- April 25, 2017
कृषि विपणन मॉडल एक्ट-2017— राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक
जयपुर—————राजस्थान के कृषि मंत्री श्री प्रभू लाल सैनी ने कहा है कि राजस्थान कृषि सुधारों और नवाचारों को लागू करने तथा कृषि विपणन के क्षेत्र में देश का अग्रणी प्रदेश है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार कार्यक्रमों को हम सबसे पहले लागू कर चुके है, जिसकी प्रशंसा स्वयं भारत सरकार और नीति आयोग ने की है।
नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कृषि विपणन मॉडल एक्ट-2017 पर चर्चा के लिए आयोजित राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक में बोल रहे थे।
उन्होेंने बताया कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पहल पर राजस्थान में उठाए गए क्रांतिकारी कदमों के कारण किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलवाने के लिए प्रभावी पहल की गई है।
राज्य सरकार ‘राजस्थान एकीकृत मंडी प्रबंधन सिस्टम’ के अंतर्गत एक देश-एक बाजार-एक किसान की अवधारणा को लागू करते हुए राज्य की 100 मंडियों को ‘ई-टे्रडिंग’ पद्धति से जोड़ने जा रहे हैं। इस प्रकार का सिस्टम देश में सर्वप्रथम राजस्थान ने ही लागू किया है।
उन्हाेंने बताया कि प्रधानमंत्री के ‘राष्ट्रीय कृषि बाजार’ कार्यक्रम के तहत प्रदेश की 25 मंडिया जुड़ चुकी है। राज्य में जहां उत्पादन, वहां विपणन नीति को लागू करते हुए 23 विशेष मार्केट बनाए गए हैं। राज्य में कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति-2015 जारी की गई है। साथ ही प्रदेश में झालावाड़ में संतरा, टोंक में अमरूद और धौलपुर में आम के उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
एशिया में पहली बार जैतून (ओलिव) के पत्तों की ‘ग्रीन टी’
श्री सैनी ने बताया कि राजस्थान के लूणकरणसर (बीकानेर) में देश की पहली जैतून रिफाइनरी की स्थापना और देश का पहला स्वदेशी ऑलिव ऑयल ब्राण्ड ‘राज ऑलिव’ तैयार कर उसका विपणन किया जा रहा है। इसके बाद हम बहुत शीघ्र ही एशिया में पहली बार जैतून (ओलिव) के पत्तो से निर्मित ग्रीन-टी (चाय) को लेकर भी आ रहे हैं। इसके लिए जयपुर के निकट बस्सी में संयत्र बनाया जा रहा है। यह चाय एंटी डायबिटिज और एंटी ऑक्सीडेंट होगी।
महत्वपूर्ण सुझाव
श्री सैनी ने सुझाव दिया कि विभिन्न फसलों की उत्पादन लागत मूल्य में कमी करने के प्रयास होने चाहिए। इससे किसानों को राहत एवं मदद मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि सन् 2022 तक किसानों की आमदानी दुगुनी करने का लक्ष्य केवल कृषि विपणन बलबूते के संभव नही है। वरन् फल-सब्जियों, टमाटर, आलू, लॉकी आदि को मंडियों में संरक्षण देने के साथ ही खाद-बीज जैसी जरूरी मदद देकर किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
श्री सैनी ने सुझाव दिया कि ‘संविदा-खेती’ के तहत उत्पादित कृषि उत्पादों की सरकारी खरीद की गारंटी देनी होगी। इसी प्रकार ‘बाजार हस्तक्षेप योजना’ के अंतर्गत सरकार को बाजार में दखल देते हुए आलू-प्याज जैसे कृषि उत्पादों को बढ़े हुए बाजार भावों पर सहकारी संस्थाओं के माध्यम से खरीदना चाहिए, ताकि किसानों को नुकसान नहीं होवे।
उन्होंने सुझाव दिया कि फसलों का विविधिकरण करने की भी जरूरत है। विशेषकर राजस्थान जैसे प्रांत में बाजरा-मक्का जैसी फसलों मेें लागत अधिक आती है, जबकि बाजार में कम मूल्य मिलता है। ऎसी फसलों को खरीदने की गारंटी सुनिश्चित कर किसानों को क्षति से बचाया जा सकता है।
‘ग्राम’ का सफल आयोजन श्री सैनी ने बताया कि किसानों को खेती के नए तरीकों और उन्नत वैश्विक तकनीक से रूबरू करवाने के लिए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पहल पर राज्य में पहली बार ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) का आयोजन किया गया।
कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में लगभग 4 हजार 400 करोड़ रूपये के निवेश के 38 एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर हुए। इस सफल आयोजन में 58 हजार कृषकों ने भाग लिया। यह आयोजन अब राज्य में कोटा संभाग से शुरू कर हर मुख्यालय संभागवार आयोजित किए जाएंगे। बैठक में राजस्थान की प्रमुख कृषि सचिव श्रीमती नील कमल दरबारी भी मौजूद थी।
राजस्थान अकादमी, दिल्ली द्वारा सुभाष लखोटिया श्रवण कुमार पुरस्कार – 2017 के लिए नाम आमंत्रित
नई दिल्ली में प्रवासी राजस्थानियों की संस्था राजस्थान अकादमी द्वारा इस वर्ष भी सुभाष लखोटिया श्रवण कुमार पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। यह पुरस्कार प्रति वर्ष माता-पिता के प्रति अतुल्य सेवा करने वाले पुत्र और पुत्री को दिया जाता है।
पुरस्कार में एक लाख रुपये नगद और स्मृति चिन्ह शामिल है। संस्था के अध्यक्ष श्री गौरव गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष इस सम्मान पुरस्कार के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित करने की घोषणा की है।
उन्होंने बताया कि पात्र व्यक्ति 30 जून, 2017 तक अपना पूर्ण बायोडाटा पुरस्कार पाने की योग्यता के विवरण के साथ अध्यक्ष, राजस्थान अकादमी, 254-जागृति एंकलेव, दिल्ली 92 पर भेज सकते हैं। श्री गुप्ता ने बताया कि देश के जाने माने सी.ए रहे सुभाष लखोटिया के नाम से श्रवण कुमार पुरस्कार वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष दिया जा रहा है।