- January 3, 2019
66 मामलों का निपटान—बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये
नई दिल्ली —— वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा 66 मामलों का निपटान किए जाने से बैंक अपने करीब 80 हजार करोड़ रुपये के पुराने फंसे कर्ज की वसूली कर पाए हैं। जेटली ने कहा कि इसके अलावा मार्च अंत तक बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की और प्राप्ति हो सकती है।
मार्च 2019 तक एनसीएलटी के जरिए कुल कर्ज वसूली की रकम 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
वित्त मंत्री ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कॉर्पोरेट बैंकरप्ट्सी मामलों के निपटान में वह ‘पुरानी प्रणाली’ की विरासत छोड़ गई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की वसूली की दिशा में तेजी से कार्रवाई की और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) भी बनाई।
वित्त मंत्री ने बताया कि एनसीएलटी ने कॉर्पोरेट बैंकरप्ट्सी केस 2016 के अंत से लेना शुरू किए और अभी तक उसने 1,322 मामले सुनवाई के लिए स्वीकार किए हैं।
उन्होंने बताया कि 4,452 मामले ऐसे रहे जिनका निपटान इन्हें एनसीएलटी द्वारा सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने से पहले ही हो गया।
66 मामलों का न्याय निर्णय के बाद निपटान किया गया। 260 मामलों में संपत्ति बेचकर कर्ज वसूली का आदेश दिया।
जेटली ने फेसबुक पोस्ट ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के दो साल’ में लिखा है कि 66 मामलों का निपटान किया गया और इनके जरिए लेंडर्स ने 80 हजार करोड़ रुपये वसूले। भूषण पावर ऐंड स्टील तथा एस्सार स्टील जैसे 12 बड़े मामले निपटान के अंतिम चरण में हैं और इनका निपटारा इसी वित्त वर्ष में होने की उम्मीद है। इससे बैंकों को करीब 70 हजार करोड़ रुपये की कर्ज वसूली होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि एनसीएलटी उच्च विश्वसनीयता का एक भरोसेमंद मंच बन चुका है। उन्होंने कहा, ‘कंपनी को दिवाला की स्थिति में पहुंचाने वाले प्रबंधन से बाहर हो रहे हैं। नए प्रबंधन का चयन ईमानदार और पारदर्शी प्रक्रिया से हुआ है। इन मामलों में किसी तरह का राजनीतिक या सरकार की ओर से हस्तक्षेप नहीं है।’
एनसीएलटी के आंकड़ों के अनुसार 4,452 मामलों का निपटान विचारार्थ स्वीकार किए जाने से पहले ही कर लिया गया।
जेटली ने बताया कि इन मामलों में 2.02 लाख करोड़ रुपये की राशि का निपटान होने का अनुमान है।
जेटली ने कहा कि जिस तेजी से एनपीए मानक खातों में तब्दील हो रहे हैं और एनपीए कैटिगरी के नए खातों में कमी आ रही है उससे पता चलता है कि कर्ज देने और उधार लेने के व्यवहार में निश्चित रूप से सुधार हो रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान बैंकों ने अंधाधुंध कर्ज बांटा जिसकी वजह से एनपीए का प्रतिशत काफी ऊंचा हो गया। रिजर्व बैंक की ऐसेट क्वॉलिटी की समीक्षा से यह तथ्य सामने आया है।
(एनबीटी.काम)