स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उसे संतृप्त करें —निदेशक श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह

चयनित  राजस्व  गांव  में स्वयं  सहायता  समूहों  का  गठन कर उसे संतृप्त  करें —निदेशक श्री नागेन्द्र  प्रसाद  सिंह

लखनऊ : ———-प्रदेश के ग्राम्य विकास आयुक्त एवं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन निदेशक श्री नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने प्रदेश के समस्त राष्ट्रीय आजीविका मिशन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि आगामी 31 मार्च, 2019 तक मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना के तहत चयनित राजस्व गांव में स्वयं सहायता समूहों का गठन करके गरीब एवं सदियों से परम्परागत व्यवसाय से जुड़े हस्तशिल्पियों को प्राथमिकता के आधार पर आजीविका मिशन की विभिन्न गतिविधियों से संतृप्त करें, जिससे परम्परागत व्यवसाय से जुड़ी आबादी आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं स्वरोजगार प्राप्त कर सके।

निदेशक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन आज योजना भवन में सभी जनपदों की विस्तार से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की मंशा है कि परम्परागत व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाय और ग्रामीण हस्तकलाओं को आजीविका मिशन से जोड़कर उन्हें उचित बाजार मुहैया करायी जाय।

निदेशक ने कहा कि गांवों में लोग कुम्हारी कला, बढ़ईगीरी, मिट्टी एवं लकड़ी के खिलौने, दोना पत्तल, बैग आदि बनाते रहे हैं। बाजार की प्रतियोगिता में ये उत्पाद टिक न पाने के कारण कालान्तर में धीरे-धीरे गुम होते गये।

राज्य सरकार द्वारा पाॅलीथीन पर बैन लगाने के बाद इन परम्परागत उत्पादों की लगातार मांग बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि गरीबों, महिलाओं तथा जनजाति के लोगों को आजीविका मिशन से जोड़ा जाना चाहिए।

श्री सिंह ने अधिकारियों से फीडबैक प्राप्त करते हुए उन्हें निर्देश दिये कि गांवों में गरीबों तथा परम्परागत पेशे में लगे हुए लोगों को दक्ष बनाने तथा उनके उत्पाद को बाजार की प्रतियोगिता में लोकप्रिय बनाने के लिए आजीविका मिशन के माध्यम से गठित स्वयं सहायता समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। स्वयं सहायता समूहों को विभिन्न गतिविधियों से जोड़कर नाबार्ड के सहयोग से उनका उद्यमिता विकास किया जा सकता है।

उन्होंने निर्देश दिये कि आगामी गांधी जयन्ती के अवसर पर 02 अक्टूबर को सभी स्वयं सहायता समूह संकल्प लें कि दीपावली के त्योहार पर मिट्टी के दिये ही जलायेंगे और इसी तरह आगामी त्योहारों पर परम्परागत उत्पादों का प्रयोग करके लोगों को जागरूक करेंगे ताकि कारपोरेट के उत्पादों को बाजार से बाहर करके स्वदेशी उत्पादों को लोकप्रिय बनाया जा सके।

मिशन निदेशक ने कहा कि प्रदेश को स्वयं सहायता समूहों से लगभग डेढ़ करोड़ आबादी जुड़ी हुई है, जिनको परम्परागत व्यवसायों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रयाग कुम्भ मेले में परम्परागत व्यावसायियों के उत्पादों जैसे-दोना पत्तल, बैग, थैले कुल्हण, दीये आदि की अधिक से अधिक खपत बढ़ाने के लिए इलाहाबाद जनपद के अधिकारियों को रणनीति तैयार करनी चाहिए।

श्री सिंह ने कहा कि वाराणसी एक प्राचीन नगरी है और इसके साथ ही एक बड़ा धार्मिक बाजार भी है। यहां स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद दिखायी देने चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ जनपदों में बैंक,कृषि एवं पशु सखी समूहों का अभी तक गठन नहीं हुआ है इसका गठन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस माह के अन्त तक बैंक क्रेडिट बढ़ाने, समूहों का चयन एवं प्रशिक्षण, एसएलसी का चिन्हाकन, क्षमता वृद्धि एवं डेटा फीडिंग का कार्य पूरा हो जाना चाहिए। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक आजीविका मिशन,श्री अनिल कुमार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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