- February 19, 2024
समुद्र-मार्ग के माध्यम से भारत से रूस तक केले के निर्यात की सुविधा :महाराष्ट्र से 20 मीट्रिक टन (1540 बक्से) केले रवाना
दिनांक 17 फरवरी 2024 महाराष्ट्र से 20 मीट्रिक टन (1540 बक्से) केले की एक खेप को एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस कार्य में केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान का सहयोग रहा। एपीडा ने पारगमन में फलों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए संस्थान द्वारा इस शिपमेंट के लिए नियोजित समुद्री प्रोटोकॉल, समुद्री अंतर्राष्ट्रीय संधि का पालन किया।
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने नए उत्पादों को नए गंतव्यों तक भेजने के लिए नए तरीके अपनाने के लिए निर्यातकों को प्रोत्साहित किया। एपीडा इन प्रयासों का समर्थन कर रहा है और सुविधाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने एपीडा की वित्तीय सहायता योजना के बारे में जानकारी दी और बताया कि इस सहायता योजना में महिला उद्यमियों को अधिक समर्थन दिए जाने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने समुद्री प्रोटोकॉल के विकास में केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान के योगदान की सराहना की और सभी कर्मियों को बधाई दी।
हाल ही में, रूस ने भारत से उष्णकटिबंधीय फलों की खरीद में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जिनमें से एक केला है। भारत से रूस में प्रमुख रूप से केले का आयात किया जाता है। इससे पहले रूस लैटिन अमेरिका में इक्वाडोर से केले का आयात करता था।
भारतीय केले के प्रमुख निर्यात स्थलों में ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब, नेपाल, कतर, कुवैत, बहरीन, अफगानिस्तान और मालदीव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, चीन, नीदरलैंड, ब्रिटेन और फ्रांस भारत को प्रचुर निर्यात अवसर प्रदान करते हैं।
इस खेप को मैसर्स गुरुकृपा कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले रवाना किया गया। यह महिला उद्यम एपीडा में प्रमुख पंजीकृत निर्यातक है। गुरुकृपा कॉर्पोरेशन ने आंध्र प्रदेश के किसानों से सीधे केले खरीदे। कटाई के बाद, केले को एपीडा द्वारा अनुमोदित पैकहाउस में लाया गया, महाराष्ट्र में इसे श्रेणियों में बांटा गया वर्गीकृत किया गया और पैक किया गया। तत्पश्चात कंटेनरों में भरा गया और कंटेनरों को रूस में मॉस्को भेजे जाने के लिए जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह से रूस के नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह के लिए रवाना किया गया।
भारत में आंध्र प्रदेश केले का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। यहां की मुख्य फसल केला है। इसके पश्चात महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं। ये पांच राज्यों ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में भारत के केला उत्पादन में सामूहिक रूप से लगभग 67 प्रतिशत का योगदान दिया।
केले का सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक होने के बावजूद, भारत बड़ी मात्रा में विश्व को केले निर्यात नहीं करता। वैश्विक बाजार में भारत का निर्यात हिस्सा केवल एक प्रतिशत है, जबकि विश्व के केला उत्पादन (35.36 मिलियन मीट्रिक टन) में देश की हिस्सेदारी 26.45 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, भारत ने 176 मिलियन अमरीकी डॉलर केले का निर्यात किया, जो 0.36 मिलियन मीट्रिक टन के बराबर है।
अगले पांच वर्षों में भारत से केले का निर्यात में एक बिलियन अमरीकी डॉलर का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है। यह उपलब्धि किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करेगी और 25,000 से अधिक किसानों की आजीविका में सुधार करेगी। इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े 50,000 से अधिक एग्रीगेटर्स के लिए रोजगार सृजन का अनुमान है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि एपीडा द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई विभिन्न पहलों का परिणाम है। इन पहलों विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों का आयोजन, उत्पाद-विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज करना, प्राकृतिक, जैविक और भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाले कृषि उत्पादों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के साथ प्रयास किए गए हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। विशेष रूप से लंबी दूरी के गंतव्यों के लिए, फलों और सब्जियों की गुणवत्ता और विशेषताओं को बनाए रखना और समुद्री प्रोटोकॉल का विकास एपीडा के अग्रसर रहने का प्रमुख लक्ष्य है।