बिहार

बिहार में लागू ‘प्रीपेड स्मार्ट मीटर योजना’ देश के लिए बनी नजीर  – मुरली मनोहर श्रीवास्तव

वर्ष 2005 से पहले बिहार को लालटेन युग से जाना जाता था। यहां पर बिजली की खास्ता हालत थी। गांव
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लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ ग्रामीण समाज : सीमा कुमारी

गया—- “दीदी, हमको भी पढ़ने का बहुत मन करता है. लेकिन मम्मी-पापा स्कूल जाने नहीं देते हैं, कहते हैं पढ़
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कैसे पढ़ें जब लाइट ही नहीं है ? : पुष्पा कुमारी

गया, ——–“जब जब शाम में पढ़ने बैठते हैं तो लाइट ही चली जाती है. कई बार तो जल्दी आ जाती
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गांव-गांव तक पहुँच रहा है पीने का साफ़ पानी : प्रेमशीला देवी

गया ———–   देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष
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सेहत के प्रति लापरवाह ग्रामीण महिलाएं : सिमरन सहनी

मुजफ्फरपुर——–कहते हैं कि सेहत हज़ार नेमत के बराबर है। लेकिन इसमें सबसे अधिक लापरवाही ग्रामीण महिलाएं बरतती हैं। जो घर-परिवार
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सिंचाई के बिना प्रभावित होती कृषि : माधुरी सिन्हा

गया———-   देश के निर्माण में शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी बराबर का योगदान रहा है. शहर में
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योजनाओं से बदल रही है महिलाओं की जिंदगी : रिंकू कुमारी

मुजफ्फरपुर——— देश भर में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर
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बालिका शिक्षा के प्रति उदासीनता विकास में बाधक है : सिमरन सहनी

मुजफ्फरपुर —–  हम वैश्विक स्तर पर सुपर पावर बनने की होड़ में हैं. लेकिन लैंगिक असमानता आज भी हमारे समक्ष
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कुपोषित बच्चों से कैसे बनेगा स्वस्थ समाज ? : रिंकू कुमारी

मुजफ्फरपुर, ———-   लखींद्र सहनी दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं. पत्नी के अलावा उनकी छह बेटियां और चार बेटे
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पलायन के दर्द से गुज़रता गांव : यशोदा कुमारी

देश का दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्र आज भी बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल और शिक्षा जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों से जूझ
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