- February 26, 2015
हवामहल से सड़क सुरक्षा का संदेश
जयपुर- हवामहल विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री सुरेन्द्र पारीक ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं न केवल स्वयं की लापरवाही और यातायात नियमों की अवहेलना के कारण होती हैं बल्कि कई बार दूसरे वाहन चालकों की गलती का भी खामियाजा भुगतना पड़ता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को यातायात नियमों के बारे में जागरूक किया जाना जरूरी है। श्री पारीक परिवहन विभाग द्वारा मनाए जा रहे 26वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के अन्तर्गत बुधवार को बड़ी चौपड़ पर आयोजित सड़क सुरक्षा जागरुकता आयोजन में बोल रहे थे।
श्री पारीक ने कहा कि नुक्कड़ नाटक जैसी विधा सड़क सुरक्षा नियमों को आम जन को समझाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है। सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में गूंज संस्था द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘ससुरा की सीख’ एवं अरिहन्त नाट्य संस्था द्वारा ‘जीवन है अनमोल’ नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया। परिवहन विभाग की ओर से बुधवार शाम को जवाहर सर्किल के निकट भी सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के अन्तर्गत नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया।
इन नाटकों के जरिए सही उम्र में ही लाइसेंस लेकर वाहन चलाने, यातायात संकेतकों का पालन करने, एक वाहन पर ज्यादा सवारी नहीं बिठाने, वाहन प्रदूषण से प्रकृति को बचाने जैसे संदेश दर्शकों तक पहुंचाए गए। अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी श्री अर्जुन सिंह राठौड़ ने भी लोगों को सड़क सुरक्षा सप्ताह के बारे में जानकारी दी।
आदर्शनगर विधानसभा क्षेत्र में सड़क सुरक्षा जागरूकता आयोजन
26वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के अन्तर्गत बुधवार को आदर्शनगर विधानसभा क्षेत्र में जवाहर नगर कच्ची बस्ती टीला नम्बर 1, टीला नम्बर 7, केशव विद्यापीठ चौराहा, बर्फखाना रोड स्थित मामा का होटल, माली की कोठी स्वदेशी धर्मकांटा पर सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुए। इनमें क्षेत्रीय पार्षदों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थित में नुक्कड़ नाटक आयोजित किए गए और सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी दी गई।
‘नाटक आरोपी हाजिर हो’ का विशेष शो
परिवहन विभाग की ओर से सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के लिए श्री नरेन्द्र अरोड़ा लिखित बहुचर्चित नाटक ‘आरोपी हाजिर हो’ के विशेष शो का बुधवार शाम को जवाहर कला केन्द्र में मंचन किया गया। एकजुट संस्थान की प्रस्तुति इस नाटक में इस बात को सशक्त रूप से उठाया गया कि सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों के लिए कहीं हमारी सोच भी तो एक कारण नहीं है जो स्वंय को इन दुर्घटनाओं के लिए लेशमात्र भी जिम्मेदार नहीं ठहराती।