• April 24, 2015

संसद में राजस्थान : ऊँटनीं के दूध संग्रहण : अलग से डेयरी खोलने की मांग –

संसद में राजस्थान : ऊँटनीं के दूध संग्रहण : अलग से डेयरी खोलने की मांग –

जयपुर -सांसद श्री पी.पी. चौधरी ने केन्द्र सरकार से ऊँटनियों के दूध संग्रहण करने हेतु राजस्थान के प्रत्येक जिले में अलग से डेयरी खोलने हेतु राज्य सरकार को वित्तीय सहायता देने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि इससे लाखों की संख्या में ऊँट पालकों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा।

श्री चौधरी ने लोकसभा में नियम-377 पर चर्चा में भाग लेते हुए बताया कि राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले पशु ऊँट की संख्या में निरन्तर कमी हो रही है। उनकी माली हालत और रेगिस्तान इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की इन पर निर्भरता को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की सरकार ने ऊँट कों संरक्षित पशुओं की श्रेणी के साथ-साथ इसे राजकीय पशु भी घोषित किया है।

उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं में भी ऊँटों का जिक्र किया गया है, भारत के ऋग्वेद और ईरान कि एवेस्ता जैसे ग्रन्थों में भी इसका वर्णन है। यह सभी जानते है कि ऊँट बिना पानी व खाने के विपरीत परिस्थितियों में भी अपना जीवन यापन कर सकते है, जिसके लिए राजस्थान और गुजरात का थार एक विस्तृत क्षेत्र है। अत: यहाँ ऊँट की उपयोगिता सर्वाधिक है।

सांसद ने बताया कि ऊँट राजस्थान में सवारी व माल ढोने के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बलों के द्वारा सीमा की सुरक्षा हेतु गश्ती लगाए जाने के काम में भी लिया जाता है। राजस्थान के बीकानेर जिले में राष्ट्रीय स्तर का अनुसंधान केन्द्र भी स्थापित किया गया है, जिसकी स्थ्ििात पर पिछली सरकारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया।

श्री चौधरी ने ऊँटनी के दूध के औषधीय गुणों के बारे में बताया कि इसके दूध में विटामिन ई, विटामिन सी व प्रोटीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। डाक्टरों द्वारा ऊँटनी के दूध से मंद बुद्घि बच्चों के विकास की भी पुष्टि की गई है। इसके अतिरिक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह, क्षय, डायबटीज, एनिमिया, पीलिया, दमा, तपेदिक, एलर्जी जैसी गम्भीर बीमारियों के इलाज में भी इसका दूध लाभकारी सिद्घ होता है।

श्री चौधरी ने बताया कि औषधीय गुण होने के कारण ऊँटनी के दूध की मांग देश और विदेश में बढ़ी है, लेकिन इसके दूध की डेयरी व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऊँटनी का दूध बिना पाश्च्यूराइजेशन व बिना उबाले 9 से 10 घण्टे तक रखा जा सकता है और यदि इसमें बराबर मात्रा में पानी मिला दिया जाए तो इसे 12 से 13 घण्टों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। राज्य में लोकहित पशुपालक संस्थान द्वारा ऊँटनी के दूध का इस्तेमाल कर दो स्वादों की आईसक्रीम तैयार की गई है, जिसके माध्यम् से ऊँट पालकों को लाभ मिलने लगा है।

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