- August 14, 2015
सोयाबीन फसल पर इल्ली के प्रभाव पर चिंता
सोयाबीन की फसलों में रोग और कीट प्रकोप हरी इल्ली-लिपलिपी, इल्ली-काली, इल्ली-तम्बाकू, इल्ली-सफेद मक्खी, पीला मोजक वायरस मंत्रि-परिषद् ने आज राज्य में कुछ क्षेत्र में सोयाबीन फसल पर इल्ली के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर नियंत्रण की व्यापक कार्य-योजना पर चर्चा की। कृषि विभाग की ओर से प्रस्तुत प्रेजेन्टेशन में बताया गया कि सोयाबीन क्षेत्र का महज 2 प्रतिशत हिस्सा इल्ली से प्रभावित है। इसके बावजूद राज्य शासन ने युद्ध-स्तर पर किसानों की मदद के लिए कार्य करने के निर्देश दिए हैं। प्रभारी मंत्री भी जिलों में जाकर किसानों से संपर्क करेंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कृषि विभाग को सोयाबीन में रोग पर नियंत्रण के लिए सक्रिय और सजग रहने के निर्देश दिए। केबिनेट में कृषि विभाग ने जानकारी दी कि सोयाबीन की फसलों में रोग और कीट प्रकोप हरी इल्ली-लिपलिपी, इल्ली-काली, इल्ली-तम्बाकू, इल्ली-सफेद मक्खी, पीला मोजक वायरस के रूप में देखने को मिला है। राज्य में 58 लाख 7 हजार हेक्टेयर सोयाबीन क्षेत्र में से मात्र एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कीट प्रकोप ज्यादा प्रभाव दिखा है। कीट के प्रमुख कारणों में लम्बी सूखा अवधि – जे एस 335 का उपयोग – अधिक बीज दर का उपयोग – फसल चक्र में परिवर्तन कम होना और यूरिया का अधिक और पोटाश का कम उपयोग पाया गया। राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम और डयग्नोस्टिक टीम केबिनेट में बताया गया कि सोयाबीन फसल पर कीट प्रकोप से संबंधित 24 घंटे मार्गदर्शन देने के लिए राज्य कंट्रोल रूम कार्य करेगा। रूम का दूरभाष क्रमांक 2558823 रहेगा। 51 जिले में क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र के साथ ही कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम भ्रमण कर रिपोर्ट देगी। डायग्नोस्टिक टीम स्थल पर ही किसानों को समझाइश देगी। ऐसे विकासखंडों, जहाँ सोयाबीन में बीमारी है, के लिये पृथक टीम गठित की जाएगी। जिलों में नियंत्रण कक्ष सुबह 8 से शाम 8 बजे तक कार्य करेंगे। पौध संरक्षण दवा राष्ट्रीय तिलहन मिशन तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में पौध संरक्षण दवा घटक के लक्ष्य के अनुसार किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान या प्रति हेक्टेयर 500 रुपए (अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए) पर मिलेगी। इसके लिये 1.57 करोड की राशि मंजूर की गई है। एसएमएस एडवाइजरी और सोशल मीडिया का उपयोग मंत्रि-परिषद् बैठक में जानकारी दी गई कि कृषि विभाग द्वारा लगभग 40 लाख किसानों को सोयाबीन की विभिन्न बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण की एडवाइजरी एक महीने तक भेजी जाएगी। कृषि विभाग 14 अगस्त को संपूर्ण मैदानी अमले से वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से चर्चा करेगा। इसमें जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। फसल पर रोग के नियंत्रण के उपायों में सोशल मीडिया का उपयोग भी प्रारंभ किया जा रहा है। इसके अलावा फेस बुक, ट्वीटर, वाट्सएप, यू-ट्यूब के माध्यम से किसानों को आवश्यक सलाह देने की शुरूआत की गई है। कृषि विभाग ने राज्य के नक्शे पर बीमारी और कीट प्रकोप प्रभावित क्षेत्र का चिन्हांकन किया है। कीट बीमारी के नियंत्रण के लिए क्षेत्रीय बोलियों में पेम्फलेट के वितरण का कार्य इसी हफ्ते किया जाएगा। वैकल्पिक फसलें केबिनेट बैठक में कृषि विभाग को निर्देश दिए गए कि प्रभावित क्षेत्र में वैकल्पिक फसलों में तिल, उड़द, मूँग, अरहर आदि के उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए जरूरी व्यवस्था रखी जाए। फिर से बोवनी की आवश्यकता का अध्ययन कर क्रियान्वयन शुरू किया जाए। केबिनेट बैठक में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का लाभ भी किसानों को दिलवाने के लिए चर्चा हुई। |