- July 31, 2017
दंगा के लिये मुस्लिम धर्मग्रन्थ दोषी है—शैलेश कुमार
आज का शुभ प्रभात — दंगों के नाम——————
दूसरे धर्म के प्रति आग उगलने में मुस्लिमो का कोई दोष नहीं है, दोषी है उसका धर्मग्रन्थ क्योंकि मुस्लिम अपने धर्म के प्रति वफादार हैं और धर्म जो कह्ता है वहीं करते हैं ।
धर्मग्रन्थ के कारण आज मुस्लिम सम्प्रदाय घृणा के पात्र हो चुके है। मुस्लिम धर्म का एक ही उद्देश्य है की दूसरे धर्म को नाश करो और उस धर्म के औरतों से बलात्कार करो।
इसलिए आज तक मुस्लिम धर्म के प्रति किसी अन्य धर्म का आकर्षण नहीं हुआ है। भारत में भी इस धर्मावलबियों की यही प्रवृति है। जहाँ भी मुस्लिम आवादी हिन्दुओं से बढ़ गई है। वहां वह हिन्दुओं को साफ़ करने में दिमाग लगाते है। हालत कश्मीर और बंगाल को देखिये।
मुस्लिमों के कमजोरियों को धर्मनिरपेक्ष आतंकवादी किस तरह उपयोग करते है?
अब अगर मुस्लिम अपने धर्मग्रन्थ में सौहार्द और प्रेम की अंश नहीं लाते हैं तो वह धर्मनिरपेक्ष आतंकवादियों का सरगना बन कर रह जायेगें जिसका फ़ायदा आतंकवादियों को मिलेगा।
धर्मनिरपेक्ष आतंकवादीयों का नेतृत्वकर्ता –कांग्रेस,सपा ,बसपा ,तृणमूल कांग्रेस , राजद,कम्युनिष्ट (माकपा,माले) है। इन आतंकवादियों को एक- एक कर साफ़ करना ही देश की एकता और अखंडता का उद्देश्य होना चाहिए।
मुस्लिमों को मौलिक रूप से सोचना पड़ेगा की वह भारत (हिन्दू) विरोधी तत्व बनकर ही रहेंगे या भारत विकास का अंग भी।
आजतक मुस्लिमों ने राज्य और देश को बर्बाद करने वाले पार्टीयों को साथ दिया है जिससे न उनकी सामाजिक स्तर में सुधार आई है और न राजनीतिक सोच में।
क्या मुस्लिम अब भी गोदी के बालक है जिन्हें संरक्षक चाहिए और ऐसा संरक्षक जो हिन्दुओं से अलग करते हों।
सभी दंगों की अगुवाई मुस्लिमों ने की है जिसके कारण हिन्दुओं की हत्याएं सबसे अधिक हुई है क्योंकि हिन्दू लाचार ,कमजोर और मानसिक गुलामी के शिकार है।
हमने दंगाइयों का संक्षेपण इसलिए दिया है की इस दंगा से मुस्लिमों को क्या मिला है -यही की “एक विशाल मुस्लिम क्षेत्र” — इस क्षेत्र से क्या हुआ ? दंगाइयों का परिणाम देखिये —-कश्मीर—-।
एकल एकता की कोई महत्व नहीं है। अगर मुस्लिम भी एकता का हाथ बढाए तो फिर कोई अप्रिय घटना का सवाल ही नहीं है।
दंगों और हत्याओं की झलक—
वर्तमान में एक रिपोर्ट के अनुसार -2015 में हिन्दू -मुस्लिम दंगे 17 % अधिक हुए। 2014 में 644 दंगा हुआ। जबकि 2015 में 751 दंगा हुआ। बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश में 64 % अधिक दंगे हुए,कांग्रेस शासित कर्णाटक 105 दंगा हुआ। उत्तरप्रदेश में 155 दंगा में 22 लोगों की हत्याएं हुई। 2015 के बिहार दंगा में 20 लोगों की हत्याएं हुई। —(इकॉनोमिक टाइम्स )
10 अक्टूबर 1946 नोयाखली के रामगंज पुलिस स्टेशन —-धार्मिक स्वतंत्रता—
बंगाल के नोयाखली से हिन्दुओं की समाप्ति अभियान -मुस्लिम नेशनल गार्ड ने अक्टूबर – नवम्बर 1946 : 5000 हिन्दुओं की हत्याएं की। सीधे कार्यवाई के तहत 1930 में ढाका दंगा,1950 पूर्व बंगाल नरसंहार,1962 राजशाही नरसंहार ,1964 पूर्वी पाकिस्तानी नरसंहार,1971 बांग्लादेश जातीय नरसंहार और बलात्कार।
चांदपुर टिपेहरा के विधायक जोगेंद्र चंद्र दास ने लिखा ही की नोयाखली के रामगंज पुलिस स्टेशन में 1000 हिन्दू अनुसूचित जातियों को मुस्लिमो ने मार दिया,घरों को लूट कर आग लगा दिया। बचे हुए को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया। संदीप द्वीप से घर जलाने के लिए पेट्रोल लाया जाता था।
राकेश बटब्याल के अनुसार जब उस हिन्दू हत्यारे भीड़ को स्वतंत्र सेनानी लालमोहन सेन ने रोकने की कोशिश की तो मुस्लिमों ने उनको भी जला दिया।
संगठित मुस्लिम दंगाइयों की हिन्दू ह्त्या शीघ्र ही रायपुर ,लक्ष्मीपुर बेगमगंज ,संदीप फरीडगंज,जाहिगांग ,चांदपुर ,लक्ष्मण और चुडगराम फ़ैल गया।
>> 1921 मालाबार के मापिला दंगा – 100000 हिन्दुओं की ह्त्या और पलायन।
>> 1957 रामनाड (तमिलनाडु) द्रविड़ और तमिल पुलिस दंगा।
>> 22 -29 अगस्त -1967 रांची -हटिया दंगा, 184हत्याऐं ।
>> सितम्बर 1961- गुजरात दंगा -512हत्याऐं. अगस्त 1980।
>> मोरादाबाद दंगा -400 हत्याऐं।
>> फरवरी 1983 नेल्ली दंगा -10000 से अधिक हत्याऐं। मई 1984 भिवंडी दंगा -278 हत्याऐं।
>> 31 अक्टूबर से 3 नवम्बर 1984 सिख दंगा।
>> 1985 गुजरात दंगा –275 हत्याऐं।
>> अप्रैल -मई 1987 -मेरठ दंगा 346 की हत्याएं।
>> 1989 भागलपुर दंगा 1000 से अधिक हत्याएं।
>> 1990 हैदराबाद दंगा -200 से अधिक हत्याएं।
>> 1991 कावेरी विवाद दंगा (तमिलनायड और कर्नाटक) -16 हत्याएं।
>> दिसंबर 1992 -जनवरी 1993 बम्बई दंगा -250 हत्याएं।
>> 1994 उर्दू विरोधी बंगलौर दंगा- 30 की हत्याएं।
>> 27 फ़रवरी से 2 मार्च 2002 (गोधरा में सारवमति एक्सप्रेस ट्रैन में आग -59 हिन्दुओं की मौत) 1044 की हत्याएं और 2500 से अधिक घायल।
>> 1 मई से 3 मई 2006 वडोदरा दंगा -8 हत्याएं।
>> बंगाल में 2013 केनिंग दंगा।
>> 2013 मुजफरनगर दंगा -27 अगस्त से 13 सितम्बर -62 हत्याएं और 93 घायल।
दंगों से मुस्लिमों ने क्या अर्जित कर लिया। सोचें और राष्ट्र विध्वंस के बदले राष्ट्र निर्माण में योगदान करें —
धर्मनिरपेक्ष आतंकवादी जो हिन्दू से पृथक रखना चाहता है उसे वोट से समाप्त करें.