निवेश सीमा मामलों की समीक्षा: विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की पूर्व अनुमति आवश्‍यक

निवेश सीमा मामलों की समीक्षा: विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की पूर्व अनुमति आवश्‍यक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति ने निवेश सीमा मामलों की समीक्षा के लिए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति दे दी है।

इन मामलों के लिए 17 अप्रैल 2014 से प्रभावी समेकित प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी)/आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति की पूर्व अनुमति आवश्‍यक है। इस संबंध में संशोधित प्रावधान इस प्रकार हैं –

1. एफआईपीबी के प्रभारी के तौर पर वित्‍त मंत्रालय 3000 करोड़ रुपये तक के कुल विदेशी इक्विटी प्रवाह के प्रस्‍तावों पर एफआईपीबी की सिफारिशों पर विचार करेगा।

2. कुल 3000 करोड़ रुपये से ज्‍़यादा के विदेशी इक्विटी प्रवाह प्रस्‍तावों पर एफआईपीबी की सिफारिशों को आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति के विचार हेतु भेजा जाएगा।

3. वित्‍त मंत्रालय के अंतर्गत एफआईपीबी के द्वारा संदर्भित प्रस्‍तावों पर भी आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति विचार करेगी।

4. आर्थिक मामले विभाग (डीईए) के अंतर्गत एफआईपीबी सचिवालय वित्‍त मंत्रालय और आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति से स्‍वीकृति प्राप्‍त करने के लिए एफआईपीबी की सिफारिशों को प्रक्रिया में लाएगा।

इस निर्णय से स्‍वीकृति प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है और इसके परिणामस्‍वरूप विदेशी निवेश प्रवाह में भी वृद्धि होगी।

पृष्‍ठभूमि :

प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश नीति का उदारीकरण एक अंशशोधित तरीके से किया जा चुका है। अधिकांश क्षेत्र वर्तमान में स्‍वचालित प्रक्रिया में हैं। इसके अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक को सिर्फ सूचना देने की आवश्‍यकता होती है और इसके लिए एफआईपीबी/सीसीईए की स्‍वीकृति की आवश्‍यकता नहीं है।

स्‍वचालित व्‍यवस्‍था में विदेशी निवेश के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि स्‍वीकृति के मामले एफआईपीबी के द्वारा ही तय किए जाते हैं, यदि निवेश की सीमा 2000 करोड़ रुपये से कम है।

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