- October 28, 2016
वर्ष 2015-16 में तसर कोसापालन का उत्पादन लक्ष्य से 10 % अधिक
बिलासपुर (छत्तीसगढ)—— कोसा उत्पादन में बिलासपुर निरंतर अग्रणी है। वर्ष 2015-16 में तसर कोसापालन का उत्पादन लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक रहा। इससे 393 तसर कोसापालको को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ। इसी तरह महिला समूह के माध्यम से रेशम उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है।
वर्ष 2016-17 के शुरूआत में स्वसहायता समूह के 98 हितग्राहियों द्वारा 10 लाख 91 हजार कोसाफल तथा 15 हितग्राहियों द्वारा 375 किग्रा शहतूती रेशम कोया का उत्पादन किया गया। तसर एवं शहतूती रेशम फल उत्पादन का कार्य प्रगति पर है।
जिले के विभिन्न विकासखण्डों में स्थित 12 कोसापालन एवं 04 शहतूती रेशम केन्द्र का संचालन हितग्राहियों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है। जिसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य वर्ग के हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं।
तसर कृमियों के खाद्य नैसंर्गिक पेड़ अर्जुन, साजा, साल, सेन्धवा, धावड़ा वृक्षों में केन्द्र एवं वन क्षेत्र में तथा शहतूती रेशम कृमियों का पालन शहतूत पौधा के पत्तियों से किया जाता है।
जिले के वन क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से फैले साजा अर्जुन साल के वृक्षों में नैसर्गिक डाबा, रैली प्रगुणन से कृमियों के द्वारा स्वस्फूर्त कोसाफल का निर्माण किया जा रहा है। नैसर्गिक कोसाफल संग्रहण कर वन्य क्षेत्र में निवासरत अनुसूचित जनजाति, अनु.जाति एवं गरीब तबके के स्थानीय निवासी खुले बाजारों में कोसाफल बेचकर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।
गतवर्ष 50 लाख 43 हजार से अधिक कोसाफलों का उत्पादन हुआ, जो बिलासपुर जिले का अधिकतम उत्पादन रहा। इसी तरह कोयाफल रेशम महिला समूह के माध्यम से कुल 34 महिला हितग्राहियों द्वारा 2281.950 किग्रा शहतूत रेशम उत्पादन कर लाभ प्राप्त किया जा रहा है।
जिले में कोसा एवं रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत् वर्ष 2015-16 में 15 हेक्टेयर राजस्व भूमि में तथा केन्द्रीय योजना के तहत 20 हेक्टेयर क्षेत्र में अर्जुन पौधरोपण किया गया है।
वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत राजस्व भूमि में क्रमशः ग्राम जोंकी, टेकर, बरतोरी, पोड़ी, करका, नेवरा, जोगीपुर, लमेर में कुल 100 हेक्टेयर क्षेत्र में 410000 अर्जुन पौधों का रोपण कार्य पूर्ण हो चुका है। रेशम केन्द्र खैरा में 5 एकड़ क्षेत्र में शहतूत पौधो को रोपण किया गया है।
मनरेगा योजना के तहत् ही वर्ष 2015-16 में 6 लाख तथा वर्ष 2016-17 में 5 लाख अर्जुन पौधों की नर्सरी तैयार की गई है। इन पौधों की सुरक्षा के लिए मनरेगा योजना के तहत ही विभागीय केन्द्रो में पशु अवरोधक खाई खुदाई कार्य एवं जलसंवर्धन गढढे का निर्माण कार्य भी दु्र्रतगति से किया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है।