प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सबसे निचले देशों में

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सबसे निचले देशों में

भारत दुनियाभर में जारी की जाने वाली रैंकिंग की व्यवस्था का विरोध करने पर काम कर रहा है. उसका कहना है कि यह व्यवस्था ‘एजेंडा आधारित’ और ‘नव-साम्राज्यवादी’ है.

भारत के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल का कहना है कि दुनियाभर में जारी की जाने वालीं विभिन्न रैंकिग सूचियों का विरोध किया जाएगा क्योंकि वे एजेंडा आधारित होती हैं और उनके कारण व्यापार में नुकसान होता है.

दुनिया की विभिन्न एजेंसियां प्रशासन, भ्रष्टाचार, मीडिया की आजादी, भुखमरी और खुशहाली जैसे विषयों पर रैंकिंग जारी करती हैं, जिनमें से कई में भारत की रैंकिंग लगातार खराब हो रही है. मसलन, हाल ही में जारी प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सबसे निचले देशों में आंकी गई है.

सान्याल ने कहा कि भारत ने इस रैंकिंग का मुद्दा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि ये सूचियां उत्तरी अटलांटिक से काम करने वाले थिंक टैंकों के छोटे समूहों द्वारा तैयार की जाती हैं और इन्हें तीन-चार एजेसियों से फंड मिलता है, जो “दुनिया का असली एजेंडा निर्धारित कर रही हैं.’

सान्याल ने कहा, “यह सिर्फ किसी तरह का माहौल बनाने की कोशिश नहीं है. इसका व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर सीधा असर होता है.”

भारत की खराब रैंकिंग

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भी नीचे आई है. यह रैंकिंग रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नाम की संस्था द्वारा जारी की जाती है. रिपोर्टर विदाउट बॉर्डर्स फ्रांस के पेरिस से काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसे 1985 में पूर्व पत्रकार और दक्षिणपंथी राजनेता रोबेर्ट मेनार्ड ने स्थापित किया था.

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