- June 11, 2015
बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल : मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी अत्यंत महत्वपूर्ण बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल) मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए 14 जून से भूटान के दौरे पर रहेंगे। इस समझौते के तहत इन चार सार्क देशों के बीच यात्री, निजी एवं कार्गो वाहनों की आवाजाही का नियमन किया जाएगा।
बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) के परिवहन मंत्री 15 जून को थिम्पू में होने वाली अपनी बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन चारों देशों के बीच प्रस्तावित मोटर वाहन समझौते को मंजूरी दी।
नवम्बर 2014 में काठमांडू में हुए सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान सार्क मोटर वाहन समझौते का अनुमोदन किया गया था। दुर्भाग्यवश, पाकिस्तान द्वारा जताई गई आपत्तियों के चलते इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया जा सका था। काठमांडू शिखर सम्मेलन में पेश किये गए सार्क घोषणा पत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सदस्य देशों को क्षेत्रीय एवं उप-क्षेत्रीय कदम उठाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया था। तदनुसार, इस विचार को उपयुक्त माना गया कि बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) के बीच एक उप-क्षेत्रीय मोटर वाहन समझौते की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा फरवरी 2015 में बीबीआईएन देशों के परिवहन सचिवों की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक का उद्देश्य बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते के मसौदे के प्रारूप पर विचार-विमर्श करना और उसे अंतिम रूप प्रदान करना था, जो कुछ मामूली बदलावों के साथ सार्क एमवीए मसौदे जैसा ही है।
बीबीआईएन समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने से इस उप-क्षेत्र में सुरक्षित, सक्षम, आर्थिक एवं पर्यावरण दृष्टि से अनुकूल सड़क परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, यह समझौता क्षेत्रीय एकीकरण के लिए एक संस्थागत व्यवस्था कायम करने में भी हर देश की मदद करेगा। यात्रियों एवं वस्तुओं की सीमा पार पारस्परिक आवाजाही से बीबीआईएन देश लाभान्वित होंगे, जिससे इस क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
बीबीआईएन उप-क्षेत्रीय समूह का हर सदस्य देश इस समझौते के क्रियान्वयन पर आने वाली लागत का बोझ खुद उठाएगा। इससे आने वाले समय में क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना भी संभव हो पाएगा।