सेक्स व्यापार वैध !! वेश्यावृतक को उद्योगपतियों की तरह मान्यता क्यों नहीं ?

सेक्स व्यापार  वैध !! वेश्यावृतक को उद्योगपतियों की तरह मान्यता क्यों नहीं ?

बी०बी०सी० दक्षिण एशिया –  दक्षिण भारत के तमिलनाडु में कम से कम 200 सेक्स वर्कर्स अपनी पहचान और अधिकार के लिए एक संगठन ” इंद्रा फीमेल पीर एजुकेटर कलेक्टिव  (EFPEC) “ का गठन किया है।

 भारत के अन्य राज्यों की तरह ही तमिलनाडु में भी  सेक्स व्यापार अवैध और वंचित है। जिसमें जुर्माना और सजा दोनो निहित है । maydayrally

सामाजिक रूढ़िवादी राज्य में जहाँ वेश्यावृति कलंक है ऐसा समझा जाता है की यह कदम सामाजिक सुधार का साहसिक  प्रयास है।

बी०बी०सी० से बात करते हुए संस्था के अध्यक्ष शांति ने कहा की इसका प्रथम लक्ष्य अन्य बच्चों और महिलाओं को इस व्यापार में आने से रोकना है।

 गैर सरकारी चैरिटी की तरह काम करते हुए सेक्स वर्कर्स के बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था भी करना है।

मितव्ययी सोसाइटी के रूप में  तमिलनाडु में  यह संस्था पहले से ही कार्यरत है। सदस्यों को भविष्य (जैसे जिसे बूढी या  काम छोड़ देने पर ) के लिए पैसा बचाने हेतु  प्रोत्साहित कर रही है।  26876

उनमें से एक समूह का कहना है – जब पुलिस तंग या प्रताड़ित करती है या बन्दी बना लेती है  तो संस्था उस वक्त उसके बच्चे को देखभाल करती है । जमानत के लिए व्यस्था करती है। सहायता के लिए आगे आती है।

HIV से पीड़ित सबसे ज्यादा लोग तमिलनाडु में है। ईएफपीईसी का कहना है की वह सेक्स वर्करों  के लिए स्वास्थ्य जागरूकता अभियान भी चलाती है। एड्स से बचाव के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच और कंडोम मुहैया करवाती है।

संस्था का कहना है की वह सेक्स वर्करों के पुनर्वास योजना नियोजित करेगी । नियोजन के तहत  व्यावसायिक प्रशिक्षण और वैकल्पिक रोजगार का प्रबंध किया जाएगा । ईएफपीईसी घर की सुविधा का प्रबंध करने के लिए सरकार से अपील की है। इनलोगो  के लिए सबसे बड़ी समस्या है इस बदनाम क्षेत्र से बाहर घर की (शरण स्थल) ।

मार्च 2001 ,कलकत्ता :  देशी और दक्षिण एशिया के हजारों सेक्स वर्कर्स यूनियन ‘दरबार महिला समनोय समिति का आयोजन किया ।  जिसमें कमजोर महिलाओं के बढ़ते तस्करी पर चर्चाऐं हुई।  सभा में तस्करों पर रोक लगाने के लिए नेटवर्क स्थापित करने पर भी सहमति हुई ।

मई 2001 , भारतीय पतित उद्धार सभा के नेतृत्व में मई दिवस के रूप में  भारतीय सेंसस कमीशन के विरुद्ध जुलुस निकाल कर मांग किया की उसे भिखारी, घुम्मकड़ और आवारा बच्चों के वर्ग में राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करे।

(हिंदी अनुवाद)

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