• March 24, 2015

डायन प्रथा को रोकने के लिए कानून बनेगा

डायन प्रथा को रोकने के लिए कानून बनेगा

जयपुर -महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि आगामी वर्ष में प्रदेश में 901 नए आंगनबाडी केन्द्र खोले जाएंगे, इसके लिए बजट में 10 करोड़ 40 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।  आगामी दो वर्षो में शिशु लिंगानुपात की दृष्टि से 10 क्रिटिकल जिलों- झुन्झुनू, जयपुर, सीकर, दौसा, श्रीगंगानगर, करौली, धौलपुर, अलवर, भरतपुर व सवाई माधोपुर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के लिए सघन अभियान संचालित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि डायन प्रथा के उन्मूलन के लिए कानून बनाया जाएगा। इसके माध्यम से महिलाओं को इस कु-प्रथा से पीडि़त करने, उनकी सम्पति हड़पने एवं घृणित तरीके से सार्वजनिक रूप से अपमानित करने वालों को दंडित किया जायेगा।

श्रीमती भदेल सदन में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण, मांग संख्या-33 पर हुई बहस का जवाब दे रही थीं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय भुगतान में विलम्ब की समस्या के निराकरण के लिए एनआईसी के सहयोग से ‘राजपोषणÓ सॉफ्टवेयर विकसित करने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे सभी मानदेय कर्मियों को मानदेय व भत्तों का प्रतिमाह ऑनलाइन स्थानान्तरण होगी।

उन्होंने कहा कि कुपोषित व अति-कुपोषित बच्चों के बेहतर उपचार के लिए 13 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों व जनजातीय जिलों के 10 हजार बच्चों को ‘कुपोषण के लिए समुदाय आधारित प्रबन्धनÓ कार्यक्रम के लिए इस बजट में 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके साथ ही बारां, डूंगरपुर, धौलपुर, शाहबाद व धौलपुर में संचालित कुपोषण उपचार केंद्रों में एमटीसी में शैय्याओं की संख्या 10 से बढाकर 20 करने की स्वीकृति दी है।

महिला बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 47 प्रति हजार एवं मातृ मृत्यु दर 244 प्रति लाख है, जो राष्ट्रीय सूचकांक से काफी अधिक है। आईसीडीएस के तहत संचालित बेहतर पोषण, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण सुरक्षित मातृत्व एवं अन्य कार्यक्रमों का सघन रूप से संचालन कर वर्ष 2017 तक शिशु मृत्यु दर 40 तक एवं मातृ-मृत्यु दर 200 प्रति लाख तक लाने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि विभाग ने चयनित 100 आंगनबाडी केंद्रों को शिशु पालना गृह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इन केंद्रों पर कामकाजी माताओं के शिशुओं की देखभाल अतिरिक्त रूप से नियुक्त शिशु पालना कार्यकर्ता के माध्यम से की जाएगी। इसी प्रकार 100 केंद्रों को आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 10 जिला चिकित्सालयों में 10 करोड़ रुपए की लागत से मदर मिल्क बैंक की स्थापना करने का प्रावधान किया है।

विभागीय पदीय संरचना की चर्चा करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि 121 सहायक बाल विकास परियोजना अधिकारियों, 155 कनिष्ठ लेखाकारों एवं 44 मंत्रालयिक कर्मियों के नवीन पद सृजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सीधी भर्ती के माध्यम से 42 सीडीपीओ और 25 एसीडीपीओ, पर्यवेक्षकों के 215 पद, महिला संरक्षण अधिकारी और कार्यक्रम अधिकारी के 36 पदों को भरने की स्वीकृति दी है।

उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में राजपत्रित पदों के लिए आरपीएससी को तथा अराजपत्रित पदों के लिए अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को विभाग द्वारा अभ्यर्थना भेज दी गई है। इसी प्रकार आईएसएसएनआईपी और आईसीडीएस मिशन मोड के तहत जिला व ब्लॉक स्तर समन्वयक, सहायक समन्वयक एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर के संविदा आधारित पद स्वीकृत किए गए हैं। निदेशालय स्तर पर भी विशेषज्ञों के पद स्वीकृत किए हैं। इनकी भर्ती की प्रक्रिया प्रगति पर है, जिसके अनुसार प्रदेश में 926 कार्मिकों की भर्ती संविदा पर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ईसीसीई नीति के अनुसरण में राज्य के 20 चिन्हित जिलों में आंगनबाडी केंद्रों पर 324.80 लाख रुपए व्यय कर ईसीसीई दिवसों का आयोजन आगामी वर्ष में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ‘माता यशोदा पुरस्कारÓ पहली बार 8 मार्च, 2015 को दिए गए है। इस पुरस्कार के तहत प्रत्येक परियोजना के स्तर पर 1 आंगनबाडी कार्यकर्ता, एक सहायिका व एक सहयोगिनी को क्रमश: 5100 रुपए 2100 रुपए व 2100 रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

उन्होंने कहा कि दिसम्बर, 2013 से जनवरी, 2015 तक 12 हजार 801 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर 1.54 लाख महिलाओं को इससे जोड़ा गया है और 2 हजार 819 समूहों को ऋण से लाभान्वित किया गया है। आगामी वर्ष में 15000 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के उद्यमिता व व्यावसायिक प्रशिक्षण की दृष्टि से बजट प्रावधानों को बढ़ाकर 95 करोड़ रुपए कर दिया है।

उन्होंने कहा कि महिला अधिकारिता विभाग ने आरकेसीएल के माध्यम से 90 दिन का आरएस-सीआईटी कोर्स व 30 दिन का ‘डिजीटल सहेलीÓ नामक बेसिक प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया है। वर्ष 2014-15 में दिसम्बर तक 44 हजार 298 महिलाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि बजट में एक संभाग के एक जिले में कार्यरत ‘आशाÓ को टेबलेट पीसी उपलब्ध कराने और उन्हें प्रशिक्षण देने का प्रावधान किया है। आगामी वर्ष में विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चरणबद्घ तरीके से कम्प्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामूहिक विवाह नियमन व अनुदान योजना के तहत प्रति जोड़ा 12 हजार 500 रुपए  अनुदान विभाग द्वारा दिया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में दिसम्बर तक 848 जोड़ों को 260.37 लाख रुपए व्यय कर लाभान्वित किया जा चुका है।

श्रीमती भदेल ने कहा कि बालिकाओं व महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिये जाने के लिए गुजरात की पाडकर योजना की तर्ज पर गत वर्ष जयपुर में प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। आगामी वर्ष में 5 करोड़ रू. व्यय कर इसे पूरे राजस्थान में लागू किया जाएगा।

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