- November 8, 2016
मत्स्य पालन रोजगार
जगदलपुर—शासन द्वारा मत्स्य विभाग के माध्यम से ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया रहा हैं, इन्हीं योजनाओं का लाभ लेकर हितग्राही लाभाविन्त हो रहे हैं। ऐसे ही बस्तर विकासखंड के ग्राम सेमलनार में प्राथमिक आदिवासी मछुआ सहकारी समिति मर्यादित के द्वारा मछली पालन कार्य किया जा रहा है।
समिति में कुल 33 सदस्य कार्यरत हैं जिसमें से 30 सदस्य आदिवासी 3 सदस्य सामान्य हैं, जो कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले, लघु सीमान्त वर्ग के कृषक हैं। पूर्व में स्वयं के पास उपलब्ध खेतों में धान की फसल लेकर प्रति एकड़ 7-8 क्विंटल धान का उत्पादन करते थे तथा अपनी अजीविका के लिए अतिरिक्त मजदुरी कार्य भी करते थे। कृषक श्री धीरपाल कश्यप ने बताया कि आर्थिक तंगी के समाधान के लिए मछली विभाग के अधिकारी से संपर्क किया गया।
उन्होंने शासकीय योजना के तहत् एक समूह का गठन कर मछली पालन करने की सलाह दी। तद्पश्चात् ग्रामीणों ने मछुआ समिति का गठन किया गया और सेमलनार जलाशय को पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य प्रारंभ किया गया। जिससे समूह के सदस्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा। मत्स्य पालन से आय होने के कारण अन्य कृषकों को भी जोडकर मछली पालन एवं मत्स्याखेट कार्य किया जा रहा है। मछली पालन से समिति के सदस्यों के द्वारा आर्थिक स्तर में उत्तरोतर वृद्धि किया जा रहा है।
कृषक श्री धीरपाल कश्यप ने बताया कि मछली पालन विभाग की योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है, विभाग द्वारा परिपूरक आहार, सिफेक्स, मत्स्य बीज आदि देने के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से मछली पालने के लिए मार्गदर्शन भी दिया गया और समिति द्वारा प्रमाणित मत्स्य बीज के संचयन एवं उन्नत तकनीक का प्रयोग कर मछली पालन से मत्स्योत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि कर अच्छा उत्पादन ले रहें है तथा उनकी आय में लगातार वृद्धि से आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे हैं गत तीन वर्षों से मछली पालन किया जा रहा है।
वर्ष 2013-14 में 20 हजार संचित मत्स्य बीज से 3450 किलोग्राम मत्स्योत्पादन कर 2 लाख 76 हजार रूपये की विक्रय किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2014-15 में 21 हजार संचित मत्स्य बीज से 3850 किलोग्राम मत्स्योत्पादन कर 3 लाख 8 हजार रूपये की विक्रय किया गया एवं 2015-16 में 21 हजार संचित मत्स्य बीज से 4150 किलोग्राम मत्स्योत्पादन कर 4 लाख 98 हजार रूपये की विक्रय किया गया।
इस वर्ष भी मछली पालन किया जा रहा है, उम्मीद है कि मत्स्योत्पादन पिछले वर्षों के अपेक्षा अधिक होगा।