- December 27, 2021
शिक्षित समुदाय हर्बल उत्पादों के उपयोग के लिए आगे आयें : राज्यपाल श्री पटेल
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने समाज के शिक्षित समुदाय का आव्हान किया है कि हर्बल उत्पादों के उपयोग के लिए आगे आयें। उसके लाभों के संबंध मे समाज में जानकारी का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने एलोपैथिक औषधियों का जिक्र करते हुए कहा कि तत्काल आराम देने वाली दर्दनाशक औषधियों के दीर्घ कालिक गम्भीर दुष्परिणामों को देखते हुए, वर्तमान में उनका उत्पादन बंद सा हो गया है। आयुर्वेद में ऐसा कोई दुष्प्रभाव नहीं मिलता है। राज्यपाल ने कहा कि विश्व में आयुर्वेद का ज्ञान भारत के गौरव का आधार है। आयुर्वेद का प्रचार भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रसार है। वर्ष 2012 में जर्मनी में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति भारतीय थे।
राज्यपाल श्री पटेल आज अंतर्राष्ट्रीय वन मेला भोपाल-2021 के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पाँच दिवसीय मेला वन विभाग एवं राज्य लघु वनोपज संघ के तत्वावधान में 22 से 26 दिसंबर तक लाल परेड ग्राउन्ड भोपाल में लगाया गया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कोविड महामारी के दौरान आयुर्वेद की महत्ता को दुनिया ने पहचाना। आयुर्वेद जड़ी-बूटियों की उपयोगिता से लोग परिचित हुए है। कोविड से पहले जड़ी-बूटी गिलोये को कितने लोग जानते थे। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने उसे सारी दुनिया में पहचान दिलाई। उन्होंने कहा कि उपचार में उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के संबंध में व्यापक जन-जागृति के प्रयास किये जाये। वन मेले जैसे आयोजनों मे विशेषज्ञ आयुर्वेद चिकित्सकों के द्वारा जड़ी-बूटियों की जानकारी देने के लिए अलग-अलग दिन सत्र आयोजित किये जाये। ऐसा करने से हर्बल औषधियों की मांग में बहुत वृद्धि होगी। राज्यपाल श्री पटेल ने जनजातीय समाज मे बड़ी संख्या में जन्मजात रोग सिकल सेल होने की बात करते हुए रोग की रोकथाम और उपचार में आयुर्वेदिक औषधि के शोध की जरूरत बताई। उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सकों और वन अधिकारियों से अपील की कि वे वनांचल में जायें। सिकल सेल एनीमिया के उपचार की औषधि खोजें। उनका विश्वास है कि प्रकृति प्रदत्त रोग का उपचार भी प्रकृति की गोद में मिलेगा। उन्होंने कहा कि रोग की रोकथाम के लिए जनजाति समाज में जागृति के प्रयास भी किए जाए। उन्होंने पौध-रोपण के प्रति जनजागृति के प्रयासों की जरूरत बतायी। राज्यपाल श्री पटेल ने गुजरात में वन मंत्री रहते हुए पौध-रोपण को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ने के अपने प्रयासों का जिक्र किया।
वन मंत्री श्री कुवंर विजय शाह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वन मेले का आयोजन जड़ी-बूटी और औषधि उत्पादक और संग्राहकों के मध्य बिचौलियों को समाप्त करने के मंच के रूप में किया। मेले में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के द्वारा 13 करोड़ के व्यापार में मध्यस्थों की भूमिका को समाप्त किया गया है। जड़ी-बूटियों की प्रामाणिकता में सहयोग के साथ ही संग्राहकों और उत्पादकों को क्रेताओं से सीधे संपर्क की जानकारी उपलब्ध कराई गई। कुंवर शाह बताया कि विध्य हर्बल द्वारा उत्पादित 30 करोड़ रूपये का काढ़ा क्रय कर कोविड की रोकथाम औषधि का घर-घर नि:शुल्क वितरण कराया गया था। विंध्य हर्बल के कुल उत्पादन को 100 करोड़ रूपये तक बढ़ाने का प्रयास है।
प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ श्री पुष्कर सिंह ने बताया कि मेले की थीम “लघु वनोपज से स्वास्थ्य” पर दो दिवसीय कार्यशाला की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ भौतिक और वर्चुअली सम्मिलित हुए। मेले के दौरान सांस्कृतिक संध्या के आयोजन भी किये गये। अपर प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ श्री अतुल श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। समापन समारोह में प्रमुख सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री रमेश गुप्ता भी मौजूद थे।