कृषि कर्मण अवार्ड ——-मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान , पॉलिसी लीडरशिप अवार्ड

कृषि कर्मण अवार्ड ——-मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान , पॉलिसी लीडरशिप अवार्ड

मनोज पाठक——————— चार बार कृषि कर्मण अवार्ड से सम्मानित मध्यप्रदेश को यहां भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को पॉलिसी लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया। यह अवार्ड मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रतिनिधि के तौर पर प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने ग्रहण किया। भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद द्वारा आयोजित नौवीं ग्लोबल एग्रीकल्चरल लीडरशिप अवार्ड कार्यक्रम में कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए अवार्ड दिये गये। कार्यक्रम में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल सर्वश्री कप्तान सिंह सोलंकी एवं राम नाईक ने अवार्ड दिये। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति श्री पी.जे. कुरियन एवं भारतीय कृषि और खाद्य परिषद के अध्यक्ष श्री खान और महानिदेशक श्री सिन्हा मौजूद थे।

मध्यप्रदेश ने पिछले 10 वर्ष में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। वर्ष 2014-15 में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र में विकास दर 24.94 प्रतिशत दर्ज की गयी है। यह दर पूरे विश्व में सर्वाधिक आँकी गयी। कुल कृषि उत्पादन 110 प्रतिशत तथा कुल खाद्यान्न उत्पादन में 124 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश में कुल खाद्यान्न उत्पादन एक करोड़ 43 लाख मी‍ट्रिक टन था, जो वर्ष 2014-15 से बढ़कर 3 करोड़ 21 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

प्रदेश द्वारा कृषि क्षेत्र में 12 प्रतिशत सालाना दर से एक दशक तक वृद्धि प्राप्त करना देश में अप्रत्याशित घटना है। प्रदेश वर्ष 2004-05 में दलहन फसलों का उत्पादन मात्र 33 लाख 51 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 47 लाख 63 हजार मीट्रिक टन हो गया। एक दशक में यह वृद्धि 42.14 प्रतिशत आँकी गयी। प्रदेश आज देश में कुल दलहन उत्पादन का 28 प्रतिशत उत्पादित करता है। प्रति व्यक्ति अनाज की उपलब्धता 61 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिवस हो गयी है। यही नहीं कृषि क्षेत्र में भी 34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि हुई। कुल कृषि क्षेत्र बढ़कर 2 करोड़ 23 लाख हेक्टेयर हो गया है।

प्रदेश में फसलों की बोवाई में अभूतपूर्व कीर्तिमान लगातार स्थापित हो रहे हैं। खरीफ-2004 में सोयाबीन का रकबा 45 लाख 94 हजार हेक्टेयर था, जो वर्ष 2013 में बढ़कर 61 लाख 34 हजार हेक्टेयर हो गया। वहीं धान का रकबा वर्ष 2004 में 16 लाख 96 हजार हेक्टेयर था, जो वर्ष 2013 में 19 लाख 30 हजार हेक्टेयर हो गया। खरीफ की अन्य प्रमुख फसलें भी वर्ष 2004 की तुलना में लगातार विस्तृत क्षेत्रफल में बोयी जा रही हैं। रबी की बोवाई में भी विगत दस वर्ष में तेजी से प्रगति हुई है। वर्ष 2004 में जहाँ गेहूँ की बोवाई का रकबा 42 लाख हेक्टेयर था, वह 2013-14 में 59 लाख 76 हजार हेक्टेयर तक पहुँच गया है। वर्ष 2004 में चना 26 लाख 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाता था, जो वर्ष 2013-14 में 31 लाख 60 हजार हेक्टेयर में बोया गया। रबी 2013-14 के परिणामों के अनुसार गेहूँ का उत्पादन 155 लाख 23 हजार मीट्रिक टन हुआ, जो वर्ष 2004-05 में हुए उत्पादन 73 लाख 27 हजार मीट्रिक टन से लगभग 81 लाख 96 हजार मीट्रिक टन अधिक है। अर्थात दो गुना से अधिक उत्पादन वृद्धि हुई। खरीफ-2013 में धान का उत्पादन 53 लाख 61 हजार मीट्रिक टन रहा, जो वर्ष 2004-05 के उत्पादन 13 लाख 09 हजार की तुलना में 40. लाख 52 हजार मीट्रिक टन अधिक है। यह वृद्धि लगभग चार गुना है।

कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि करने के सुचिंतित प्रयासों से आज मध्यप्रदेश देश में कई फसलों के उत्पादन में अव्वल हैं। जैसे कृषि विकास दर, जैविक क्षेत्र, कुल दलहन -तिलहन उत्पादन, प्रमाणित बीज उत्पादन, चना-सोयाबीन उत्पादन, निजी कस्टम हायरिंग-सेंटर की स्थापना, लहसुन-अमरूद और औषधि एवं सुगंधित फसलों, धनिया-मटर और प्याज उत्पादन में देश में प्रथम और कुल खाद्यान्न उत्पादन, गेहूँ उत्पादन, सरसों उत्पादन और मसूर उत्पादन में प्रदेश देश में द्वितीय हैं। गेहूँ उत्पादन में हम चौथे स्थान से दूसरे स्थान पर, धान में 14वें स्थान से 7वें स्थान पर और मक्का में 6वें स्थान से 5वें स्थान पर आ गए हैं।

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