- May 24, 2017
पीसीपीएनडीटी —— इंटरस्टेट डिकाय कार्यवाही
जयपुर———— राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर द्वारा 11 मई 2017 को दिये गये निर्देश से राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ द्वारा की जा रही इन्टरस्टेट डिकाय कार्यवाही को वैधानिक बल मिला है। इस आदेश में राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ द्वारा पिटिशनर डा. उमेश शर्मा व अन्य के विरूद्ध पंजाब में राजस्थान के पीबीआई थाने द्वारा की गई डिकाय कार्यवाही को सही माना गया है।
राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्य पीठ, जोधपुर द्वारा 11 मई 2017 को पारित आदेश में किये गये अपराध का एक भाग राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रायसिंह नगर में घटित होना माना। दण्ड प्रक्रिया सहिंता की धारा 178 ‘‘जहां अपराध अंशतः एक स्थानीय क्षेत्र मंक और अशंतः किसी दूसरे में किया गया है’’ के अनुसार सही मानकर पंजाब में की गई कार्यवाही को वैद्य ठहराते हुए अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत रिट पिटिशन को खारिज कर दिया गया है।
राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ में गठित पीसीपीएनडीटी ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन द्वारा मुखबिर द्वारा दी गयी सूचना के आधार पर 17 मार्च 2017 को यह कार्यवाही की गयी थी। इस मामले में डा. अशोक कुमार एवं नर्स संदीप कौर को गर्भवती महिला की सहयोगी महिला द्वारा भ्रूण लिंग परीक्षण के लिए 20 हजार रुपये की राशि न्यू महावीर नसिर्ंग होम, रायसिंह नगर, श्रीगंगानगर, राजस्थान में दी गयी।
मामले में पंजाब के फिरोजपुर में में डा. उमेश शर्मा द्वारा भ्रूण लिंग परीक्षण करने पर पीसीपीएनडीटी अधिनियम व भारतीय दण्ड संहिता के तहत कार्यवाही की गयी थी। प्रकरण में की गयी कार्यवाही व अनुसंधान किये जाने को अभियुक्त द्वारा उच्च न्यायालय, जोधुपर में पीबीआई थाने के क्षेत्राधिकार के बाहर बताते हुए चुनौती देकर रिट पिटिशन प्रस्तुत की गयी थी।