- January 31, 2023
‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’: जीएनपीए घटकर पिछले सात वर्षों के न्यूनतम स्तर 5.0
PIB Delhi ———केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 31 जनवरी, 2023 को संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश की। इस आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
आर्थिक हालात 2022-23 : पूर्ण रिकवरी हो गई है
- महामारी की वजह से दर्ज की गई गिरावट, रूस- यूक्रेन युद्ध के प्रतिकूल असर और महंगाई से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में अब समस्त क्षेत्रों में उल्लेखनीय बेहतरी देखने को मिल रही है, जिससे यह वित्त वर्ष 2023 में महामारी पूर्व विकास पथ पर अग्रसर हो रही है।
- भारत में जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में भी दमदार रहने की आशा। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 6-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- वित्त वर्ष 2015 से लेकर अब तक प्रथम छमाही में निजी खपत सर्वाधिक रही है और इससे उत्पादन संबंधी गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिला है जिससे समस्त क्षेत्रों में क्षमता उपयोग बढ़ गया है।
- केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय और अब कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट की अगुवाई में निजी पूंजीगत व्यय चालू वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में काफी मददगार साबित हो रहा है।
- एमएसएमई क्षेत्र को कुल ऋणों में वृद्धि जनवरी-नवम्बर 2022 के दौरान औसतन 30.6 प्रतिशत से भी अधिक रही।
- खुदरा महंगाई नवम्बर 2022 में घटकर फिर से आरबीआई के लक्षित दायरे में आ गई है।
- भारतीय रुपये का प्रदर्शन अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी बेहतर रहा।
- प्रत्यक्ष कर संग्रह अप्रैल-नवम्बर 2022 के दौरान भी दमदार रहा।
- घटती शहरी बेरोजगारी दर और कर्मचारी भविष्य निधि में तेजी से हो रहे कुल पंजीकरण में बेहतर रोजगार सृजन नजर आ रहा है।
- सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मों के विस्तारीकरण और विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के उपायों से आर्थिक विकास की गति तेज हो जाएगी।
भारत का मध्यमकालिक विकास आउटलुक : अपेक्षाओं और उम्मीदों के साथ
- भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यापक ढांचागत एवं गवर्नेंस सुधार लागू किए गए जिनकी बदौलत वर्ष 2014-22 के दौरान इसकी समग्र दक्षता बढ़ने से अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व मजबूत हो गए हैं।
- जीवन यापन और कारोबार करने में सुगमता बढ़ाने पर विशेष जोर देने के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 के बाद लागू किए गए सुधार सार्वजनिक वस्तुएं तैयार करने, विश्वास आधारित गवर्नेंस को अपनाने, विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ सह-भागीदारी करने, और कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर आधारित थे।
- वर्ष 2014-2022 की अवधि के दौरान भी बैलेंस शीट पर दबाव देखा गया जिसका कारण विगत वर्षों के दौरान ऋणों में आया बूम और एकबारगी करारा वैश्विक झटका था। इस वजह से प्रमुख वृहद आर्थिक अवयव या घटक जैसे ऋण वृद्धि, पूंजी सृजन और इस तरह से आर्थिक विकास इस अवधि के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ।
- यह स्थिति दरअसल वर्ष 1998-2002 की अवधि से काफी मिलती-जुलती है क्योंकि उस दौरान सरकार द्वारा लागू किए गए रूपांतरकारी सुधारों से विकास की गति अर्थव्यवस्था में अस्थायी झटके लगने के कारण धीमी हो गई थी। जब ये झटके कमजोर पड़ गए तो लागू किए गए ढांचागत सुधारों का व्यापक लाभ वर्ष 2003 से मिलने लगे थे।
- इसी तरह वर्ष 2022 में लगे महामारी के वैश्विक झटके जब कमजोर पड़ जाएंगे और महंगाई कम हो जाएगी तो भारतीय अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से अगले दशक में काफी तेज रफ्तार पकड़ लेगी।
- बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और कॉरपोरेट क्षेत्रों की बेहतर बैलेंस शीट की बदौलत नए सिरे से एक ऋण चक्र बाकायदा शुरू हो चुका है, जो कि विगत महीनों के दौरान बैंक ऋणों में दर्ज की गई दहाई अंकों की वृद्धि दर से पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था इसके साथ ही अपेक्षाकृत अधिक औपचारिकरण, वित्तीय समावेश के बल पर बढ़ती दक्षता और डिजिटल प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक सुधारों से सृजित आर्थिक अवसरों से लाभान्वित होने लगी है।
- अत: आर्थिक समीक्षा का अध्याय 2 यह दर्शाता है कि महामारी पूर्व वर्षों की तुलना में अब भारत का विकास आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है, और भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में अपनी पूरी क्षमता के साथ विकसित होने के लिए तैयार है।
राजकोषीय घटनाक्रम : राजस्व में तेज उछाल
- केन्द्र सरकार की वित्तीय स्थिति वित्त वर्ष 2023 के दौरान काफी सुदृढ़ हो गई है जो कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ने, प्रत्यक्ष करों एवं जीएसटी से होने वाले राजस्व में तेज उछाल और बजट में यथार्थवादी अनुमान लगाए जाने से ही संभव हो पाई है।
- अप्रैल-नवम्बर 2022 के दौरान सकल कर राजस्व में 15.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई जो कि प्रत्यक्ष करों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में दमदार वृद्धि से संभव हुई है।
- चालू वित्त वर्ष के प्रथम आठ महीनों के दौरान प्रत्यक्ष करों में वृद्धि दरअसल इनके दीर्घकालिक औसत से काफी अधिक रही है।
- जीएसटी अब केन्द्र और राज्य सरकारों का एक अहम राजस्व स्रोत बन गया है। अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान सकल जीएसटी संग्रह में वार्षिक आधार पर 24.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- चालू वित्त वर्ष के दौरान राजस्व व्यय की आवश्यकता काफी अधिक रहने के बावजूद केन्द्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर निरंतर विशेष जोर दिया जाता रहा है। केन्द्र सरकार का पूंजीगत व्यय जीडीपी के 1.7 प्रतिशत के दीर्घकालिक वार्षिक औसत (वित्त वर्ष 2009 से वित्त वर्ष 2020 तक) से निरंतर बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी का 2.5 प्रतिशत हो गया है।
- केन्द्र सरकार ने ब्याज मुक्त ऋणों और बढ़ी हुई उधारी सीमा के जरिए राज्य सरकारों को भी प्रोत्साहित किया है, ताकि वे पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता दे सकें।
- अवसंरचना क्षेत्रों जैसे कि सड़कों एवं राजमार्गों, रेलवे, आवास और शहरी मामलों पर विशेष जोर देने से पूंजीगत व्यय में वृद्धि करने के व्यापक सकारात्मक निहितार्थ देश में मध्यमकालिक आर्थिक विकास के लिए हैं।
- सरकार की पूंजीगत व्यय आधारित विकास रणनीति से भारत में विकास दर एवं ब्याज दर के बीच के अंतर को धनात्मक रखने में मदद मिलेगी जिससे आने वाले वर्षों में ऋण- जीडीपी अनुपात को एक दायरे में रखना संभव हो पाएगा।
मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता : अच्छा वर्ष साबित हुआ
- आरबीआई ने अप्रैल 2022 में अपनी मौद्रिक नीति को कठोर करना शुरू किया था और उस समय से लेकर अब तक रेपो रेट में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है जिससे अधिशेष तरलता में कमी आई है।
- बैलेंस शीट को दुरुस्त करने से वित्तीय संस्थानों के ऋणों में वृद्धि हुई है।
- ऋणों का उठाव में दर्ज की गई वृद्धि के आगे भी जारी रहने की आशा है, और इसके साथ ही निजी पूंजीगत व्यय बढ़ने से लाभप्रद निवेश चक्र शुरू हो जाएगा।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का गैर-खाद्य ऋण अप्रैल 2022 से ही लगातार दहाई अंकों में बढ़ रहा है।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का कर्ज वितरण भी बढ़ता जा रहा है।
- एससीबी का सकल गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात घटकर पिछले सात वर्षों के न्यूनतम स्तर 5.0 पर आ गया है।
- पूंजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) अब भी 16.0 के उच्च स्तर पर बना हुआ है।
- दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के जरिए एससीबी के लिए रिकवरी दर अन्य चैनलों की तुलना में वित्त वर्ष 2022 में सर्वाधिक रही।
कीमतें एवं महंगाई : सफलतापूर्वक संतुलन स्थापित करना
- जहां एक ओर तीन से चार दशकों के लंबे अंतराल के बाद विकसित देशों में आसमान छूती महंगाई की वापसी देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर भारत में मूल्यवृद्धि एक सीमा में बनी रही।
- वैसे तो भारत में खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2022 में बढ़कर 7.8 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई जो कि आरबीआई की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से अधिक थी, लेकिन भारत में लक्षित सीमा से बढ़ी हुई महंगाई इसके बावजूद पूरी दुनिया में न्यूनतम में से एक रही।
- सरकार ने मूल्य वृद्धि को एक दायरे में रखने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई:
- पेट्रोल और डीजल पर निर्यात शुल्क में कई चरणों में कटौती की गई।
- प्रमुख कच्चे माल पर आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया गया, जबकि लौह अयस्क एवं सांद्र के निर्यात पर देय कर को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया।
- कपास के आयात पर देय सीमा शुल्क को 14 अप्रैल 2022 से लेकर 30 सितम्बर 2022 तक माफ कर दिया गया।
- एचएस कोड 1101 के तहत गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया और चावल पर निर्यात शुल्क लगाया गया।
- कच्चे एवं परिशोधित पाम ऑयल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर देय बुनियादी शुल्क में कमी की गई।
- आरबीआई द्वारा अग्रिम तौर पर गाइडेंस जारी करके अपेक्षित महंगाई अनुमानों को नियंत्रण में रखने और इसके साथ ही उचित मौद्रिक नीति अपनाने से देश में महंगाई को सही दिशा में रखने में मदद मिली।
- कारोबारियों और परिवारों दोनों के ही आने वाले वर्ष के लिए महंगाई अनुमान चालू वित्त वर्ष में कम हो गए हैं।
- सरकार द्वारा आवास क्षेत्र में समय पर नीतिगत उपाय करने और इसके साथ ही आवास ऋणों पर ब्याज दरों को कम रखने से आवास क्षेत्र में मांग को बढ़ाने में काफी मदद मिली और बड़ी संख्या में खरीदार वित्त वर्ष 2023 के दौरान किफायती आवास की ओर आकर्षित हुए।
- संयोजित आवास मूल्य सूचकांकों (एचपीआई) के आकलन में समग्र रूप से हुई वृद्धि और आवास मूल्य सूचकांकों से संबंधित बाजार मूल्यों से आवास वित्त क्षेत्र में फिर से तेज गति आने के संकेत मिलते हैं। एचपीआई में स्थिर से लेकर मामूली वृद्धि होने से परिसंपत्ति का मूल्य बने रहने की दृष्टि से गृह मालिकों और आवास ऋण प्रदाताओं का विश्वास बढ़ जाता है।
- भारत का महंगाई प्रबंधन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है, जो कि विकसित देशों की मौजूदा हालत के ठीक विपरीत है क्योंकि वे अब भी ऊंची महंगाई दर से जूझ रहे हैं।
सामाजिक अवसंरचना और रोजगार : विशेष जोर
- सामाजिक क्षेत्र पर सरकारी खर्च में व्यापक वृद्धि देखने को मिली।
- स्वास्थ्य क्षेत्र पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों का अनुमानित व्यय बढ़कर वित्त वर्ष 2023 (बीई) में जीडीपी का 2.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 (आरई) में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत हो गया, जो कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी का 1.6 प्रतिशत ही था।
- सामाजिक क्षेत्र पर व्यय वित्त वर्ष 2016 के 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 (बीई) में 21.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
- आर्थिक समीक्षा में बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर यूएनडीपी की रिपोर्ट 2022 के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला गया है जिनमें कहा गया है कि भारत में 41.5 करोड़ लोग वर्ष 2005-06 और वर्ष 2019-20 के बीच गरीबी से उबर गए।
- आकांक्षी जिला कार्यक्रम विशेषकर सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्रों में सुशासन के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में सामने आया है।
- असंगठित कामगारों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल विकसित किया गया जिसका सत्यापन ‘आधार’ से होता है। 31 दिसम्बर, 2022 तक कुल मिलाकर 28.5 करोड़ से भी अधिक असंगठित कामगारों ने ई-श्रम पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है।
- जैम (जन-धन, आधार, एवं मोबाइल) के साथ-साथ डीबीटी ने समाज के हाशिए पर पड़े लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ दिया है जिससे लोगों को सशक्त करते हुए पारदर्शी एवं उत्तरदायी गवर्नेंस के मार्ग में क्रांति आ गई है।
- ‘आधार’ ने को-विन प्लेटफॉर्म को विकसित करने और टीके की 2 अरब से भी अधिक खुराक लोगों को पारदर्शी ढंग से देने में अहम भूमिका निभाई है।
- शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में श्रम बाजार मुश्किलों से उबर कर कोविड पूर्व स्तर से ऊपर चला गया है। यही नहीं, बेरोजगारी दर वर्ष 2018-19 के 5.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2020-21 में 4.2 प्रतिशत रह गई है।
- वित्त वर्ष 2022 में स्कूलों में सकल दाखिला अनुपात (जीईआर) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और इसके साथ ही बालक-बालिका अनुपात भी बेहतर हो गया। 6 से 10 साल के आयु वर्ग में आबादी के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 में प्राथमिक दाखिला में जीईआर वित्त वर्ष 2022 में बालिकाओं के साथ-साथ बालकों के मामले में भी बढ़ गया है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए अनेक कदमों की बदौलत कुल स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में अपनी जेब से होने वाला खर्च वित्त वर्ष 2014 के 64.2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2019 में 48.2 प्रतिशत रह गया।
- बाल मृत्यु दर (आईएमआर), 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और नवजात शिशु मृत्यु दर (एनएमआर) में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है।
- 6 जनवरी, 2023 तक कोविड टीके की 220 करोड़ से भी अधिक खुराक लोगों को दी गई हैं।
- 4 जनवरी, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन किया गया है। आयुष्मान भारत के तहत देश भर में 1.54 लाख से भी अधिक स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों को चालू किया गया है।
जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण : भावी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करना
- भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘नेट जीरो’ का संकल्प व्यक्त किया।
- भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधनों से 40 प्रतिशत अधिष्ठापित बिजली क्षमता का अपना लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले ही हासिल कर लिया।
- गैर-जीवाश्म ईंधनों से संभावित अधिष्ठापित क्षमता वर्ष 2030 तक 500 जीडब्ल्यू से भी अधिक हो जाएगी जिससे वर्ष 2014-15 की तुलना में वर्ष 2029-30 तक औसत उत्सर्जन दर में लगभग 29 प्रतिशत की कमी आ जाएगी।
- भारत अपनी जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत कम कर देगा।
- वर्ष 2030 तक लगभग 50 प्रतिशत संचयी बिजली अधिष्ठापित क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से हासिल होगी।
- पर्यावरण के लिए जीवन शैली ‘लाइफ’ के रूप में जन आंदोलन शुरू किया गया।
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) नवम्बर 2022 में जारी किया गया।
- आरबीआई ने 4000 करोड़ रुपये के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) की दो किस्तों की नीलामी की।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से भारत वर्ष 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
- वर्ष 2030 तक कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित कर ली जाएगी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की संचयी कटौती की जाएगी और 6 लाख से भी अधिक रोजगार सृजित किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 125 जीडब्लयू की वृद्धि की जाएगी और जीएचजी के वार्षिक उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी की जाएगी।
- आर्थिक समीक्षा में सीसी पर एनएपी के तहत आठ मिशनों की दिशा में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, ताकि जलवायु से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जा सके और सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
- अधिष्ठापित सौर ऊर्जा क्षमता, जो कि राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत एक अहम पैमाना है, अक्टूबर 2022 में 61.6 जीडब्ल्यू दर्ज की गई।
- भारत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक पसंदीदा गंतव्य या देश बनता जा रहा है; सात वर्षों में कुल निवेश 78.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया है।
- सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन के तहत 62.8 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6.2 लाख सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण (अगस्त 2022) किया गया।
कृषि एवं खाद्य प्रबंधन
- कृषि और संबंधित क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से मजबूत रहा है। काफी हद तक इसका कारण फसल एवं मवेशी उत्पादकता में वृद्धि, समर्थन मूल्य के माध्यम से किसानों को निश्चित आमदनी सुनिश्चित करने, फसलों में विविधता को बढ़ावा देने किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना के माध्यम से बाजार अवसंरचना में सुधार लाने तथा कृषि अवसंरचना निधि के माध्यम से ढांचागत सुविधाओं में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किए गए उपाय रहा।
- वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र में निजी निवेश 9.3 प्रतिशत बढ़ा
- वर्ष 2018 से शासनादेश वाली सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, पूरे भारत में उत्पादन की औसत लागत का 1.5 गुणा निर्धारित किया गया
- वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण लगातार बढ़कर 18.6 लाख करोड़ हो गया
- भारत में खाद्यान्न उत्पादन में निरंतर वृद्धि देखी गई और वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 315.7 मिलियन टन हो गया
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिए लगभग 81.4 करोड़ लाभार्थियों के लिए मुफ्त खाद्यान्न
- योजना के अंतर्गत अप्रैल-जुलाई 2022-23 भुगतान चक्र में लगभग 11.3 करोड़ किसानों को कवर किया गया।
- कृषि अवसंरचना निधि के तहत फसल पश्चात समर्थन और सामुदायिक खेती के लिए 13,681 करोड़ रुपए मंजूर
- राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना (ई-नाम) के तहत 1.74 करोड़ किसानों और 2.39 लाख व्यापारियों के साथ ऑनलाइन, प्रतिस्पर्धी, पारदर्शी निविदा प्रणाली लागू
- परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से जैविक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष पहल के माध्यम से भारत मोटे अनाजों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है
उद्योगः निरंतर भरपाई
- औद्योगिक क्षेत्र द्वारा समग्र सकल मूल्य संवर्धन (जीवीडब्ल्यू) में 3.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई (वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही के लिए), जो पिछले दशक के पूर्वाद्ध के दौरान हासिल की गई 2.8 प्रतिशत की औसत वृद्धि से अधिक है।
- वर्ष की पहली छमाही के दौरान निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में मजबूत वृद्धि, निर्यात प्रोत्साहन, संवर्द्धित सार्वजनिक पूंजीगत व्यय और मजबूत बैंक एवं कॉरपोरेट तुलन पत्रों के कारण निवेश की मांग में वृद्धि
- बढ़ी हुई मांग के प्रति उद्योग की आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत रही है।
- जुलाई 2021 से 18 महीनों के लिए पीएमआई विनिर्माण विस्तार क्षेत्र में कायम रहा है। औद्योगिक विस्तार सूचकांक में उत्साहवर्धक वृद्धि रही है।
- सूक्ष्म लघु और मझौले उद्यमों को रिण में जनवरी 2022 से औसतन लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बड़े उद्योगों में अक्टूबर 2022 से दहाई के आंकड़े में वृद्धि देखी गई है।
- इलैक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में वित्त वर्ष 19 में 4.4 बिलियन डॉलर से वित्त वर्ष 22 में 11.6 बलियन तक लगभग तीन गुणा वृद्धि हुई है।
- भारत वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। यहां हेंडसेट का उत्पादन वित्त वर्ष 15 में 6 करोड़ यूनिट से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 29 करोड़ तक पहुंच गया।
- फार्मा उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में चार गुणा वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 19 में 180 मिलियन डॉलर से बढ़कर यह वित्त वर्ष 22 में 699 मिलियन डॉलर हो गया।
- भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्लग करने के लिए पीएलआई योजनाएं अगले पांच वर्षों में अनुमानित चार लाख करोड़ पूंजीगत व्यय के साथ 24 श्रेणियों में शुरू की गई हैं। वित्त वर्ष 22 में पीएलआई योजनाओं के अंतर्गत 47500 करोड़ का निवेश देखा गया। जो कि वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 106 प्रतिशत था। पीएलआई योजनाओं के कारण 3.85 लाख करोड़ रुपए मूल्य की उत्पादन/बिक्री और 3.0 लाख का रोजगार का सृजन हुआ है।
- जनवरी 2023 तक 39,000 अनुपालनों में कमी आई है और 3500 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया है।
बाहरी क्षेत्र
- अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान व्यापार निर्यात 332.8 बिलियन डॉलर रहा।
- भारत ने अपने बाजार को विभिन्न वर्गों में विविधिकृत किया और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब के लिए अपने निर्यात में बढ़ोत्तरी की।
- बाजार के विस्तार और बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, 2002 में यूएई के साथ सीईपीए और ऑस्ट्रेलिया के साथ ईसीटीए लागू हुआ।
- भारत, 2022 में 100 बिलियन डॉलर प्राप्त करने के द्वारा विश्व में प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा। सेवा निर्यात के बाद प्रेषण बाह्य वित्त पोषण का दूसरा सबसे बड़ा प्रमुख स्रोत है।
- दिसम्बर, 2022 तक विदेशी मुद्रा भंडार 9.3 महीनों के आयात को कवर करते हुए 563 बिलियन डॉलर पर रहा।
- नवम्बर, 2022 के अंत तक भारत विश्व में छठा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार धारक है।
- बाह्य ऋण का वर्तमान स्टॉक विदेशी मुद्रा भंडार के आरामदायक स्तर से अच्छी तरह सुरक्षित है।
- भारत का सकल राष्ट्रीय आय की प्रतिशतता के रूप में कुल ऋण का अपेक्षाकृत निम्न स्तर तथा कुल ऋण की प्रतिशतता के रूप में अल्प अवधि ऋण है।
भौतिक और डिजिटल अवसंरचना
अवसंरचना विकास के लिए सरकार का दृष्टिकोण
- सार्वजनिक निजी भागीदारी
- वीजीएफ योजना के लिए 2014-15 से 2022-23 के दौरान 56 परियोजनाओं को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी गई, जिनकी कुल परियोजना लागत 57,870.1 करोड़ रुपये है।
- वित्त वर्ष 23-25 के लिए, 150 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ आईआईपीडीएफ को केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रुप में अधिसूचित किया गया।
- राष्ट्रीय अवंसरचना पाइपलाइन
- कुल 141.4 लाख करोड़ रुपये की 89,151 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है।
- 5.5 लाख करोड़ रुपये की 1009 परियोजनाएं पूरी की गईं।
- एनआईपी और परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पॉर्टल को आपस में जोड़ने से परियोजनाओं की मंजूरी/स्वीकृति में तेजी।
- राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन
- 9.0 लाख करोड़ रुपये की संचयी निवेश क्षमता का निर्माण।
- वित्त 2022 के दौरान 0.8 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 0.9 लाख करोड़ रुपये का मौद्रीकरण लक्ष्य हासिल किया गया।
- वित्त वर्ष 2023 के लिए लक्ष्य 1.6 लाख करोड़ रुपये (कुल एनएमपी लक्ष्य का 27 प्रतिशत)।
- गतिशक्ति
- पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान विभिन्न मन्त्रालयों / विभागों के लिए एकीकृत योजना निर्माण और तालमेल आधारित कार्यान्वयन के संदर्भ में व्यापक डेटाबेस का निर्माण करता है।
- लोगों और सामानों के निर्बाध आवागमन की कमियों को दूर करते हुए मल्टीमॉडल परिवहन और लॉजिस्टिक कार्यकुशलता को बेहतर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
विद्युत क्षेत्र और नवीकरणीय
- 30 सितम्बर, 2022 तक सरकार ने 16 राज्यों में 59 सोलर पार्कों के विकास की मंजूरी दी है, जिसकी कुल लक्ष्य क्षमता 40 जीडब्ल्यू है।
- वित्त वर्ष 2022 के दौरान 17.2 लाख जीडब्ल्यूएच विद्युत का उत्पादन हुआ।
- कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता (उद्योग, जिनकी मांग एक मेगावाट (एमडब्ल्यू) और अधिक है), 31 मार्च, 2021 के 460.7 जीडब्ल्यू के मुकाबले 31 मार्च, 2022 को 482.2 जीडब्ल्यू हो गयी।
भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना
- तेज और समावेशी विकास के लिए राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति देश में एक तकनीक सक्षम, एकीकृत, किफायती, लचीली, सतत और विश्वसनीय लॉजिस्टिक इकोसिस्टम को विकसित करने की परिकल्पना करती है।
- राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में तेजी; वित्त वर्ष 2016 के 6061 किलोमीटर की तुलना में वित्त वर्ष 2022 के दौरान 10457 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों / सड़कों का निर्माण किया गया।
- वित्त वर्ष 2020 के 1.4 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बजट परिव्यय बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 2.4 लाख करोड़ रुपये किया गया। इस प्रकार पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई।
- अक्तूबर 2022 तक 2359 किसान रेलों ने लगभग 7.91 लाख टन सब्जियों / फलों का परिवहन किया।
- 2016 में शुरुआत होने के बाद, एक करोड़ से ज्यादा हवाई यात्रियों ने उड़ान स्कीम का लाभ प्राप्त किया है।
- आठ वर्षों में प्रमुख पत्तनों की क्षमता दोगुनी हुई।
- सौ साल पुराने अधिनियम के स्थान पर अंतरदेशीय पोत अधिनियम 2021 लागू किया गया, ताकि अंतरदेशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के साथ पत्तनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।
भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई)
- 2019-22 के दौरान यूपीआई आधारित लेन-देन के लिए मूल्य के संदर्भ में 121 प्रतिशत की वृद्धि और मात्रा के संदर्भ में 115 प्रतिशत की वृद्धि, इससे यूपीआई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- टेलीफोन और रेडिया – डिजिटल सशक्तिकरण
- भारत में कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 117.8 करोड़ (सितम्बर 2022 तक) है, 44.3 प्रतिशत उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में।
- कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं में से 98 प्रतिशत मोबाइल फोन द्वारा जुड़े हुए हैं।
- मार्च 2022 में भारत का कुल टेली – घनत्व 84.8 प्रतिशत है।
- 2015 से 2021 के दौरान ग्रामीण इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि।
- प्रसार भारती (भारत का स्वायत्त लोक प्रसारक) 479 स्टेशनों के माध्यम से 23 भाषाओं और 179 उप-भाषाओं में अपने कार्यक्रम प्रसारित करता है, जिसकी पहुंच 92 प्रतिशत क्षेत्र और कुल आबादी के 99.1 प्रतिशत तक है।
- डिजिटल जन वस्तुएं
- 2009 में आधार के शुभारंभ के साथ कम खर्च पर पहुंच हासिल की गई।
- मेरी योजना, टीआरएडीएस, जेम, ई-नाम, उमंग से मार्किट प्लेस में बदलाव आया है और नागरिक विभिन्न क्षेत्र में सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं।
- अनुमति आधारित डेटा साझाकरण रूपरेखा वर्तमान में 110 करोड़ बैंक खातों में संचालित की जा रही है।
- ओपन डिजिटल एनेबलमेंट नेटवर्क, डिजिटल ऋण आवेदनों को शुरु से अंत तक अनुमति देने के साथ ऋण प्रक्रियाओं के लोकतंत्रीककरण का लक्ष्य रखता है।
- राष्ट्रीय एआई पोर्टल ने 1520 लेख प्रकाशित किए हैं, 262 वीडियो निर्मित किए हैं और 120 सरकारी पहलों की शुरुआत हुई है, जिन्हें विभिन्न भाषाओं के कारण होने वाली समस्याओं के समाधान अर्थात् ‘भाषिनी’ के रूप में देखा जा रहा है।
- उपयोगकर्ता की निजता को बढ़ाने के लिए नियम बनाए गए हैं और मजबूत डेटा शासन के लिए एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है, जो मानक आधारित, खुला तथा आपस में संचालन योग्य नियमों का अनुपालन करता हो।