लेखक के कलम से

क्या विपक्ष बना पाएगा सरकार ? — सज्जाद हैदर

राजनीति एक ऐसा विषय है जिस पर कुछ भी भविषयवाणी करना असंभव है। परन्तु, ऐसा भी नहीं कि मूकदर्शक बनकर
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‘आखिरी रियासती राजा’ और ‘प्रथम सांसद’ कमल सिंह—– मुरली मनोहर श्रीवास्तव

देश के ‘आखिरी रियासती राजा’ और ‘प्रथम सांसद’ कमल सिंह को लोकतंत्र में आज भी है पूर्ण आस्था ********************* •
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खोखली राजनीति और जनता का आक्रोश ——— सुरेश हिन्दुस्थानी

भारतीय राजनीति और राजनेताओं के प्रति आम जनता की भड़ास का प्रकट होना निश्चित रुप से यह प्रमाणित करता है
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शर्मसार होने से बची भारत की कानून व्यवस्था—सज्जाद हैदर

पूरे विश्व के सामने शर्मसार होने से बची भारत की कानून व्यवस्था। वाह रे षड़यंत्रकारी सियासी लोग। ऐसा सियासी षड़यंत्र
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माँ भारती के रण बांकुरें आओ सौगंध लो—–सुलेखा डोगरा

माँ भारती के रण बांकुरें आओ सौगंध लो सीमा पे खड़े शत्रु का विदध्वंस तुम करो. सिंह की गर्जना से
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क्या है सुन्दरता का मापदण्ड?—– डॉ नीलम महेंद्र

हाल ही में आइआइटी में पढने वाली एक लड़की के आत्महत्या करने की खबर आई कारण कि वो मोटी थी
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मतदान के प्रति उत्साह क्यों नहीं ?———सुरेश हिन्दुस्थानी

चुनाव आयोग और मतदान के प्रति जागरुकता लाने वाले प्रेरक संगठनों के तमाम प्रयासों के बाद भी मतदान के प्रति
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आखिर साध्वी से परहेज़ क्यों है ? — डॉ नीलम महेंद्र

साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से भाजपा द्वारा अपना उम्मीदवार घोषित करते ही देश में जैसे एक राजनैतिक भूचाल आता है
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’मुझे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से क्यों निकाला गया’ और ‘सत्ता की सूली’

लखनऊ———गांधी भवन लखनऊ में मशहूूर गांधीवादी कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डा0 संदीप पांडेय की किताब ’मुझे काशी हिन्दू
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पिताश्री और मेरी माताश्री को श्रद्धांजलि—-सुलेखा डोगरा

एक अरसे से मन में चाहत थी कि मैं अपने सवर्गीय पिताश्री के बारे में श्रद्दांजलि के रूप में कुछ
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