- December 27, 2021
आईपीसी की धारा 506 के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती
इलाहाबाद ——- हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उत्तर प्रदेश में धारा 506 के तहत अपराध संज्ञेय और गैरजमानती है। इसलिए इसे रिवाद के रूप में नहीं चलाया जा सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने धारा 482 के तहत बांदा के राकेश कुमार शुक्ला की याचिका पर दिया है। याचिका में धारा 504 और 506 आईपीसी के तहत चार्जशीट को चुनौती दी गई थी।
मामले में आईपीसी की धारा 307, 504, 506 के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन जांच केदौरान धारा 307 के तहत अपराध करने का आरोप झूठा पाया गया, जिसकी वजह से इस धारा को हटा दिया गया।
आरोपी पर केवल 504 और 506 के तहत मामला पाया गया। आईपीसी की ये दोनों धाराएं गैर संज्ञेय अपराध हैं। इसलिए, याची के खिलाफ मामले में केवल परिवाद के रूप में आगे चल सकता है।
अधिवक्ता ने कई केसों का दिया हवाला
याची के अधिवक्ता ने सीआरपीसी की धारा दो (डी) से जुड़े स्पष्टीकरण पर न्यायालय को जानकारी दी। इसके अलावा हाईकोर्ट के डॉ. राकेश कुमार शर्मा बनाम यूपी राज्य व अन्य 2007 केस का हवाला भी दिया।
इस फैसले में भी कोर्ट ने कहा था कि धारा 504 के तहत अपराध में केवल परिवाद ही चल सकता है। हालांकि, मौजूदा मामले को कोर्ट ने डॉ. राकेश कुमार शर्मा केस से अलग माना। क्योंकि, इसमें आईपीसी की धारा 506 भी जुड़ी हुई है।
कहा गया कि धारा 506 को एक गैर-संज्ञेय अपराध के रूप में वर्णित किया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने 31 जुलाई 1989 को जारी अधिसूचना में आईपीसी की धारा 506 को संज्ञेय और गैर जमानती बना दिया है।
उपरोक्त अधिसूचना आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932 की धारा 10 के तहत जारी की गई है और माता सेवक उपाध्याय बनाम यूपी राज्य के 1995 मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने भी इसे बरकरार रखा है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एरेस रोड्रिग्स बनाम विश्वजीत पी. राणे 2017 के मामले में भी इसे सही माना है।
मौजूदा मामले में कोर्ट ने माना कि क्योंकि आरोपी पर आईपीसी की धारा 504 और 506 के तहत आरोप लगाया गया है और दोनों अपराधों के लिए संज्ञेय अपराधों के विचारण केलिए निर्धारित तरीके से मुकदमा चलाया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 506 के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती
आईपीसी की धारा 504 के तहत जो कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करता, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग होने या अन्य अपराध कारित होता है तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा। जबकि, धारा 506 में किसी को धमकी देने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
आईपीसी की इन दोनों धाराओं में अपराध कारित होने पर दो-दो साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया जाता है।