एनएसएफडीसी और कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्‍त (हस्‍तशिल्‍प) के बीच एमओयू पर हस्‍ताक्षर

एनएसएफडीसी और कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्‍त (हस्‍तशिल्‍प) के बीच एमओयू पर हस्‍ताक्षर

पेसूका ———सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति वित्‍त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) और कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्‍त (हस्‍तशिल्‍प) के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर आज यहां सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत और कपड़ा मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन इरानी की मौजूदगी में हस्‍ताक्षर किए गए। दोनों ही मंत्रालयों, विकास आयुक्‍त (हस्‍तशिल्‍प) के कार्यालय और एनएसएफडीसी के वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर मौजूद थे।1

उपर्युक्‍त एमओयू का मुख्‍य उद्देश्‍य हस्‍तशिल्‍प, बेंत (केन) एवं बांस, कृत्रिम आभूषण, कपड़ा (हस्‍त मुद्रित, हस्‍त कढ़ाई), गुड़िया एवं खिलौनों, पत्थर पर नक्काशी, फुटवियर इत्‍यादि के क्षेत्र में क्‍लस्‍टर स्‍तर पर उच्‍च कीमतों एवं गुणवत्‍ता वाले हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों के उत्‍पादन एवं विपणन को बढ़ावा देकर अनुसूचित जातियों के कारीगरों एवं उनके परिवारों की सहायता करना है।

कृषि क्षेत्र के बाद हस्‍तशिल्‍प क्षेत्र को ही दूसरी सर्वाधिक आर्थिक गतिविधि माना जाता है। देश में अनुसूचित जातियों के लगभग 12 लाख कारीगर हैं। अनुसूचित जातियों के ज्‍यादातर कारीगर विभिन्‍न हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों के उत्‍पादन में संलग्‍न हैं। असम में बेंत एवं बांस, गुजरात एवं पंजाब में वस्‍त्र (हस्‍त मुद्रित), उत्‍तर प्रदेश में धातुओं के बर्तन, कर्नाटक में गुड़िया एवं खिलौने, आंध्र प्रदेश में रंगमंच संबंधी वेशभूषा एवं कठपुतलियां इत्‍यादि इनमें शामिल हैं।

अपने इन प्रयासों के तहत एमओयू पर हस्‍ताक्षर करने वाले दोनों ही पक्ष कारीगरों की बड़ी तादाद वाले क्षेत्रों में इलेक्‍ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया में दिए गए विज्ञापनों और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए अनुसूचित जातियों के कारीगरों के बीच विकास आयुक्‍त (हस्‍तशिल्‍प) की योजनाओं को लोकप्रिय बनाएंगे और इसके साथ ही वे अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए अनुसूचित जातियों के कारीगरों एवं उनके परिवारों के कौशल उन्‍नयन एवं आर्थिक विकास सहित क्षमता निर्माण हेतु आपस में सहयोग करेंगे।

अनुसूचित जातियों के कारीगरों को विपणन संबंधी सहायता मुहैया कराने के लिए दोनों ही पक्षों द्वारा प्रदर्शनियां/मेले आयोजित किए जाएंगे, ताकि उनकी कमाई बढ़ सके। दोनों ही पक्ष क्‍लस्‍टरों में कार्यरत अनुसूचित जातियों के कारीगरों के कौशल के उन्‍नयन के लिए प्रासंगिक कौशल विकास कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे और इसके साथ ही वे अपने ज्ञान एवं अनुभवों को साझा भी करेंगे। इन प्रयासों से देश भर में कार्यरत अनुसूचित जातियों के कारीगरों/उद्यमियों को विपणन संबंधी संपर्क हासिल होंगे।

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