• April 25, 2017

मत्स्य पालन-जलभराव वाली भूमि के मालिकों के अच्छे दिन

मत्स्य पालन-जलभराव वाली भूमि के मालिकों के  अच्छे दिन

जिले की करीब 6 हजार एकड़ भूमि खेती के लायक नहीं

झज्जर—- जिले के उन किसानों के लिए अच्छी खबर है जिन किसानों की भूमि जलभराव से प्रभावित है। ऐसी भूमि को मत्स्य विभाग लीज पर लेगा और उस जमीन पर मछली पालन करेगा। विभाग ने ऐसी भूमि की पहचान भी कर ली है।

इस योजना के लिए झज्जर को पायलेट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। दिल्ली के निकट होने के कारण मछली की खेती करने वाले किसानों को अच्छा लाभ भी मिलता है।

जिले की करीब 6 हजार एकड़ भूमि ऐसी है, जिस पर जलप्रभाव होने के कारण खेती नहीं हो पाती। ऐसे किसानों को नुकसान उठाना पर रहा है। इसलिए कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस भूमि का सदुपयोग कैसे हो, इसे लेकर पिछले दिनों कृषि मन्त्री ने मत्स्य, सिंचाई, पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई। जिसमे यह तय हुआ की इस भूमि को मत्स्य विभाग लीज पर लेकर मत्स्य पालन करे।

दिल्ली के साथ होने के कारण इस जिलों को मत्स्य पालन के लिये चुना गया है। पैरी अर्बन एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ की योजना में ये पायलेट प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित हो सकता है।

कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने बताया कि इस नई योजना के अनुसार किसानों की ऐसी भूमि को मत्स्य पालन विभाग लीज पर लेगा। पंचायत विभाग के निर्धारित रेट के अनुसार इस जमीन को पांच साल के लिए देना होगा। इच्छुक किसान अपने अपने बीडीओ को जानकारी दे सकते है । लीज पर ली गई जमीन पर मत्स्य विभाग मछली की खेती कराएगा। इससे किसानों की अनुपयोगी भूमि से उनको अच्छी आय हो सकेगी।

कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने बताया कि इस योजना पर तेजी से काम करने के लिये अथॉरिटी बनाकर जिम्मेदारी भी तय की गई है। इस कमेटी में कृषि, पंचायत, सिंचाई और मत्स्य विभाग के राज्य स्तर के अधिकारी शामिल होंगे। यह कमेटी इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए तेजी से काम करेगी । कृषि विभाग के निदेशक इस कमेटी का संचालन करेंगे, जबकि मत्स्य विभाग के डी जी सचिव होंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्य में कोई 4 लाख 15 हजार हैक्टेयर भूमि इस समस्या से प्रभावित है। इसमें से 62728 हैक्टेयर भूमि ऐसी है जहाँ का जमीनी पानी लेवल(चव्वा) 1.50 मीटर से कम है जबकि 3,52,204 हैक्टेयर भूमि ऐसी है जिसका लेवल 1.5 से 3 मीटर है। इस भूमि से किसान को फसल नहीं मिलती।

किसानों को भूमि से आय नही होने के कारण उनके लिए यह एक चुनौती बनी हुई है। अब कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिये ठोस कदम उठाये हैं। इस बैठक में अधिकारियों की कमेटी को धरातल पर काम करने के निर्देश कृषि मंत्री ने दिए हैं और20 मई तक रिपोर्ट मांगी है।

ये हैं प्रमुख गांव->
झज्जर के 25 गांवों जिनमे जलभराव की समस्या रहती है में मातनहेल, गोधड़ी, मुन्दसा, खापड़वास,गवालिसन , मुंडाहेरा, ढाकला, धौड़, बेरी, जमालपुर, कालियावास, लकडि़या, डीघल सहित 25 गांवों की 6 हजार एकड़ भूमि है जिसे लीज पर लेकर इस योजना को मूर्त रूप दिया जायेगा।

कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने पिछले महीने सूरजकुंड मेले के दौरान राज्य स्तरीय पुरस्कार देने की घोषणा की थी। इस घोषणा के तहत झज्जर के डावला गांव के जयपाल को एक लाख की राशि व प्रमाण पत्र देकर “मत्स्य रत्न पुरस्कार” से पुरुस्कृत किया गया था।

कृषि मंत्री एंव पंचायत मंत्री
मीडिया सलाहकार
9416085055

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