- February 12, 2015
मनरेगा राशि जारी करने का आग्रह
शिमला (हि०प्र०) – मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र ने केन्द्र सरकार से वर्ष 2014-15 के लिए प्रदेश के लिए मनरेगा के तहत स्वीकृत धनराशि के केन्द्र के शेष हिस्से को शीघ्र जारी करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा का प्रभावी क्रियान्वयन और रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाना सुनिश्चित बनाने के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश को धनराशि उपलब्ध न होने पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से संबंधित मंत्रालय को शीघ्र राज्य के हिस्से को जारी करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 में राज्य के लिए 761.71 करोड़ रुपये का लेबर बजट स्वीकृत किया है, जिसमें 670.71 करोड़ रुपये केन्द्रीय हिस्सा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को वर्तमान वित्त वर्ष में 740.58 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, परन्तु केन्द्र सरकार ने अभी तक केवल 355.43 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए शेष धनराशि जारी करने का आग्रह किया। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार मनरेगा को प्रभावी तरीके से लागू कर रही है तथा योजना के अन्तर्गत गत वित्त वर्ष के दौरान प्रदेश में 571.22 करोड़ रुपये व्यय कर 282.47 लाख कार्यदिवस सृजित किए गये जबकि लेबर बजट में 273.19 लाख कार्यदिवस स्वीकृत थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गत वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा योजना के अन्तर्गत पर्याप्त धनराधि उपलब्ध करवाई गई, जिससे लेबर बजट प्रोजेक्शन में प्रदेश ने 103 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय वर्तमान वित्त वर्ष के लिये 276.80 लाख कार्यदिवसों के लेबर बजट प्रोजेक्शन की स्वीकृति दी है।
उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रालय के 18 व 19 सितम्बर, 2014 को आयोजित प्रदर्शन समीक्षा समिति की बैठक के दौरान संशोधित धनराशि आबंटन के अनुसार प्रदेश को मिलने वाले केन्द्रीय हिस्से में कटौती कर इसे केवल 355.43 करोड़ रुपये कर दिया गया, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने स्वीकृत लेबर बजट के अनुसार मनरेगा का क्रियान्वयन पहले ही आरम्भ किया जा चुका है तथा केन्द्रीय आबंटन में की गई कटौती से प्रदेश में योजना का क्रियान्वयन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि धनराशि की कमी से अधिनियम के अनिवार्य कानूनी प्रावधानों की अनुपालना में भी कठिनाई आएगी।