- February 18, 2024
विपुल बिल्डर: वित्तीय आंकड़ों का खेल और वित्तीय आत्महत्या को मजबूर ” फ्लैट ओनर्स”
विपुल लिमिटेड नामक बिल्डर जिसकी वित्तीय हालत पिछले कुछ वर्षो से ख़राब चल रही थी अचानक दिसंबर २०२३ को समाप्त हुए क्वार्टर में बिक्री में अप्रत्यशित उछाल दर्ज़ दिखाई । कंपनी ने ६ करोड़ की बिक्री के मुकाबले १५७ करोड़ की बिक्री घोषित की हैं और इसी अवधि में कुल हानि जो १३ करोड़ थी उसके मुकाबले ६७ करोड़ का शुद्ध मुनाफा दिखाया हैं ।
कंपनी के पिछले पांच वर्षो की कुल बिक्री लगभग ६५० करोड़ और कुल हानि २७९ करोड़ घोषित हैं परंतु यह कंपनी आज इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि कंपनी का कोई नया प्रोजेक्ट लांच नहीं हुआ और कुछ प्रोजेक्ट जो लांच थे वहां कई साल बीतने के बाद भी फ्लैट ओनर्स को घर हैंडओवर नहीं किये गए हैं ।
यह आंकड़े बड़े अप्रत्याशित हैं और भौचक करते हैं की ये सब कैसे संभव हो सकता है ? क्या यह वित्तीय आंकड़ों का खेल हैं या किसी ऑडिट फर्म की चतुराई या फिर इसे आप इसे कोई जादुई चमत्कार कहेंगे (वैसे जब यह लेख लिखा जा रहा हैं एक डिटेल्ड कंप्लेंट ICAI और सम्बंधित विभागों को भी भेजी जा रही हैं) ।
सैकड़ो फ्लैट ओनर्स ने अपने खून पसीने की कमाई से सपने सजो कर विपुल नाम के दिल्ली एनसीआर के इस बिल्डर के पास अपने फ्लैट दस वर्षो पहले बुक किये थे और आज तक उन्हें अपने फ्लैटों का स्वामित्व नहीं मिला हैं । एक और काले कोट पहने हुए वकीलों का हुजूम हैं, कोर्ट्स हैं और घरो के निर्माण में देरी के लिए न्याय प्रदान के लिए रेरा जैसी एजेंसिया हैं । लेकिन बावजूद इसके सैकड़ों परिवार आज मरने के लिए मजबूर किये जा रहे हैं । कई फ्लैट ओनर्स और सीनियर सिटीजन्स हैं । जिनका स्वास्थ्य ख़राब हैं । वित्तीय हालत भी अच्छी नहीं हैं और विपुल बिल्डर्स से घर या मुवावज़ा ना मिलने पर मजबूरी में गला घोटू वित्तीय आत्मत्या के अंधकार में धकेले जा रहे हैं ।
हमारे प्रधानमंत्री जी अयोध्या में राम जी को तो ले आये पर हम सब का क्या ? हमारे घरो का हमारे न्याय का क्या ? कोई मोल नहीं ?
-अजय सिंह
सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार