निजी स्वार्थ के कारण विपक्ष हुआ धड़ाम— सज्जाद हैदर
वाह! अजब रूप और गजब कहानी। वाह रे सियासत तेरे रूप हजार। देश की चिंता किसे है आज के समय
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