- October 5, 2018
दिल्ली घोषणा — हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन
हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) ने 21 देशों में हिन्द महासागर में नवीकरणीय ऊर्जा पर दिल्ली घोषणा को स्वीकार किया है। आईओआरए देशों ने दूसरी आईओआरए नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद स्वीकार किया गया। मंत्रिस्तरीय बैठक ग्रेटर नोएडा में वैश्विक री-इन्वेस्ट भारत-अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) साझेदारी नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक बैठक और एक्सपो के दौरान हुई थी।
हिन्द महासागर क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा पर दिल्ली घोषणा में कहा गया है कि हिन्द महासागर के तटों पर नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आईओआरए सदस्य देश आपस में सहयोग करेंगे, हिन्द महासागर के लिए समान नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम का विकास करेंगे तथा क्षेत्रीय क्षमता सृजन को प्रोत्साहित करेंगे।
दिल्ली घोषणा में प्रौद्योगिकी विकास तथा हस्तांतरण को प्रोत्साहित करने, नवीकरणीय ऊर्जा में सार्वजनिक निजी साझेदारी मजबूत बनाने तथा आईओआरए सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सदस्य देशों के बीच सहयोग का प्रावधान है। आईओआरए सदस्य देशों ने अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के साथ सहयोग करने का संकल्प व्यक्त किया।
विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर.के. सिंह, हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन के महासचिव डॉ. नोमव्यूयो एन.नोकवे, दक्षिण अफ्रीका की ऊर्जा उपमंत्री सुश्री थेम्बीसिले मजोला, बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद शहरियार आलम ने मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया। बैठक में ईरान, मॉरीशस, सेशिल्स, श्रीलंका तथा यमन के प्रतिनिधियों ने भी विचार व्यक्त किए।
स्वीकार किये गये दिल्ली घोषणा के अनुसार आईओआरए के सदस्य देश ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सदस्य देशों के साथ सहयोग करेंगे, विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
दिल्ली घोषणा से 3 अक्टूबर, 2018 को आईओआरए तथा आईएसए के बीच हुये ज्ञापन समझौते का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जिसमें संयुक्त रूप से क्षमता सृजन कार्यक्रम चलाने, सौर ऊर्जा में अनुसंधान और विकास गतिविधियां चलाने तथा श्रेष्ठ व्यव्हारों के आदान-प्रदान का प्रावधान है।
आईओआरए के सदस्य देश तथा आईआरईएनए विश्व की सबसे बड़ी संयुक्त नवीकरणीय संसाधन डाटा परियोजना वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा एटलस का विस्तार करेंगे और इससे हिन्द महासागर क्षेत्र का पहला और सर्वाधिक व्यापक मानचित्र और डाटा बेस तैयार होगा, जिसका उपयोग क्षेत्र की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तलाशने में किया जाएगा।