- November 16, 2014
काला धन वापस : कर संबंधी सूचनाएं मुहैया करायें – प्रधानमंत्री
ब्रिस्बेन (जी न्यूज) : विदेशों से काला धन वापस लाने के भारत के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर चोरी करने वालों के पनाहगाह देशों समेत प्रत्येक देश से संधियों में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुसार, कर संबंधी उद्देश्यों के लिए सूचनाएं मुहैया कराने को कहा।
काले धन का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाते हुए मोदी ने 20 औद्योगिक एवं प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक समन्वय का आह्वान किया।
कर संबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के नए वैश्विक मानकों पर भारत का समर्थन जताते हुए मोदी ने कहा कि विदेशों में जमा काले धन के बारे में जानकारी हासिल करने और उसे वापस लाने में ये मानक कारगर होंगे।
उन्होंने कर नीति एवं कर प्रशासन में परस्पर सहायता और सूचनाओं के आदान प्रदान को सुगम बनाने संबंधी सभी पहलों के लिए भारत का समर्थन जताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ब्रिस्बेन प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र’ में आयोजित जी.20 शिखर सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन ‘डिलीवरिंग ग्लोबल इकोनॉमिक रेजिलिएन्स’ विषय पर पूर्ण सत्र के दौरान यह बातें कहीं। मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि ‘बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शेयरिंग’ (बीईपीएस) व्यवस्था विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं का पूरा समाधान करेगी।
बीईपीएस से आशय बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर अदायगी से बचने की रणनीति के उपयोग का संबंधित देशों पर पड़ने वाले प्रभाव से है।
आम तौर पर बीईपीएस को ‘ट्रांसफर प्राइसिंग’ के तौर पर जाना जाता है जिसके तहत कंपनियां कर नियमों में खामी का उपयोग कर अपना लाभ कम या कर नहीं लगने वाले देशों में स्थानातंरित करती हैं। इससे उन देशों को नुकसान होता है जो काफी हद तक कंपनी कर पर निर्भर हैं।
इस शब्द का उपयोग ओईसीडी की अगुवाई वाले एक प्रोजेक्ट में किया गया। इसमें दुनिया के बड़े देश कंपनी करारोपण से संबद्ध नियमों को फिर से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस समस्या को दूर किया जा सके कि कंपनियां अपने कर का सही भुगतान नहीं करती हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पूंजी और प्रौद्योगिकी की गतिशीलता (मोबिलिटी) ने कर वंचन और लाभ स्थानांतरण के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।
मोदी ने विश्व समुदाय को समन्वित फैसले करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच नीतिगत समन्वय की जरूरत बनी हुई है।’